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Showing posts with the label Welfare plans of Rajasthan

Transport voucher scheme ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना

ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना  अब स्कूल जाने में नहीं कोई बाधा राज्य सरकार द्वारा 6 से 14 आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं को प्रारंभिक शिक्षा हेतु निःशुल्क परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना 2017-18 का संचालन किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयो में पढ़ रहे कक्षा 1 से 8 तक के उन सभी छात्रों को इस योजना का लाभ मिलेगा जिनके निवास स्थान से एक किलोमीटर पर राजकीय प्राथमिक और दो किलोमीटर की दूरी तक कोई राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं है। कम आबादी वाले क्षेत्रों, ढाणियों जहां पर विद्यालय संचालन संभव नहीं है, वहां निवास करने वाले 6 से 14 आयुवर्ग के सभी बालक-बालिकाओं को ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना से लाभान्वित किया जायेगा। इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक विद्यालय से एक किलोमीटर से अधिक की दूरी पर छात्रों को प्रति उपस्थिति दिवस 10 रुपये तथा कक्षा 6 से 8 तक दो किलोमीटर से अधिक की दूरी पर 15 रुपये प्रति उपस्थिति दिवस ट्रांसपोर्ट वाउचर से लाभान्वित किया जाएगा। ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना शुरू करने के बाद वर्तमान में संचालित किसी भी विद्यालय को बंद या निक

Bhamashah Health Insurance Scheme - भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना

भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (Bhamashah Health Insurance Scheme) राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण एवं गरीबों के लिए बनाई गई कल्याणकारी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (Bhamashah Health Insurance Scheme) निर्धन परिवारों के लिए वरदान बनकर उभरी है। प्रदेश में आज ऎसे अनेकों परिवार हैं जो कभी पैसों के अभाव में अपना उपचार नहीं करवा पाए, इस योजना का लाभ उठाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। महंगे इलाज का भार अब नहीं गरीब की जेब पर राज्य सरकार द्वारा एक बड़े लोक कल्याणकारी कदम के रूप में राजस्थान में 13 दिसम्बर 2015 से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (Bhamashah Health Insurance Scheme) का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसका क्रियान्वयन राज्य के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत पात्र लाभार्थी परिवारों के लिए बीमा कम्पनी (Insurance Company) के माध्यम से किया जा रहा है। इस योजना का 13 दिसम्बर 2017 से नवीनीकरण किया गया है, जिसके अन्तर्गत पैकेज संशोधन के अतिरिक्त योजना के कुछ प्रावधानों में भी बदलाव किया है।   उद्देश्य- सरकार का उद्देश्य राज्य के गरीब परिवारों को योजना के जरिए बीम

झालावाड़ जिले के कंवरपुरा मण्डवालान से मुख्यमंत्री स्वच्छ ग्राम योजना का शुभारंभ

झालावाड़ जिले के कंवरपुरा मण्डवालान से मुख्यमंत्री स्वच्छ ग्राम योजना का शुभारंभ    जयपुर, 6 जनवरी। मुख्यमंत्री स्वच्छ ग्राम योजना गांव को स्वच्छ, स्वस्थ एवं सुन्दर बनाने के लिए प्रारम्भ की गई राज्य सरकार की महत्ती योजना है। यह योजना राज्य की उन ग्राम पंचायतों में लागू की जा रही है जो कि खुले में शौच जाने के अभिशाप से मुक्त (ओडीएफ) हो चुकी है। योजना का राज्य स्तरीय शुभारंभ शुक्रवार को पंचायत समिति खानपुर की ग्राम पंचायत कंवरपुरा मण्डवालान में राज्य जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष श्रीकृष्ण पाटीदार, संसदीय सचिव श्री नरेन्द्र नागर, जिला प्रमुख टीना कुमारी भील तथा जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी द्वारा किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्रीकृष्ण पाटीदार ने कहा कि जिले की पहली ओडीएफ ग्राम पंचायत कंवरपुरा मण्डवालान के लिए बड़े ही गर्व का विषय है कि मुख्यमंत्री स्वच्छ ग्राम योजना का शुभारम्भ यहां से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के प्रारम्भ होने से न सिर्फ ग्राम पंचायत कंवरपुरा मण्डवालान को बल्कि राज्य की ओडीएफ हो चुकी अन्य ग्राम पंचाय

