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राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की प्रमुख बातें

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की प्रमुख बातें राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955, 15 अक्टूबर 1955 से लागू हुआ। तहसील आबू, अजमेर एवं सुनेल में यह अधिनियम 15 जून 1958 से लागू किया गया। इस अधिनियम के अधीन बिचौलिये पूर्णतया समाप्त कर दिये गये एवं अब राजस्थान में सभी काश्तकार भूमि पर सिर्फ राज्य के अन्तर्गत अपना हक रखते है। राज्य सभी भूमि का स्वामी माना जाता है। दूसरे शब्दों में राज्य भूमि का ''विधितः स्वामी '' और काश्तकार ''वस्तुतः स्वामी '' है। फिर भी काश्तकारी अधिनियम के उपबन्ध और उसके अन्तर्गत बनाये गये नियम राजस्थान भू-दान योजना अधिनियम, 1954 के उपबन्धों एवं उनके अंतर्गत बनाये गए नियमों या उन उपबन्धो को अनुसरण करने में किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं डालते।  भू-दान योजना अधिनियम इस विषय पर एक पूर्ण विधान है एवं इसके अन्तर्गत भू-दान योजना बोर्ड के गठन, उक्त बोर्ड को भूमि के दान, दान में आई हुई भूमि को भूमिहीन व्यक्तियों में या सामुदायिक प्रयोजन के लिए बाँटने तथा आनुषंगिक कार्य करने की व्यवस्था है।  इस अधिनियम की धारा 11 के तहत कोई व्यक्ति जो भू