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RAJSATHAN SAHITYA ACEDEMY AWARDS, 2018- राजस्थान साहित्य अकादमी सम्मान, 2018

राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर का ‘जनार्दन राय नागर’ सम्मान डॉ. मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ, जयपुर को 5 साहित्यकारों को विशिष्ट साहित्यकार सम्मान जयपुर, 26 फरवरी। राजस्थान साहित्य अकादमी का इस वर्ष का जनार्दनराय नागर सम्मान राजस्थान प्रदेश के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ, जयपुर को प्रदान किया जाएगा और 5 साहित्यकारों को ‘विशिष्ट साहित्यकार सम्मान’ प्रदान किया जाएगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए अकादमी के अध्यक्ष डॉ. इन्दुशेखर तत्पुरुष ने अवगत कराया कि ‘पं. जनार्दनराय नागर की स्मृति’ में प्रतिष्ठापित ‘जनार्दनराय नागर सम्मान’ राजस्थान प्रदेश के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ, जयपुर को राशि एक लाख रूपये का प्रदान किया जाएगा। साथ ही इस वर्ष की विशिष्ट साहित्यकार सम्मान योजना में निम्नांकित 05 साहित्यकारों को सम्मान दिया जायेगा-   १. डॉ. देव कोठारी (उदयपुर),   २. देवर्षि कलानाथ शास्त्री (जयपुर),   ३. डॉ. भगवती लाल व्यास (उदयपुर),   ४. प.ं नरेन्द्र मिश्र ( चित्तौड़गढ़),   ५. श्री राम जैसवाल (अजमेर)  इन सभी साहित्

राजस्थान साहित्य अकादमी के वर्ष 2011-12 के वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा

राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा 2 अप्रैल 2012 को वर्ष 2011-12 के वार्षिक अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की गई है। अकादमी के अध्यक्ष श्री वेद व्यास ने इन पुरस्कारों की घोषणा की। ये पुरस्कार निम्नलिखित है- 1. सर्वोच्च मीरा पुरस्कार (पुरस्कार राशि 31 हजार रुपए) - कोटा के श्री अम्बिका दत्त को उनकी काव्यकृति ’’आवों में बारहों मास’’ पर। 2. कविता विधा का ’’सुधीन्द्र पुरस्कार (राशि 15 हजार रुपए) - श्री नरेन्द्र शर्मा ’’कुसुम’’, जयपुर को उनकी क्राफट ’’अन्तराल’’ पर 3. कथा उपन्यास विधा का डॉ. रांगेय राधव पुरस्कार (राशि 15 हजार रुपए)- श्री चरण सिंह पथिक, करौली को उनकी कथा कृति ’’पीपल के फूल’’ पर। 4. आलोचना विधा का देवराज उपाध्याय पुरस्कार (राशि 15 हजार रुपए)- श्री कुन्दन माली, उदयपुर को उनकी आलोचना कृति ’’वस्तुतः’’ पर 5. विविध विधाओं का कन्हैया लाल सहल पुरस्कार (राशि 15 हजार रुपए)- श्री जितेन्द्र निर्मोही, कोटा को उनकी संस्मरण कृति ’’उजाले अपनी यादों के’’ पर। 6. ’’सुमनेश जोशी’’ प्रथम प्रकाशित कृति पुरस्कार (राशि 7500 रुपए)- श्री बनज कुमार ’’बनज’’, जयपुर को उनकी काव्य कृति ’’फैल

मुख्यमंत्री ने दिया तेरह साहित्यकारों को अमृत सम्मान

मुख्यमंत्री गहलोत ने 28 जनवरी को उदयपुर के टॉउन हॉल स्थित सुखाडिय़ा रंगमंच पर आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में प्रदेश के 13 मूर्धन्य साहित्यकारों को अमृत सम्मान 2012 से सम्मानित किया। राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा अकादमी के 55वें स्थापना दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा अकादमी की मासिक पत्रिका मधुमति के ''गीत" विशेषांक का विमोचन भी किया। इस विशेषांक के संपादन श्री किशन दाधीच ने किया है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने समस्त प्रतिष्ठित साहित्यकारों का हार्दिक धन्यवाद दिया व बधाई अर्पित की तथा कहा कि साहित्यकारों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है तथा संस्कृति व संस्कारों की रक्षा की है। ऐसे साहित्यकारों का सम्मान समाज व सरकार को सदैव करना चाहिए। हम प्रयास करेंगे कि विभिन्न अकादमियों को पूर्ण स्वायतत्ता तथा आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाए। उन्होंने राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री वेदव्यास को सरकार द्वारा साहित्यकारों तथा लेखकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने तथा उनको आर्थिक सहायता देने के लिए एक कोष की स्थापना करने का प्रस्ताव तैयार करने का सुझाव

राजस्थान साहित्य अकादमी

राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना 28 जनवरी, 1958 ई. को राज्य सरकार द्वारा एक शासकीय इकाई के रूप में की गई और 8 नवम्बर, 1962 को इसे स्वायत्तता प्रदान की गई, तदुपरान्त यह संस्थान अपने संविधान के अनुसार राजस्थान में साहित्य की प्रोन्नति तथा साहित्यिक संचेतना के प्रचार-प्रसार के लिए सतत् सक्रिय है। अकादमी के उद्देश्य एवं कार्य- 1. राजस्थान में हिन्दी साहित्य की अभिवृद्धि के लिए प्रयत्न करना। 2. राजस्थान के हिन्दी भाषा के साहित्यकारों और विद्वानों में पारस्परिक सहयोग की अभिवृद्धि के लिए प्रयत्न करना। 3. संस्थाओं और व्यक्तियों को हिन्दी साहित्य से संबंधित उच्च स्तरीय ग्रन्थों, पत्र-पत्रिकाओं, कोश, विश्वकोष, आधारभूत शब्दावली, ग्रन्थ निर्देशिका, सर्वेक्षण व सूचीकरण आदि के सृजन व प्रकाशन में सहायता देना और स्वयं भी इनके प्रकाशन की व्यवस्था करना। 4. भारतीय भाषाओं एवं विश्व भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य का अनुवाद करना तथा ऐसे अनुवाद कार्य को प्रोत्साहित करना या सहयोग देना। 5. साहित्यिक सम्मेलन, विचार-संगोष्ठियों, परिसंवादों, सृजनतीर्थ, रचना पाठ, लेखक शिविर, प्रदर्शनियां, अन्तर्प्रादेशिक सा