स्थिति- राणाप्रताप नगर रेलवे स्टेशन, उदयपुर से 1 कि.मी. दूर। ताम्बावती मार्ग, उदयपुर। स्थापना- 1961-62 मुख्य विशेषताएं- 4000 वर्ष पूर्व की सभ्यता के पुरावशेष। लाल-काले मृदभांड, चमकीले लाल रंग के पात्र, कुषाणकालीन टोंटीदार लोटे, मृणमूर्तियाँ, धूपदान, जानवरों के सींग, दीपक आदि। राजकीय संग्रहालय, आहाड़ में पुरातात्विक खुदाई से प्राप्त सामग्री प्रदर्शित की गई है। आहाड़ पुरास्थल को आहाड़ का “धूलकोट धोरा” भी कहा जाता है। आहाड़ का प्राचीन नाम “आघाटपुर” है। वर्तमान आहाड़ इसका अपभ्रंश रूप है। यह सभ्यता आयड़ नदी के किनारे स्थित है जो बनास की सहायक नदी है। आयड़ नदी का उद्गम स्थल उदयपुर की पहाड़ियाँ है। यह नदी आगे चल कर “बेड़च” का नाम धारण करती है। राजस्थान में बेडच, बनास व चम्बल के कांठे में खोज एवं उत्खनन द्वारा ऐसे कई टीले प्रकाश में आये हैं जो सिन्धु घाटी सभ्यता के बाद की तथा “ग्रे-वेयर” से पूर्व की पुरा सामग्री को प्रस्तुत करते हैं। पुरातत्व जगत में इन्हें “ताम्रपाषाण(चकोलिथिक)” संस्कृति के नाम से जाना जाता है। राजस्थान में इसका प्रमुख केंद्र आहाड़ माना गया है। इसके सबसे नीचे के सांस्कृ
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