Prasav Sakhi Programme of Rajasthan - राजस्थान का ‘प्रसव सखी‘ कार्यक्रम

राजस्थान का ‘प्रसव सखी‘ कार्यक्रम  (Prasav Sakhi Programme of Rajasthan) राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने 2 अक्टूबर 2016 को प्रदेश में ‘प्रसव सखी‘ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रदेश में भी अधिक प्रसवभार वाले 30 राजकीय चिकित्सालयों में तमिलनाडु एवं छत्तीसगढ़ राज्यों की तर्ज पर ‘प्रसव सखी‘ कार्यक्रम को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रारंभ किया गया। इनमें चुनिंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शामिल है। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के राजकीय चिकित्सालयों में ‘प्रसव सखी‘ द्वारा प्रसूता को प्रसव पीड़ा में भावनात्मक सहयोग प्रदान करने एवं डिलीवरी के दौरान चिकित्सालय में उसके साथ ‘प्रसव सखी‘ के रह सकने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत प्रसव सखी का चयन करते समय स्वयं के परिवार की प्रसव की अनुभवी महिला को प्राथमिकता दी जाती है। योजना में प्रसव के समय प्रसूता के साथ उसके परिवार की स्वस्थ एवं व्यावहारिक महिला का प्रसव सखी के रूप में सहयोग लिया जा रहा है। प्रसव सखी डिलीवरी के समय प्रसूता को भावनात्मक रूप से सहयोग देने के साथ ही जन्म के तुर

राजस्थान पशु बांझपन निवारण शिविर योजना (Combat Infertility in Cattle)

राजस्थान  पशु बांझपन निवारण शिविर योजना  (Combat Infertility in Cattle) उद्देश्यः- राजस्थान प्रदेश में उपलब्ध पशुधन में से लगभग 10 प्रतिशत पशुधन प्रतिवर्ष बांझ होता है। बांझ पशुधन का समय पर उपचार होने से इन्हें प्रजनन योग्य बनाकर गर्भित किया जा सकता है। इसके लिये पशुपालकों को अपने पशुओं को बांझ होने से बचाने के उपायों की जानकारी उपलब्ध करवाना तथा उन्हें ऐसे पशुओं का चिह्नीकरण कर समय पर पूर्ण इलाज करवाने के लिये प्रेरित करना आवश्यक है। कार्य योजनाः- इस योजना के तहत् समस्त जिलों में पशुधन की संख्या एवं पशुधन के आधार पर 4 से 5 गांवों के एक काॅम्पेक्ट क्षेत्र का बांझ निवारण शिविर लगाने हेतु चयन किया जाता है। चयनित गांवों के बांझ पशुओं के पशुपालकों की सूची सर्वे कर तैयार की जाती है। प्रत्येक शिविर की अवधि 5 दिवस होती है। प्रत्येक शिविर में कम से कम 50 पशुओं का बांझपन उपचार किया जाना आवश्यक है। शिविरों के आयोजन हेतु औषधियों का उपयोग पशुधन निःशुल्क आरोग्य दवा योजनान्तर्गत उपलब्ध औषधियों में से किया जाता है। शिविरों के आयोजन हेतु यदि ऐसी औषधियों की आवश्यकता है जो विभागीय अनुमो

