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राजपूताना मध्य भारत सभा -

राजपूताना मध्य भारत सभा - इस सभा का कार्यालय अजमेर में था। इसकी स्थापना 1918 ई. को दिल्ली कांग्रेस अधिवेशन के समय चाँदनी चौक के मारवाड़ी पुस्तकालय में की गई थी। यही इसका पहला अधिवेशन कहलाता है। इसका प्रथम अधिवेशन महामहोपाध्याय पंडित गिरधर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। इस संस्था का मुख्यालय कानपुर रखा गया, जो उत्तरी भारत में मारवाड़ी पूंजीपतियों और मजदूरों का सबसे बड़ा केन्द्र था।  देशी राज्यों की प्रजा का यह प्रथम राजनैतिक संगठन था। इसकी स्थापना में प्रमुख योगदान गणेश शंकर विद्यार्थी, विजयसिंह पथिक, जमनालाल बजाज, चांदकरण शारदा, गिरधर शर्मा, स्वामी नरसिंह देव सरस्वती आदि के प्रयत्नों का था।  राजपूताना मध्य भारत सभा का अध्यक्ष सेठ जमनालाल बजाज को तथा उपाध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी को बनाया गया। इस संस्था के माध्यम से जनता को जागीरदारी शोषण से मुक्ति दिलाने, रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना करने तथा जनता में राजनैतिक जागृति लाने का प्रयास किया गया।  इस कार्य में संस्था के साप्ताहिक समाचार पत्र ''राजस्थान केसरी'' व सक्रिय कार्यकर्ताओं

Monsoon and other winds in India | भारत में मानसून एवं अन्य पवने

भारत में मानसून Monsoon and other winds in India- हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- ''कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है।''   मानसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है।  मानसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है।.जब ये हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ प्रवाहित होती हैं तो उनमें नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण वर्षा होती है। मानसून से अभिप्राय ऐसी जलवायु से है, जिसमें ऋतु के अनुसार पवनों की दिशा में उत्क्रमण हो जाता है। भारत की जलवायु उष्ण मानसूनी है, जो दक्षिणी एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया में पाई जाती है। अंग्रेज़ी शब्द मानसून पुर्तगाली शब्द 'मॉन्सैओ' से निकला है, जिसका मूल उद्गम अरबी शब्द मॉवसिम (मौसम) से आया है।

राजस्थान में वानिकी कार्यक्रम

राजस्थान में वानिकी कार्यक्रम - अरावली वृक्षारोपण योजना ( 01.04.1992 से 31-3-2000) -  अरावली क्षेत्र को हरा भरा करने के लिए जापान सरकार (OECF - overseas economic co. fund) के सहयोग से 01.04.1992 को यह परियोजना 10 जिलों (अलवर,जयपुर,नागौर, झुंझनूं, पाली, सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा, दौसा, चितौड़गढ़) में 31 मार्च 2000 तक चलाई गई। मरूस्थल वृक्षारोपण परियोजना -  मरूस्थल क्षेत्र में मरूस्थल के विस्तार को रोकने के लिए 1978 में 10 जिलों में चलाई गई। इस परियोजना में केन्द्र व राज्य सरकार की भागीदारी 75:25 की थी। वानिकी विकास कार्यक्रम (1995-96 से 2002) -  1995-96 से लेकर 2002 तक जापान सरकार के सहयोग से यह कार्यक्रम 15 गैर मरूस्थलीय जिलों में चलाया गया। इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र वृक्षारोपण परियोजना (1991 से 2002) -    सन् 1991 में IGNP किनारे किनारे वृक्षारोपण एवं चारागाह हेतु यह कार्यक्रम भी जापान सरकार के सहयोग से चलाया गया। यह कार्यक्रम 2002 में पूरा हो गया। राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज 1 - वनों की बढोतरी के अलावा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु यह का

Current GK Rajasthan-Februuary, March 2019

राजस्थान को बेस्ट हैरिटेज डेस्टिनेशन  कैटेगरी में राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क, जोधपुर के लिए अवार्ड’’ नई दिल्ली, 25 फरवरी। राजस्थान के पर्यटन मंत्री श्री विश्वेन्द्र सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली के होटल ताज महल में एक प्रतिष्ठित मैगज़ीन समूह द्वारा आयोजित पर्यटन अवार्ड समारोह में राजस्थान को ’बेस्ट हैरिटेज डेस्टिनेशन’ कैटेगरी में ’राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क, जोधपुर’ के लिए प्रदत्त अवार्ड ग्रहण किया।’  थेवा कलाकार प्रतापगढ़ के पद्मश्री महेश राज सोनी का निधन प्रतापगढ़ के पद्मश्री महेश राज सोनी का निधन जयपुर में ह्रदय गति रुकने से हो गया।  12 अगस्त 1954 को जन्मे महेश राज सोनी को  थेवा कला क्षेत्र में  8 अप्रेल 2015  को  पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ।  देश-दुनिया में प्रतापगढ़ की थेवा कला के लोग कायल है। इस कला को ख्याति दिलाने वाले स्थानीय राजसोनी परिवार के ही पद्मश्री महेशराज सोनी इस उम्र में भी थेवा कला के प्रति अपने प्रेम के चलते कार्यरत थे। इस कला का काम पूरी दुनिया में कहीं होता है तो वह राजस्थान के प्रतापगढ़ में ही। महेशराज सोनी को पद्मश्री के अलावा भी कई बड़े पु