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Showing posts from November, 2012

राजस्थान के 21 हस्तशिल्पियों को राष्ट्रीय पुरस्कार
राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र- Current Affairs

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार दिनांक 9.11.2012 को विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में राजस्थान के 21 हस्तशिल्पियों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। यह पुरस्कार वस्त्र मंत्रालय की ओर से वर्ष 2009 एवं 2010 के लिए देश भर के सिद्धहस्त शिल्पियों तथा बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार, शिल्पगुरू एवं संत कबीर पुरस्कार प्रदान करने के लिए दिए गए हैं। समारोह में केन्द्रीय वाणिज्य एवं कपड़ा मंत्री आनन्द शर्मा भी मौजूद थे। राजस्थान के ये हस्तशिल्पिी निम्नानुसार है- राष्ट्रीय हस्त शिल्प पुरस्कार 2009 :-  1. गोपाल सैनी, 2. प्रकाश जोशी 3. कैलाश सोनी 4. इन्द्रसिंह कुदरत 5. राम दयाल शर्मा 6. राजेश गहलोत 7. मुकेश कुमार धनोपिया राष्ट्रीय हस्त शिल्प पुरस्कार 2010 :- 1. गोविन्द रामदेव 2.  रामू रामदेव 3. कल्याण पी. जोशी 4.  नवीन शर्मा 5.  लाल चंद सैनी 6.  ओमप्रकाश गालव 7. धर्मेन्द्र कुमार जांगिड शिल्पगुरू पुरस्कार के लिए सम्मानित : - 1. नन्द किशोर वर्मा, 2. प्रभु दयाल यादव, 3. हाजी मोहम्मद डायर राष्ट्रीय श्रेष्ठता प्रमाण पत्र 2009 एवं 2010 के लिए पुरस्कृत :- 1. एवाज मोहम्मद, 2. कमलेश

प्रसिद्ध शक्तिपीठ वांकल धाम वीरातरा माता

भारत पाकिस्तान की सीमा पर स्थित राजस्थान सरहदी जिले बाड़मेर में चौहट्टन से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ वांकल धाम वीरातरा माता का मंदिर कई शताब्दियों से भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां प्रति वर्ष चैत्र, भादवा एवं मा घ माह की शुक्ल पक्ष की तेरस एवं चौदस को मेला लगता है। यहाँ अखंड ज्योत जलती रहती है। इस अखंड दीपक की ज्योति तथा घंटों व नगाड़ों की आवाज के बीच जब जनमानस नारियल जोत पर रखते है तो एक नई रोशनी रेगिस्तान के वीरान इलाके में चमक उठती है। वीरातरा माता की प्रतिमा प्रकट होने के पीछे कई दंतकथाएं प्रचलित है। एक दंतकथा के अनुसार प्रतिमा को पहाड़ी स्थित मंदिर से लाकर स्थापित किया गया। अधिकांश लोगों का कहना है कि यह प्रतिमा एक भीषण पाषाण टूटने से प्रकट हुई थी जिसका प्रमाण वे उस पाषाण को मानते है जो आज भी मूलमंदिर के बाहर दो टुकड़ों में विद्यमान है। वीरातरा माता की प्रतिमा के प्राकट्य की एक कहानी यह भी जुड़ी हुई है कि पहाड़ी पर स्थित वीरातरा माताजी के प्रति लोगों की अपार श्रद्धा थी। कठिन पहाड़ी चढ़ाई, दुर्गम मार्ग एवं जंगली जानवरों के डर के बावजूद

*** राजस्थान के एक शहर में होता है रावण का श्राद्ध और दशहरे के दिन रखा जाता है शोक ***

राजस्थान विविधताओं से परिपूर्ण है। यहाँ राम , कृष्ण हनुमान , शिवशंकर , गणेश , माँ दुर्गा आदि देवी देवताओं के मंदिर है तथा उनकी पूजा अर्चना तो हिंदू धर्म के अनुसार होती ही है लेकिन यहाँ की लोक संस्कृति में कई लोक देवता और लोक देवियां भी जनमानस की आस्था में रचे बसे हैं। इसके अलावा यहाँ रामभक्त विभीषण और राम के रिपु रावण दोनों के मंदिर विद्यमान है तथा उनकी पूजा भी की जाती है। विभीषण के मंदिर के बारे में हम पिछली एक पोस्ट में जिक्र कर चुके हैं। अब हम यह रोचक तथ्य बताते है कि राजस्थान के जोधपुर शहर में अपने आपको रावण का वंशज मानने वाले एक ब्राह्मण समुदाय के लोग श्राद्ध पक्ष की दशमी को लंकेश रावण का श्राद्ध करते हैं तथा यहाँ के अमरनाथ मंदिर परिसर में स्थापित रावण की मूर्ति की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। जोधपुर के दवे , गोधा श्रीमाली समाज के लोग रावण को स्वयं का पितर मानते हैं तथा इसी कारण वे प्रतिवर्ष उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते ह