MUKHYAMANTRI RAJSHREE SCHEME - मुख्यमंत्री राजश्री योजना

बेटियां घर की लक्ष्मी हैं लेकिन कई कारणों से बालिकाओं की जन्म दर कम रही है। बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने, उन्हें शिक्षित व सशक्त बनाने के लिए सरकार ने 1 जून 2016 से मुख्यमंत्री राजश्री योजना राज्य में शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य है कि बेटियों की जन्म दर बढ़े, बेटियों को अच्छी परवरिश मिले व बेटियां पढ़ लिखकर आगे बढ़ें।  बजट घोषणा 2016-17 के अनुसार मुख्यमंत्री‬ ‪शुभलक्ष्मी‬ ‎योजना‬ का नाम बदलकर आज से मुख्यमंत्री ‪‎राजश्री‬ योजना हो गया। इसी के साथ ही इसमें लाभान्वित राशि भी 7400 रुपए से बढ़कर 50 हजार रुपए कर दी  गई। शुभलक्ष्मी योजना में सरकार सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाली बेटी को 2100 रुपए की आर्थिक सहायता देती थी तथा योजना के तहत समय-समय पर मां-बेटी को 7400 रुपए तक की आर्थिक सहायता देने का भी प्रावधान था। शुभलक्ष्मी योजना 1 अप्रैल 2013 से संचालित थी जो अब राजश्री योजना हो गयी है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने शुभलक्ष्मी योजना का नाम बदलने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी 50 हजार रुपए कर दी है एवं इसका लाभ 1 जून से सरकारी अस्पतालों तथा जेएसवाई द्वा

Annapurna kitchen scheme अन्नपूर्णा रसोई योजना

राजस्थान सरकार ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों, रिक्शावालों, ठेलेवालों, ऑटोवालों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, कामकाजी महिलाओं, बुजुर्गों एवं अन्य असहायों, जरूरतमंद व्यक्तियों को ध्यान में रखकर उनकी सेहत के लिए अन्नपूर्णा रसोई योजना की शुरूआत की है। इस योजना का शुभारम्भ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा 15 दिसंबर 2016 को किया गया है।  इस योजना में अन्नपूर्णा रसोई वैन के माध्यम से मात्र रु 5 में नाश्ता तथा मात्र रु 8 में पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। योजना के पहले चरण में 12 शहरों में 80 अन्नपूर्णा रसोई वैनों के माध्यम से नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराया जाएगा- जयपुर जोधपुर कोटा अजमेर बीकानेर उदयपुर भरतपुर बारां बांसवाड़ा डुंगरपुर प्रतापगढ़ झाला वाड़ अन्नपूर्णा रसोई योजना की विशेषताएं इस रसोई वैन में लाभार्थियों के लिए नाश्ता, दोपहर का भोजन एवं रात्रि का भोजन उपलब्ध होगा। योजना में नाश्ता मात्र 5 रुपये में मिलेगा। नाश्ता के रूप में पोहा, सेवइयाँ, इडली साँभर, लापसी, ज्वार खिचड़ा, बाजरा खिचड़ा, गेहूं खिचड़ा आदि मिलेंगे। इस योजना में

मिशन परिवार विकास परियोजना

परिवार कल्याण सेवाओं को प्रभावी बनाने हेतु मिशन परिवार विकास     जयपुर, 26 दिसम्बर। परिवार कल्याण सेवाओं का प्रभावी संचालन सुनिश्चित करने हेतु ‘मिशन परिवार विकास‘ परियोजना के तहत प्रदेश के 14 जिलों में विशेष कार्ययोजना बनाकर कुल प्रजनन दर सहित विभिन्न परिवार नियोजन मापदंड़ों में सुधार लाया जायेगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा युनीसेफ, युएनएफपीए, निपी तथा पाथ फाईन्डर इत्यादि संगठनों के साथ चयनित जिलों में प्रभावी परिवार कल्याण गतिविधियां की जायेगी। मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सोमवार को झालाना डूंगरी स्थित राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित ‘मिशन परिवार विकास‘ की आमुखीकरण कार्यशाला में यह जानकारी दी।  ‘मिशन परिवार विकास‘ में शामिल 14 जिले  धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर व भरतपुर (भरतपुर संभाग), उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा (उदयपुर संभाग), जालोर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली व सिरोही (जोधपुर संभाग) एवं कोटा संभाग के बारां है। केन्द्र द्वारा कुल प्रजनन दर मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्युदर अधिक वाले 14 जिलों को मिशन परिवार विकास

Firewood free village scheme जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना-

जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना- टाईगर रिजर्व क्षेत्रों में गैस कनेक्शन वितरण योजना ग्रामीण लोग र्इंधन की आवश्यकताओं और प्रायः अपनी आजीविका के लिए भी वन संसाधनों एवं वन उत्पादों पर निर्भर रहते हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी घरेलू र्इंधन का परम्परागत स्त्रोत रही है, जो प्रायः क्रय नहीं की जाकर संरक्षित क्षेत्रों व वन क्षेत्रों से एकत्रित की जाती रही है। संरक्षित क्षेत्रों और उनके आस-पास के क्षेत्रों से जलाऊ लकड़ी एकत्रित करने से वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास खत्म होता है। इससे वन्यजीव एवं मानव के बीच संघर्ष बढ़़ता है एवं वन्यजीवों तथा स्थानीय लोगों दोनों के लिए संकट उत्पन्न होता है। सबसे अधिक समस्या टाईगर रिजर्व के सन्दर्भ में देखी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों विशेषतः संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास के गांवों में रहने वाली महिलाओं का काफी समय जलाऊ लकड़ी एकत्रित करने में व्यतीत होता है। इस कारण अन्य आय सृजन गतिविधियों एवं गृह कार्यों के लिए उनके पास अपेक्षाकृत कम समय उपलब्ध हो पाता है। चूल्हे के धुएं से महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आवश्यकता इस बात की है क

Co-operative Schemes and Major Co-operative Institutions in Rajasthan - राजस्थान में सहकारिता की योजनाएँ एवं प्रमुख सहकारिता संस्थाएं

राजस्थान में सहकारिता का इतिहास करीब एक शताब्दी पुराना है। समय गुजरने के साथ-साथ सहकारी संस्थाएं लगातार मजबूत होती गई। आज स्थिति यह है कि सहकारिता आंदोलन से किसान और ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी समुदाय भी लाभान्वित होने लगा है। सहकारिता आंदोलन की इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि आज बड़ी संख्या में महिलाएं भी सहकारिता से जुड़ रही हैं। महिला कल्याण में सहकारिता आंदोलन की बड़ी भूमिका है। करीब साढ़े चार हजार विभिन्न सहकारी संस्थाओं से जुड़कर महिलाएं अपना और अपने आसपास के लोगों का जीवन बेहतरी की ओर मोड़ चुकी हैं। आज गांवों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी सहकारी संस्थाओं ने अपनी पहचान बनाई है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के लिए जहां उपभोक्ता भण्डारों के प्रति लोगों में विश्वास है, वहीं बीमारी की स्थिति में उपभोक्ता दवा केन्द्र आमजन और पैंशनर्स के लिए एक मिशन की तरह काम कर रहे हैं। सहकारिता का सिद्धान्त परस्पर सहयोग की भावना पर आधारित है, जिसका मूल मंत्र है ’’एक सबके लिए-सब एक के लिए’’। राजस्थान में सबसे पहले वर्ष 1904 में अजमेर में सहकारिता की शुरुआत हुई, इसके बाद भरतपुर में 1915,

राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा 'खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग'

 राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं खाद्य  एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राज्य के सभी श्रेणी के परिवारों यथा- बीपीएल, एपीएल, अन्त्योदय आदि के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन राज्य में आरम्भ से ही किया जा रहा है। देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्गम 1960 के दशक में हुई खाद्यान्नों की अत्यधिक कमी हो जाने से कमी वाले शहरी क्षेत्रों में खाद्यान्नों का वितरण करने पर ध्यान केन्द्रित करके हुआ था।  इसके बाद हरित क्रांति के अंतर्गत चूंकि राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई थी, इसलिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार 1970 और 1980 के दशकों में आदिवासी ब्लॉक्स और अत्यधिक गरीबी वाले क्षेत्रों के लिए किया गया था।  वर्ष 1992 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली विशेष लक्ष्यों के बगैर सभी उपभोक्ताओं के लिए एक सामान्य पात्रता योजना थी।  सम्पुष्ट सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1992 में सम्पूर्ण देश में प्रारंभ की गई।  लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1997 में प्रारंभ की गई थी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की स्थापना - राज्य में वर्ष 1964 तक खाद्य एवं सहायता विभाग एक सं

