राजस्थान में वानिकी कार्यक्रम -
अरावली वृक्षारोपण योजना (01.04.1992 से 31-3-2000)-अरावली क्षेत्र को हरा भरा करने के लिए जापान सरकार (OECF - overseas economic co. fund) के सहयोग से 01.04.1992 को यह परियोजना 10 जिलों (अलवर,जयपुर,नागौर, झुंझनूं, पाली, सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा, दौसा, चितौड़गढ़) में 31 मार्च 2000 तक चलाई गई।
मरूस्थल वृक्षारोपण परियोजना -
मरूस्थल क्षेत्र में मरूस्थल के विस्तार को रोकने के लिए 1978 में 10 जिलों में चलाई गई। इस परियोजना में केन्द्र व राज्य सरकार की भागीदारी 75:25 की थी।
वानिकी विकास कार्यक्रम (1995-96 से 2002) -
1995-96 से लेकर 2002 तक जापान सरकार के सहयोग से यह कार्यक्रम 15 गैर मरूस्थलीय जिलों में चलाया गया।
इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र वृक्षारोपण परियोजना (1991 से 2002)-
सन् 1991 में IGNP किनारे किनारे वृक्षारोपण एवं चारागाह हेतु यह कार्यक्रम भी जापान सरकार के सहयोग से चलाया गया। यह कार्यक्रम 2002 में पूरा हो गया।
राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज 1 -
वनों की बढोतरी के अलावा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु यह कार्यक्रम भी जापान सरकार के JBIC जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन के सहयोग से 2003 में प्रारम्भ किया गया।
इसका समापन 30 जून 2010 को हुआ। 18 जिलों में चलायी गयी इस योजना का उद्देश्य अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में पारिस्थितिकी संतुलन की पुनर्स्थापना जैव विविधता संरक्षण करना था।
राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना फेज-2 (2011-12 से 2018-19)
यह योजना ''जापान इन्टरनेशनल को-आपरेशन ऐजेन्सी-JICA'' के वित्तीय सहयोग से राजस्थान राज्य के दस मरूस्थलीय जिले (सीकर, झून्झूनू, चूरू, जालौर, बाडमेर, जोधपुर, पाली, नागौर, जैसलमेर, बीकानेर,) एवं पांच गैर मरूस्थलीय जिले (बांसवाडा, डूंगरपुर, भीलवाडा, सिरोही, जयपुर) तथा सात वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों (कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, फुलवाडी की नाल वन्यजीव अभयारण्य, जयसमन्द वन्यजीव अभयारण्य, सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य, बस्सी वन्यजीव अभयारण्य, केलादेवी वन्यजीव अभयारण्य, रावली टाडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य) में क्रियान्वित की जा रही है। 8 वर्षीय यह परियोजना 2011-12 में प्रारम्भ की गई थी। इस परियोजना की कुल लागत 1152.53 करोड़ है ।
परियोजना के अन्तर्गत वनीकरण, कृषि वानिकी, मृद्रा एवं जल संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका सवंर्द्धन कार्य परियोजना क्षेत्र के 650 गंव में सक्रिय जनभागीदारी द्वारा किये जा रहे हैं।
परियोजना कार्यो के क्रियान्वयन हेतु राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट,1958 के तहत दिनांक 8 मार्च, 2011 को ‘‘राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता संरक्षण सोसायटी'' का गठन किया गया है।
परियोजना के अन्तर्गत वनीकरण, कृषि वानिकी, मृद्रा एवं जल संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका सवंर्द्धन कार्य परियोजना क्षेत्र के 650 गंव में सक्रिय जनभागीदारी द्वारा किये जा रहे हैं।
परियोजना कार्यो के क्रियान्वयन हेतु राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट,1958 के तहत दिनांक 8 मार्च, 2011 को ‘‘राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता संरक्षण सोसायटी'' का गठन किया गया है।
राजस्थान में जनता वन योजना-
राज्य में वृक्षारोपण कार्यो में और अधिक जन-भागीदारी सुनिश्चित करने के उद़देश्य से वर्ष 1996-97 में ‘‘जनता वन योजना‘‘ प्रारम्भ की गयी जिसमें वृक्षारोपण कार्यो हेतु धनराशि ग्राम वन सुरक्षा एवं प्रबन्ध समितियों को दी जाकर उनके माध्यम से वृक्षारोपण कार्य क्रियान्वित कराये गए। इसके अंतर्गत वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण स्थल के नजदीक रहने वाले लोगो के समूह (पंजीकरण संस्था/वन सुरक्षा एवं प्रबन्ध समिति/ग्राम पंचायत/भूतपूर्व सैनिक संगठन) से अनुबन्ध अनुसार वन भूमि, पंचायत भूमि, चारागाह भूमि या अन्य राजकीय भूमि पर पौधे लगाने वाले क्षेत्र को बाढ़, पानी रोकने का इन्तजाम, गड़डे खुदवाने, पौधे लगाने, दवा डालने, निराई-गुडाई, सिंचाई आदि कार्य करने की एवज में समूह को समय-समय पर राशि उपलब्ध करायी गयी तथा वन विभाग द्वारा पौधे, घास, बीज उपलब्ध कराया गया एवं नहर क्षेत्र में बाड़ करने के लिए तार, एंगल आयरन, पम्प एवं सिंचाई के लिए पाईप भी विभाग द्वारा उपलब्ध कराया गया।
इन कार्यक्रमों के अलावा सामाजिक वानिकी योजना- 85-86, ग्रामीण वनीकरण समृद्धि योजना- 2001-02 एवं नई परियोजना (आदिवासी क्षेत्र में वनों को बढ़ाने हेतु) हरित राजस्थान - 2009 अन्य वनीकरण के कार्यक्रम है।
Very good
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