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Keoladeo National Park- Haven for Bird पक्षियों के लिए स्वर्ग केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान

पक्षियों के लिए स्वर्ग केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान  Keoladeo National Park- Haven for Bird भरतपुर स्थित केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान जिसे केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान भी कहा जाता है, को विश्व का सबसे महत्वपूर्ण पक्षी प्रजनन और आहार क्षेत्र में से एक माना जाता है। इस उद्यान में शरद ऋतु में सैंकड़ों प्रजातियों के प्रवासी पक्षी अफगानिस्तान, तुर्की, चीन और सुदूर साइबेरिया से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर के घना पहुँचते हैं तथा यह परंपरा सैंकड़ों वर्षों से जारी है। करीब यह पूर्व में "भरतपुर पक्षी अभयारण्य" के रूप में जाना जाता था। इसे 1850 के दशक में एक शाही शिकार रिजर्व के रूप में संरक्षित किया गया था तथा भरतपुर के महाराजा और ब्रिटिश अफसरों के लिए एक गेम रिज़र्व था। इस क्षेत्र में 1936 से 1943 तक भारत के ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने अपनी शिकार पार्टी में हजारों पक्षी मार गिराए थे। उन दिनों पक्षियों के शिकार का शौक में इस कदर वृद्धि हो गई कि सन 1927 में महाराज अलवर के आगमन पर आयोजित शिकार में यहां 1453 पक्षी गोलियों से भूने गये। सन 1936 में वायसराय लार्ड लिना

राजस्थान के अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान (Protection of wild life in Rajasthan)-

 "Protection of Natural Resources is Insurance for Future Generation." "प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भविष्य की संतति के लिए बीमा है। " 'संरक्षित वन्यजीव' क्षेत्र जैव विविधता संरक्षण के लिए आवश्यक हैं । ये प्रकृति के साथ मानव अंतर्क्रिया को समझने के लिए उपकरण के रूप में कार्य करते हैं। राजस्थान भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र का एक विशाल जैव विविधता राज्य है।   यह अपने लगभग 342 , 239 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के साथ भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राज्य में मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क भूभाग हैं और इसमें विशाल भारतीय मरुस्थल (थार मरुस्थल) के अंतर्गत आने वाले 13 जिलों सहित कुल 33 जिले हैं। इसमें प्रतिकूल , कठोर जलवायु परिस्थितियों का एक समूह विद्यमान है तथा इसकी भूवैज्ञानिक गठन में भी पर्याप्त विविधता है, जैसे कहीं विशाल अरावली पहाड़ियां है तो वहीं   केंद्रीय राजस्थान की आर्द्र-भूमि व झीलें हैं तो एक ओर विशाल रेगिस्तान है जो राज्य की विशिष्ट वनस्पतियों और जीवों में विविधता के रूप में परिलक्षित होता है। सरकार ने वन्य-जीवों की सुरक्षा के