Annapurna Bhandar Scheme of Rajasthan राजस्थान की अन्नपूर्णा भंडार योजना

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के क्षेत्र में नई पहल - अन्नपूर्णा भंडार राज्य में आमजन को कम दामों पर परिवार की जरूरत से जुड़े सभी उपभोक्ता वस्तुओं एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में ही नहीं वरन देश में पहली बार एक अनूठी योजना "अन्नपूर्णा भण्डार योजना’’ वर्ष 2015 में लागू की गई। राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के इतिहास में सार्वजनिक निजी सहभागिता का एक नया दौर शुरू हुआ है। इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मॉल की तरह ’"अन्नपूर्णा भण्डार योजना" विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य - सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी सहभागिता के माध्यम से जनसाधारण को उचित मूल्य दुकानों द्वारा उच्च गुणवत्ता की मल्टीब्रांड उपभोक्ता वस्तुएं उचित एवं प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध कराना। उद्घाटन -   राज्य सरकार ने अन्नपूर्णा भंडार योजना का श्री गणेश 31 अक्टूबर, 2015 को जयपुर जिले की झोटवाडा पंचायत समिति के गांव भंभोरी से किया गया।  इस योजना को प्रारंभ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर में पांच और उदयपु

Janta Jal Yojana Rajasthan - राजस्थान की जनता जल योजना

Janta Jal YojanaRajasthan - राजस्थान की जनता जल योजना जनता जल योजना जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग की वे पेयजल योजनाएं हैं जिनको जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग द्वारा तैयार करने के उपरान्त, संचालन हेतु ग्राम- पंचायतों को सुुपुर्द की जाती रही हैं। वित्त विभाग की टीप दिनांक 1.11.10 के क्रम में इन योजनाओं के संचालन हेतु देय अनुदान-1 अप्रैल, 2011 से सीधे ही पंचायती राज विभाग के बजट मद में दिया जा रहा है। बीकानेर एवं जैसलमेर ज़िलों को छोड़कर, शेष 31 ज़िलों की 222 पंचायत समितियों में 6523 जनता जल योजनाएं संचालित हैं, जिनमें 7301 अंशकालीन पम्प चालक कार्यरत हैं। इन योजनाओं का संचालन ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है।  योजना के उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करना। योजना के लाभ-  इन योजनाओं के संचालन व संधारण हेतु वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा निम्न अनुदान दिया जा रहा है: विद्युत खर्च - वास्तविक उपभोग के आधार पर, विद्युत खर्च हेतु पूर्ण राशि दी जा रही है। पम्प संचालन कर्मी (अंशकालीन श्रमिक) को- पम्प संचालन के लिए रूप

State Finance Commission, Rajasthan- राजस्र्थान का राज्य वित्त आयोग

State Finance Commission-IV चतुर्थ राज्य वित्त आयोग चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का गठन महामहिम राज्यपाल राजस्थान के आदेश दिनांक- 11 अप्रैल, 2011 (अधिसूचना सं. एफ-4(1)एफ.डी./एफ.सी.एण्ड ई.एडी./एस.एफ.सी./2009 दिनांक 13.4.2011) द्वारा अपनी रिपोर्ट 31 दिसम्बर, 2011 तक देने की आज्ञा के साथ किया गया। योजना में उपलब्ध राशि में से-ज़िला परिषद् को 3 प्रतिशत, पंचायत समिति को 12 प्रतिशत तथा ग्राम पंचायतों को 85 प्रतिशत के अनुपात में अनुदान राशि आवंटित होती है। योजना के उददेश्‍य ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति संबंधी सेवा प्रदायगी व्यवस्थाओं को सृदृढ़ बनाने एवं इसे सुव्यवस्थित करने हेतु आपूर्ति व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना। ग्रामीण स्वच्छता एवं मलजल व्यवस्था तथा ठोस अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन की व्यापक अवधारणा के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक संस्थाओं, सामुदायिक परिसंपत्तियों तथा विद्यालयों आदि में स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु शौचालयों/मूत्रालयों का निर्माण कराने, ग्रामीण परिवारों के आवास गृहों में निजी शौचालय स्थापित करने को प्रोत्साहित करने, अप