Skip to main content

Bhamashah Health Insurance Scheme - भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना

भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (Bhamashah Health Insurance Scheme)

राजस्थान सरकार की महत्वपूर्ण एवं गरीबों के लिए बनाई गई कल्याणकारी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (Bhamashah Health Insurance Scheme) निर्धन परिवारों के लिए वरदान बनकर उभरी है। प्रदेश में आज ऎसे अनेकों परिवार हैं जो कभी पैसों के अभाव में अपना उपचार नहीं करवा पाए, इस योजना का लाभ उठाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

महंगे इलाज का भार अब नहीं गरीब की जेब पर

राज्य सरकार द्वारा एक बड़े लोक कल्याणकारी कदम के रूप में राजस्थान में 13 दिसम्बर 2015 से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना (Bhamashah Health Insurance Scheme) का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसका क्रियान्वयन राज्य के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत पात्र लाभार्थी परिवारों के लिए बीमा कम्पनी (Insurance Company) के माध्यम से किया जा रहा है। इस योजना का 13 दिसम्बर 2017 से नवीनीकरण किया गया है, जिसके अन्तर्गत पैकेज संशोधन के अतिरिक्त योजना के कुछ प्रावधानों में भी बदलाव किया है।  
उद्देश्य- सरकार का उद्देश्य राज्य के गरीब परिवारों को योजना के जरिए बीमारियों का कैशलेस इलाज उपलब्ध करवाना है, जिससे गरीब मरीज पैसों के अभाव में इलाज से दूर न रहे। योग्य गरीब परिवारों का राजकीय अस्पतालों के साथ-साथ इम्पेनल्ड निजी चिकित्सालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण एवं विषेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो पा रही है। यही नहीं, निजी अस्पतालों को शामिल करने से राजकीय चिकित्सालयों में रोगी भार में भी कमी आती जा रही है।

योजना के लिए पात्रता

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (National Health Insurance Scheme)  में शामिल परिवार इस योजना में पात्र हैं।

1401 तरह की बीमारियों के लिए 3 लाख तक का कवर

भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रदेश की जनता के द्वारा स्वास्थ्य पर किए जा रहे खर्च को कम करने तथा गरीब व्यक्तियों के उच्च निजी चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सुविधाओं के अवसर बढ़ाने के लिए कैश लेस इलाज की सुविधा दी। राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि पात्र गरीब को निरंतर भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिलता रहे। योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी परिवार के भामाशाह कार्ड का एनएफएसए से जुडा होना जरूरी है, अर्थात भामाशाह कार्ड पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत बने हुए राशन कार्ड की सीडिंग होना अनिवार्य है। ऎसा होने के बाद योग्य मरीज निरंतर इलाज ले सकेगा। गरीब मरीज की स्थितियों को देखते हुए यह योजना राज्य के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत पात्र लाभार्थी परिवारों को योजना अन्तर्गत चयनित विभिन्न प्रकार की बीमारियों के पैकेजेज के लिए कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ही लागू है। 
खास बात यह है कि इस योजना में साधारण बीमारियों के लिए 30 हजार रुपये प्रतिवर्ष तथा गम्भीर बीमारियों के लिए 3.00 लाख की राशि का बीमा कवर प्रतिवर्ष प्रति परिवार फ्लोटर बेसिस पर देय है। इस योजना के अन्तर्गत 1401 प्रकार की बीमारियों के पैकेज उपलब्ध है, जिसमें से 663 टर्शरी तथा 738 सैकण्डरी श्रेणी में आते हैं, जिनमें से 46 पैकेज केवल सरकारी अस्पतालों के लिए तथा 14 पैकेज केवल निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित हैं। योजनान्तर्गत पूर्व की भी सभी बीमारियां कवर हैं।
इस योजना में 1715 बीमारियों को शामिल किया गया है। इनके अतिरिक्त नेफ्रोलॉजी, गेस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी तथा साइकियाट्री सहित 300 से अधिक स्पेशियलिटी उपचार के नए पैकेज भी जोड़े जाएंगे। 

योजना का फायदा

अस्पताल से छुट्टी के बाद भी मिलेगा दवाओं का खर्च

राजस्थान सरकारी की इस योजना में छोटी-छोटी बातों का खास खयाल रखा गया है। योजना में मरीज के भर्ती होने की दिनांक से लेकर डिस्चार्ज के बाद के 10 दिवस तक की दवाईयों का व्यय चयनित पैकेज की राशि में शामिल है। इससे गरीब मरीज को काफी सहारा मिल रहा है। इस योजना में चयनित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा इनसे उच्च स्तरीय कुल 501 राजकीय चिकित्सा संस्थान जोड़े गए हैं। राज्य सरकार तथा बीमा कम्पनी द्वारा सम्मिलित रूप से पूर्व निर्धारित मापदण्डों के आधार पर सूचीबद्ध निजी चिकित्सालय हैं, जिनका मरीज आसानी से पता लगा सकता है।

योजना का क्रियान्वयन

योजना के अर्न्तगत न्यू इंडिया अश्योरेन्स कम्पनी द्वारा बीमा कवर एवं आई.टी. विभाग द्वारा आई.टी. प्लेटफॉर्म प्रदान किया जा रहा है। किसी योग्य गरीब व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं आए, इसका भी उपाय किया गया है। इस उपाय के तहत एक पृथक टोल फ्री कॉल सेन्टर (1800-180-6127) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय में स्थापित किया गया है, जिसके द्वारा योजना के अन्तर्गत आ रही विभिन्न क्यूरीज एवं आमजन की समस्याओं का निवारण किया जा रहा है। इसके अलावा मोबाइल ऐप द्वारा मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है।

योजना का लाभ लेना है आसान

अस्पताल में भर्ती के समय वहां उपस्थित ‘स्वास्थ्य मार्गदर्शक’ मरीज़ और परिजनों की मदद करते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी को अपना भामाशाह कार्ड अस्पताल प्रशासन को देना होता है। उसके बाद की सारी प्रक्रिया की जि़म्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होती है।


प्रदेश में भामाशाह बीमा योजना 13 दिसम्बर, 2015 से प्रारम्भ हुई तब से 12 दिसम्बर, 2017 तक योजना के अन्तर्गत अस्पतालों द्वारा बीमा कम्पनी को 977.67 करोड़ रुपये के 18.04 लाख क्लेम्स बीमा योजना को प्रस्तुत किए गए। बीमा कम्पनी (Insurance Company) द्वारा 864.88 करोड़ रुपये के 16.13 लाख क्लेम्स स्वीकृत किये गए तथा 805.15 करोड़ रुपये के 15.20 लाख क्लेम्स बीमा कम्पनी द्वारा अस्पतालों को स्वीकृत क्लेम्स के विरूद्ध भुगतान किया गया।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली