अजमेर में स्थित इस राजकीय संग्रहालय को ‘मैगजीन' के रूप में भी जाना जाता है। यह “अकबर के किले (मैगजीन किले)” के अंदर स्थित है। इसे लॉर्ड कर्जन और भारत में पुरातत्व विभाग के तत्कालीन महानिदेशक सर जॉन मार्शल की पहल के तहत अक्टूबर 1908 में स्थापित किया गया था। बाद में अपने पहले अधीक्षक पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा अपनी प्रदर्शनी के माध्यम से क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत की ओर लोगों का ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से इसे विकसित किया गया। इस संग्रहालय में मुख्य रूप से मूर्तियां, शिलालेख, पूर्व ऐतिहासिक अनुभाग, लघु चित्रों, अस्त्र-शस्त्र, कवच और कला और शिल्प की वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। मूर्तियां- मूर्ति-शिल्प अनुभाग इस संग्रहालय का सबसे दिलचस्प अनुभाग है। इस अनुभाग का गठन पुष्कर , अढाई दिन का झोंपड़ा , बघेरा , पीसांगन , हर्षनाथ ( सीकर) भरतपुर , सिरोही , अर्थुना और ओसियां से प्राप्त प्राचीन, दुर्लभ और अद्वितीय मूर्तियों से किया गया है। ये मूर्तियां गुप्तकाल से लेकर 19 वीं शताब्दी ईसवी की तक की है जो शैव , वैष्णव और जैन धर्मों का प्रतिनिधित्व करती है। यहाँ
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