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राजस्थान में यौधेय गण का ऐतिहासिक विवरण –

राजस्थान में यौधेय-गण –  मालवों की तरह यौधेय भी एक स्वतंत्रता प्रिय जाति थी। पाणिनि की अष्टाध्यायी के अनुसार यौधेय एक कुलीन तंत्रीय गण था। इस आधार पर यौधेयो की प्राचीनता छठी शताब्दी ई. पू तक सिद्ध होती है। पाणिनि ने यौधेयो का उल्लेख त्रिगंता के साथ किया है तथा लिखा है कि आयुध जीवी संघ थे अर्थात यह संघ आयुधों पर निर्भर था। पुराणों में उन्हें उशीनरों का उत्तराधिकारी बताया गया है। पर्जीटर के अनुसार उशीनर ने पंजाब में कई जातियों को बसाया था। वायुपुराण और विष्णु पुराण में यौधेयो का उशीनरों के संदर्भ में उल्लेख मिलता है। मजूमदार तथा पूसालकर के अनुसार यौधेयों ‘योध’ शब्द से बना है। महाभारत में यौधेयों युधिष्ठिर का पुत्र बतलाया गया है। इस प्रकार वे युधिष्ठिर की संतान थे। बुद्धप्रकाश इस मत के समर्थक है जबकि स्वामी ओमानन्द ने इस मत को भ्रांतिपूर्ण बतलाया है। उनका विचार है कि महाभारत में द्रोण एवं कर्ण पर्व में अर्जुन द्वारा यौधेयो को पराजित करने का उल्लेख आता है। साथ ही उन्हें युधिष्ठिर को कर देने वाला भी कहा गया है। यौधेयों का उल्लेख पुराण के अलावा शकटायन व्याकरण , जैमिनीय ब्राह्