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Showing posts from April, 2020

रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक संत दरियाव जी

रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक संत दरियाव जी - रामस्नेही सम्प्रदाय की प्राचीन शाखा ‘रेण’ के संस्थापक दरिया साहब की वाणी में कहीं भी ऐसा उल्लेख नहीं है जिसके आधार पर उनकी जन्म-तिथि या उपस्थिति काल का निर्णय किया जा सके। इस सम्बंध में हमें बहिर्साक्ष्यों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। दरिया साहब के प्रशिष्य और पूरणदास जी के शिष्य पदुमदास कृत ‘जन्म लीला’ के अनुसार- ''सतरा से के समत बरस तैंतीसा भारी। मास भादवा बद अष्टमी तिथ इदकारी।।'' अर्थात दरिया साहब का आविर्भाव भादों कृष्ण अष्टमी, वि.सं. 1733 को हुआ था। दरिया साहब के एक दूसरे शिष्य किशनदास जी के प्रपौत्र शिष्य मदाराम जी ने अपनी रचना दरिया साहब की परची में दरिया साहब का जन्म काल भाद्रपद कृष्ण आठ, संवत 1733 ही माना है- ''समत सत्रा सो जाणल्यो पुन तैतीसा सार। बदी भादवा अष्टमी जन दरिया अवतार।।'' सन्त जयराम दास जी ने भी “श्री दरियाव महाराज की लावणी” में भी इसी तिथि को माना है - ''सतरासें तेतीस का जन्म अष्टमी जाण। जन्म लियो दरियावजी सरे रोप्या भक्ति नो साण।।'' सन्त आत्

HOW TO DO MODERN FARMING OF GROUNDNUT - कैसे करें मूंगफली की आधुनिक खेती

HOW TO DO MODERN FARMING OF GROUNDNUT -  कैसे करें मूंगफली की आधुनिक खेती भारत में की जाने वाली तिलहनी फसलों की खेती में सरसों, तिल, सोयाबीन व मूँगफली आदि प्रमुख हैं। मूँगफली पडौसी राज्य गुजरात के साथ-साथ राजस्थान की भी एक प्रमुख तिलहनी फसल हैं। यह गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू तथा कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक उगाई जाती है। अन्य राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब में भी यह काफी महत्त्वपूर्ण फसल मानी जाने लगी है।  मूँगफली (peanut, या groundnut) का वानस्पतिक नाम  ऐराकिस हाय्पोजिया (Arachis hypogaea) है। मूंगफली एक ऐसी फसल है जो लेग्युमिनेसी कुल की होते हुए भी तिलहनी के रूप में अधिक उपयोगिता रखती है। लेग्युमिनेसी कुल का पौधा होने के कारण मूंगफली की खेती करने से भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है। मूंगफली की आधुनिक खेती करने से भूमि की उर्वरता बढ़ने से भूमि का सुधार होगा और इसके साथ साथ किसान की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होती है। राजस्थान में बीकानेर जिले के लूणकरनसर में अच्छी किस्म की मूँगफली का अच्छा उत्पादन होता है, इस कारण लूणकरनसर को 'राजस्थान