Skip to main content

Posts

Showing posts with the label कालीबंगा की सभ्यता

केन्द्रीय संस्कृति मंत्री ने देश के वरिष्ठ पुरातत्वविदों प्रो. बी .बी. लाल एवं डॉ. आर.एस. बिष्ट के साथ की भेंट

केन्द्रीय संस्कृति मंत्री ने देश के वरिष्ठ पुरातत्वविदों प्रो. बी .बी. लाल एवं डॉ. आर.एस. बिष्ट के साथ की भेंट केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने आज देश के दो वरिष्ठ पुरातत्वविदों प्रो. बी .बी.लाल एवं डॉ. आर.एस. बिष्ट के साथ उनकेघर जाकर भेंट की और दोनों वरिष्ठ पुरातत्वविदों को पुरातत्व के क्षेत्र में दिए गए उनके योगदान के लिए सराहा।  प्रो. बी बी लाल, पूर्व महानिदेशक (1968-1972) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित (2000) हैं और डॉ. आर.एस. बिष्ट, पूर्व संयुक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और पद्म श्री अवार्डी (2013) हैं । प्रो. लाल वर्तमान में 99 वर्ष के हैं और एएसआई के सबसे वरिष्ठ पुरातत्वविद् हैं। उन्होंने भारत सरकार, भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला में विभिन्न वरिष्ठ क्षमताओं में सेवा की है; साथ ही ग्वालियर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के सदस्य भी रहे हैं।    केन्द्रीय मंत्री ने प्रो. बी बी लाल के साथ कालीबंगन में उनके ऊपर उपयुक्त रूप से डिजाइन किए गए कैनोपी के रूप में खुदाई किए गए अवशेषों के संरक्

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली