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Rajasthan Current gk 14 January current affairs 2021 in hindi

बांसवाड़ा में मुख्यमंत्री ने किया भील राजा बांसिया चरपोटा की प्रतिमा का अनावरण

Rajasthan Current Affairs


 

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बांसवाड़ा नगर परिषद परिसर में भील राजा बांसिया चरपोटा (वाहिया भील) की प्रतिमा के अनावरण किया। नगर परिषद के बाहर भील राजा बांसिया कि प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसका लोकार्पण आज किया गया है। नगर परिषद की ओर से बनाया गया यह स्मारक न सिर्फ एक भव्य प्रतिमा के कारण बल्कि फाउंटेन, कलरफुल लाइटनिंग और गार्डन से मनमोहक और एक सेल्फी पॉइंट के तौर पर उभरेगा। ब्रॉन्ज मेटल की बनी हुई बांसिया भील की प्रतिमा 15 फीट ऊंची प्रतिमा है। जिसमें घोड़े पर तीर और कमान लिए बांसिया भील सवार है। इसका वजन 4300 किलोग्राम है। जिसकी लागत 39.40 लाख है। रोड लेवल से इसकी ऊंचाई 24 फीट है। इस प्रतिमा के लिए परिषद की और से 35 लाख की लागत से स्मारक बनाया गया है जो धौलपुर और जयपुर के लाल पत्थरों का बना है।  बांसवाडा के राजा बां‍सिया के नाम पर ही इसका नाम बांसवाड़ा पड़ा। इसे "सौ द्वीपों का नगर" भी कहते हैं क्योंकि यहाँ से होकर बहने वाली माही नदी में अनेकानेक से द्वीप हैं।
 
भील राजा बांसिया चरपोटा आदिवासी समुदाय के राजा थे जिन्होंने राजस्थान के बांसवाड़ा नगर की स्थापना की थी। आज भी बांसवाड़ा में पहाड़ी पर बांसिया भील का महल मौजूद है। शहर के निकट सिंगपुरा की पहाड़ी पर भील राजा की प|ी हमाई के नाम से हमाईमाता मंदिर बना हुआ है।

आज जिस क्षेत्र काे हमाईमाता के नाम से जाना जाता है, 15वीं सदी में जंगलाें में बसे इसी क्षेत्र काे बांसवाड़ा के नाम से जाना जाता था। बांसवाड़ा की सबसे ऊंची पहाड़ी पर आज भी परमार शासन काल में बने बासिया भील के महल के अवशेष हैं।

यह पहाड़ 1400 मीटर की ऊंचाई पर है। घाटी में घना जंगल है, जिसमें सागवान के पेड़ाें की भरमार है। इसमें पैंथर का मूवमेंट भी है। समाई उनकी पत्नी का नाम था। बांसवाड़ा में वर्ष 1530 से पहले बांसिया भील का खासा दबदबा था। 

तीन बहनों के नाम से है तीन तालाब

बांसिया भील की तीन बहनाें के नाम से तीन तालाब हैं। बाई के नाम से बाई तालाब, डाई के नाम से डाई तालाब और राजा के नाम से राजतालाब है।

1515 में मकर संक्रांति के दिन अमरथून से निकल कर अपने भाई बहनों के साथ जंगल में पेड़ों को काटकर बांसवाड़ा बसाया था। तब से उन्हें राजा बांसिया भील कहा जाने लगा। बांसिया भील की दो पत्नियां समाई और हंगवाई थी और समाई के नाम से समाईपुरा पहाड़ का नामकरण किया था। हंगवई के नाम से अमरथून नगर में हुनगर पहाड़ का नामकरण हुआ। बांसिया भील के पिता अमरा भील ने अरमथून नगर काे राजधानी बनाया। चरपाेटा वंश की कुलदेवी मां अंबे की मूर्ति यहीं स्थापित है।

ग्लोबल प्रवासी मकर संक्रांति उत्सव 2021

Rajasthan Current Affairs Today

नई दिल्ली के बीकानेर हाउस स्थित चांदनी बाग में राजस्थान फाउंडेशन और राजस्थान टूरिज्म विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ग्लोबल प्रवासी मकर संक्रांति उत्सव 2021 मनाया गया। इस अवसर पर पेरिस से प्रवासी राजस्थानी रहीस भारती के धौंद बैंड द्वारा राजस्थान की मिट्टी की खुशबू से सराबोर ''बेगा घरा आयो बालम, सावन आयो रे, पतंग उड़ा रे छोरा पतंग उड़ा, और सोना रा बटन,'' जैसे मंत्रमुग्ध कर देने वाले राजस्थानी गीतों की रंगारंग प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में राजस्थानी फोक म्यूजिक के बादशाह भुंगर खान और ग्रुप द्वारा परंपरागत राजस्थानी फोक और सूफी गानों से समां बांध दिया, जिसे देश और दुनिया में जूम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हजारों लोगों ने देखा और सराहा।

भारत का पहला स्वदेश में विकसित 9 एमएम मशीन पिस्तौल

Defence Current Affairs
भारत का पहला स्वदेश में विकसित 9 एमएम मशीन पिस्तौल


  • भारत का पहला स्वदेशी 9 एमएम मशीन पिस्तौल संयुक्त रूप से डीआरडीओ तथा भारतीय सेना द्वारा विकसित किया गया है। 
  • इस हथियार का डिजाइन और विकास कार्य इंफ्रेंटरी स्कूल, महोव तथा डीआरडीओ के आर्मामेन्ट रिसर्च एंड डवलेपमेंट स्टैब्लिशमेंट (एआरडीई), पुणे द्वारा अपनी विशेषज्ञताओं का उपयोग करते हुए किया गया है। 
  • यह हथियार 4 महीने के रिकार्ड समय में विकसित किया गया है। 
  • मशीन पिस्तौल इनसर्विस 9 एमएम हथियार को दागता है। 
  • इसका ऊपरी रिसीवर एयरक्राफ्ट ग्रेड एलुमिनियम से तथा निचला रिसीवर कार्बन फाइबर से बना है। 
  • ट्रिगर घटक सहित इसके विभिन्न भागों की डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग में 3डी प्रिटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है। 
  • सशस्त्र बलों में हेवी वेपन डिटेंचमेंट, कमांडरों, टैंक तथा विमानकर्मियों ड्राइवर/डिस्पैच राइडरों, रेडियो/ राडार ऑपरेटरों, नजदीकी लड़ाई, चरमपंथ विरोधी तथा आतंकवाद रोधी कार्यवाइयों में व्यक्तिगत हथियार के रूप में इसकी क्षमता काफी अधिक है। 
  • इसका इस्तेमाल केंद्रीय तथा राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटियों तथा पुलिसिंग में किया जा सकता है। 
  • प्रत्येक मशीन पिस्तौल की उत्पादन लागत 50 हजार रुपये के अंदर है और इसके निर्यात की संभावना भी है।
  • पिस्तौल का नाम ‘अस्मी’ रखा गया है जिसका अर्थ गर्व, आत्मसम्मान तथा कठिन परिश्रम है।


जनऔषधि केन्द्रों ने वित्तीय वर्ष में 484 करोड़ रुपये की बिक्री -

Medical Current Affairs
जनऔषधि केन्द्र


  • गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं की बिक्री में संलग्न देश के सभी जिलों में स्थित 7064 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्रों ने वित्तीय वर्ष 2020-2021 (12 जनवरी 2021 तक) के दौरान 484 करोड़ रुपये मूल्य की बिक्री दर्ज की है। 
  • यह बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष के समतुल्य आंकड़ों की तुलना में 60% अधिक है। 
  • इस बिक्री से देश के नागरिकों की लगभग 3000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
  • वित्तीय वर्ष 2019-2020 के दौरान, भारत सरकार ने जनऔषधि केन्द्रों को 35.51 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था, जबकि इस अवधि में नागरिकों की 2600 करोड़ रुपये की बचत हुई थी।
  • इस प्रकार, सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक एक रुपये की वजह से नागरिकों को 74 रुपये की बचत हुई है।
  • इसके अलावा, पूरे देश में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अब तक 10 करोड़ से अधिक जन औषधिसुविधासेनेटरी पैड (जन औषधि सुविधा ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन) की बिक्री 1 रुपये प्रति पैड की दर से की गई है। बाजार में ऐसे नैपकीन की कीमत 3 से 8 रूपए प्रति पैड है।
    जन औषधि “सुविधा” सेनेटरी पैड


  • दिसंबर 2020 में कुल 3.6 करोड़ रुपये मूल्य के जन औषधिसुविधासेनेटरी पैड की खरीद संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। कुल 30 करोड़ जन औषधिसुविधासेनेटरी पैड से जुड़ी निविदा को भी अंतिम रूप दे दिया गया है।
  • जन औषधि सुविधा ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिनपर्यावरण के अनुकूल हैं, क्योंकि ये जैविक रूप से नष्ट हो जाने वाली ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनाए जाते हैं। इनका परीक्षण एएसटीएम डी-6954 मानकों पर किया जाता है।  

उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) के अंतर्गत चंडीगढ़ से हरियाणा के नवनिर्मित हिसार हवाई अड्डे के लिए पहली उड़ान

Aviation Current Affairs

  • भारत सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना- उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) के अंतर्गत आज चंडीगढ़ से हरियाणा के नवनिर्मित हिसार हवाई अड्डे के लिए पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाई गई। इस उड़ान को हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने हरी झंडी दिखाई। 
  • उड़ान योजना के अंतर्गत 54 वें हवाई अड्डे का परिचालन शुरू हो गया है। 
  • उड़ान योजना के तहत अभी तक 5 हेलिकॉप्टर और 2 वाटरएयरोड्रम सहित 307 रूट व 54 हवाई अड्डों का परिचालन शुरू हो चुका है।
  • हरियाणा सरकार से संबंधित, हिसार हवाई अड्डा सार्वजनिक लाइसेंस युक्त हवाई अड्डा है जो 18 सीट वाले विमानों के लिए उपयुक्त है। 
  • हिसार हवाई अड्डे का विकास नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MOCA) द्वारा किया गया है, जो उड़ान योजना के निम्न दो उद्देश्यों से मेल खाता है
  1. देश के आम नागरिक को उड़ान भरने का अवसर देना और 
  2. देश में हवाई यात्रा को सस्ता बनाना व बढ़ावा देना, । 
  • इस क्रम में, भारत सरकार ने अंतरिम नागर विमानन परिचालनों के विकास के लिए 28.60 करोड़ रुपये के व्यय को स्वीकृति दी। 
  • हिसार हवाई अड्डे को अपग्रेड करने और विकास के लिए एएआई को जमीन का हस्तांतरण कर दिया गया था। हिसार हवाई अड्डे के अपग्रेड के काम में नए टर्मिनल भवन, हैंगर का निर्माण, रनवे को मजबूत बनाना, रात्रि उड़ान उपकरण, एटीसी, सुरक्षा उपकरण आदि की स्थापना का काम शामिल है।
  • एयरलाइन एविएशन कनेक्टिविटी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स प्रा. लि. (एयर टैक्सी) को उड़ान 4 निविदा प्रक्रिया के तहत हिसार- चंडीगढ़- हिसार रूट का आवंटन कर दिया गया है। यह एयरलाइन एयर टैक्सी सेवाओं के साथ राष्ट्र की सेवा करने वाली पहली स्टार्टअप एयरलाइन बन गई है। 
  • इन उड़ान सेवाओं से हिसार से चंडीगढ़ के बीच का सफर 4.50 घंटे से घटकर 45 मिनट का रह जाएगा, जो केन्द्र, राज्य सरकारों और हवाई अड्डा परिचालकों द्वारा योजना के अंतर्गत सेवाओं से वंचित हवाई अड्डों से परिचालन को प्रोत्साहित करने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) के रूप में दिए जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन के कारण सस्ता भी पड़ेगा।
  • हिसार भारत में गैल्वनाइज्ड आयरन का विनिर्माण करने वाला सबसे बड़ा शहर है। इस हवाई संपर्क से हरियाणा और चंडीगढ़ के लोगों की आकांक्षाएं पूरी होंगी। कई लोग व्यक्तिगत और व्यावसायिक उद्देश्य से इन दोनों शहरों के बीच नियमित रूप से यात्रा करते हैं। 

क्या है उड़ान योजना -

    • आरसीएस-उड़ान 'उड़े देश का आम नागरिक' भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई मार्गों के द्वारा आम लोगों को सस्ते और सुलभ हवाई यात्रा का लाभ उपलब्ध कराना है। 
    • यह क्षेत्रीय संपर्क योजना लोगों को कम कीमत में हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराती है। 
    • देश के उड्डयन क्षेत्र में नए हवाई अड्डों और हवाई मार्ग को जोड़ने में उड़ान योजना का अहम योगदान रहा है। 
    • संपूर्ण भारत में उड़ान योजना के अंतर्गत 285 हवाई मार्गो  के अंतर्गत 50 गैर सेवारत या सेवारत हवाई अड्डों को जोड़ा गया है। इसमें 5 हेलीपोर्ट भी शामिल है। 
    • इस योजना के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने वाली एजेंसी के रूप में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की महत्वकांक्षी तैयारी 2024 तक 100 हवाई अड्डा/ वाटरड्रोम/ हेलीपोर्ट विकसित करने की है।
    • भारत सरकार ने उड़ान पहल के योगदान को मानते हुए 21 अक्टूबर, 2020 को उड़ान दिवस के रूप में मनाया जाने की घोषणा की है। 21 अक्टूबर को ही उड़ान योजना के दस्तावेज पहली बार जारी किए गए थे।

तटीय रक्षा अभ्यास सी विजिल 21 सम्पन्न

Defence Current Affairs

  • दो दिवसीय तटीय रक्षा अभ्यास एक्सरसाइज सी विजिल 12 और 13 जनवरी 2021 को आयोजित किया गया। 
  • सी विजिल की अवधारणा और भौगोलिक विस्तार में देश की पूरी तटरेखा और ईईजेड शामिल थे। 
  • इस दौरान शांति से लेकर युद्ध काल तक के अभ्यास किए गए। 
  • इसके अलावा, तटीय सुरक्षा में किसी भी तरह के उल्लंघन के मामले में तट पर उससे निपटने के तरीकों का भी अभ्‍यास किया गया।
  • इस अभ्यास में पूरे तटीय सुरक्षा तंत्र की तैनाती की गई थी। 
  • साथ ही इसमें भारतीय नौसेना (आईएन) और तटरक्षक बल (सीजी) की 110 से अधिक जमीनी संपत्तियों को शामिल किया गया था। इसके अलावा बड़ी तादाद में मरीन पुलिस और सीमा शुल्क विभाग की परिसंपत्तियों की भी तैनात की गई थी। 
  • भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के विमान द्वारा पूरे तटवर्ती क्षेत्र की निगरानी की गई। 
  • साथ ही हेलीकॉप्टरों को अपतटीय प्लेटफॉर्मों पर काम करने वाले विशेष परिचालन कर्मियों की सेवा में भी लगाया गया था।
  • चूंकि बंदरगाह समुद्र के जरिये होने वाले व्यापार का प्रमुख केंद्र होता है, इसलिए अभ्यास के दौरान बंदरगाहों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी विशेष ध्‍यान दिया गया और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी बंदरगाहों की संकट प्रबंधन योजनाओं का मूल्यांकन किया गया। 
  • राज्य पुलिस दल, भारतीय नौसेना के मरीन कमांडो और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के कमांडो को समुद्री आतंकवाद संबंधी वारदातों से निपटने के लिए अभ्यास कराया गया।
  • इस अभ्यास ने राष्ट्रीय कमान, नियंत्रण, संचार एवं खुफिया (एनसी3आई) नेटवर्क नामक तकनीकी निगरानी बुनियादी ढांचे को भी मान्यता प्रदान किया। 
  • गुरुग्राम के सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र (आईएमएसी) और भारतीय नौसेना एवं तटरक्षक बल के स्टेशनों पर इसके विभिन्न नोड्स का उपयोग निगरानी और सूचना प्रसार तंत्र के समन्वय के लिए किया गया।

 

51वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सिनेमा के अनेक दिग्गजों को दी जाएगी श्रद्धांजलि

Film Current Affairs

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 51वें संस्करण में सिनेमा से जुड़ी भारत की उन्नीस हस्तियों तथा दुनिया भर की नौ शख्सियतों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। 

उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के रूप में इस खंड में निम्नलिखित फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा:-

अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों को श्रद्धांजलि

1. चैडविक बोसमैन- ब्रायन हेल्गेलैंड की फ़िल्म 42

2. इवान पासर- इवान पासर द्वारा निर्देशित कटर्स वे

3. गोरन पास्कलजेविक- गोरन पास्कलजेविक की ही फ़िल्म देव भूमि

4. एलन दावियाउ- स्टीवन स्पिलबर्ग द्वारा बनाई गई फ़िल्म द एक्स्ट्रा-टेर्रेस्ट्रियल

5. मैक्स वॉन सिडो- स्टीफन डल्ड्री की एक्सट्रीम्ली लाउड एंड इनक्रीडिबली क्लोज़

6. सर एलन पार्कर - एलन पार्कर की ही फ़िल्म मिडनाइट एक्सप्रेस

7. किर्क डगलस - स्टेनली कुब्रिक की पाथ्स ऑफ ग्लोरी

8. एन्नियो मोरिकोन - क्वेंटिन टारनटिनो द्वारा निर्देशित द हेटफुल एइट

9. ओलिविया डी हैविलैंड -विलियम वीलर की बनाई फ़िल्म द हैरेस

भारतीय हस्तियों को श्रद्धांजलि

 

1. अजीत दास -बिजय जेना की फ़िल्म तारा

2. बासु चटर्जी - बासु चटर्जी द्वारा ही निर्देशित छोटी सी बात

3. भानु अथैया - रिचर्ड एटनबरो की बनाई हुई गांधी

4. बिजय मोहंती -बिप्लब रॉय चौधरी की फ़िल्म चिलिका तीरे

5. इरफान खान -तिग्मांशु धूलिया द्वारा निर्देशित पान सिंह तोमर

6. जगदीप - भप्पी सोनी की ब्रह्मचारी

7. कुमकुम - राजा नवाथे द्वारा बनाई गई बसंत बहार

8. मनमोहन महापात्रा - मनमोहन महापात्रा की ही फ़िल्म भिजा माटी र स्वर्ग 

9. निम्मी - राजा नवाथे द्वारा निर्देशित बसंत बहार

10. निशिकांत कामत - निशिकांत कामत की फ़िल्म डोंबिवली फास्ट

11. राहत इंदौरी - विधु विनोद चोपड़ा की बनाई हुई मिशन कश्मीर

12. ऋषि कपूर - राज कपूर की फ़िल्म बॉबी

13. सरोज खान - संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित देवदास

14. एस पी बालासुब्रह्मण्यम - अनंतु की फ़िल्म सिगाराम

15. श्रीराम लागू - मृणाल सेन द्वारा निर्देशित एक दिन अचानक

16. सौमित्र चटर्जी - सत्यजीत रे द्वारा बनाई गई फ़िल्में चारुलता, घरे बइरे और सोनार केला

17. सुशांत सिंह राजपूत - अभिषेक कपूर की फ़िल्म केदारनाथ

18. वाजिद खान - अभिनव कश्यप द्वारा निर्देशित दबंग

19. योगेश गौड़ - बासु चटर्जी द्वारा बनाई हुई फ़िल्म छोटी सी बात

फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड का 5,000 करोड़ रुपये का डिबेंचर का पब्लिक इश्यू 15 जनवरी को

Finance Current Affairs

भारत के अग्रणी वित्तीय संस्थानों में एक पॉवर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड का 5,000 करोड़ रुपये का सुरक्षित, भुगतान करके वापस लिए जाने योग्य गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर का पब्लिक इश्यू 15 जनवरी, 2021 को खुल रहा है। बेस इश्यू साइज 500 करोड़ रुपये का है और इसमें 5,000 करोड़ रुपये तक संग्रह के लिए अधिक अभिदान बनाए रखने का विकल्प है। यह 10,000 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा के भीतर है। प्रत्येक गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) का अंकित मूल्य 1000 रुपये है। श्रृंखला I इश्यू 29 जनवरी, 2021 को बंद होगा।

श्रृंखला  Iइश्यू में 3, 5, 10 तथा 15 वर्ष की अवधि का विकल्प पेश किया गया है। श्रृंखला I में 3 वर्ष की अवधि के एनसीडी में 4.65 प्रतिशत वार्षिक से 4.80 प्रतिशत वार्षिक तक निर्धारित ब्याज दर की पेशकश है। जबकि श्रृंखला II में 5 वर्ष की अवधि के एनसीडी में 5.65 प्रतिशत वार्षिक से 5.80 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर की पेशकश की गई है। 10 वर्ष की अवधि के एनसीडी में निर्धारित और अस्थिर ब्याज में निर्धारित न्यूनतम दर या अधिकतम दर के अधीन है। निर्धारित ब्याज दर 6.63 प्रतिशत वार्षिक से 7.00 प्रतिशत वार्षिक है। दूसरी ओर अस्थिर ब्याज दर एफआईएमएमडीए 10 वर्ष जी-सेक (वार्षिक)+ 55 बेसिस प्वाइंट से 80 बेसिस प्वाइंट मानक पर आधारित है, जो निवेशकों की श्रेणी के अनुसार निर्धारित न्यूनतम दर या अधिकतम दर के अधीन है।15 वर्ष की अवधि के एनसीडी में 7.15 प्रतिशत वार्षिक की अधिकतम ब्याजदर के साथ अनेक निर्धारित ब्याज दरें हैं।

सभी श्रृंखलाओं में न्यूनतम आवेदन आकार 10,000 रुपये समुच्च के 10 एनसीडी तथा उसके बाद प्रत्येक 1000 रुपये के अंकित मूल्य के एक एनसीडी का विभाज्य है।

केयर, क्रिसिल तथा इकरा की रेटिंग उच्च सुरक्षा का संकेत देती हैं

एनसीडी की रेटिंग केयर रेटिंग लिमिटेड द्वारा केयर एएए स्थिर, क्रिसिल लिमिटेड द्वारा क्रिसिल एएए/स्थिर तथा इकरा लिमिटेड द्वारा इकरा एएए (स्थिर) रेटिंग दी गई है। ऐसी रेटिंग वाले एनसीडी को वित्तीय दायित्वों का समय पर पालन के संबंध में उच्च रूप से सुरक्षित माना जाता है और इनमें जमा जोखिम सबसे कम होता है। 

बेंगलुरू मेट्रो के चरण-2 का उद्घाटन

Transport Current Affairs

आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी, केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री सदानंद गौड़ा और कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी. एस. येदियुरप्पा ने आज येलाचेनाहल्ली से सिल्क इंस्टीट्यूट मेट्रो स्टेशनों तक ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर नम्मा मेट्रो के चरण-2 के अंतर्गत 6 किलोमीटर लंबी दक्षिणी विस्तार लाइन का शुभारम्भ किया। यह शहर में तेज आवागमन और स्मार्ट मोबिलिटी के विकल्पों के लिए बेंगलुरू मिशन, 2022 के लक्ष्यों की दिशा में एक कदम है।

बेंगलुरू मेट्रो रेल परियोजना चरण-2 के तहत 74 किलोमीटर लंबे रूट पर 62 स्टेशन आते हैं और इसमें चारों दिशाओं में कुल 34 किलोमीटर में चरण-1 की बैंगनी और हरी दोनों लाइनों का विस्तार और दो नई लाइनें शामिल हैं। इन दो लाइनों में 21 किलोमीटर लंबा गोतीगेरे-नागावाड़ा रूट और 19 किलोमीटर लंबा आरवी रोड- बोम्मासैंड्रा रूट शामिल है। इस परियोजना को 30,695 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जा रहा है। वर्तमान में परिचालन लाइन पर येलाचेनाहल्ली मेट्रो स्टेशन से आगे 5 नए स्टेशन शामिल हैं। विस्तार में वर्तमान में परिचालित 24.2 किलोमीटर लंबी हरी (उत्तर-दक्षिण) लाइन के दक्षिणी किनारे पर 6 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड मेट्रो शामिल है। इस विस्तार के साथ, एन-एस कॉरिडोर 30.2 किलोमीटर लंबा हो जाएगा। एलिवेटेड भाग में 213 स्पैन (पुल) शामिल हैं।

एक देश एक कार्ड

  • बेंगलुरू मेट्रो ने स्वचालित किराया संग्रह (एएफसी) प्रणाली के लिए विशेष तकनीक का उपयोग किया है, जो उद्घाटन के साथ वन लूप एनसीएमसी एक देश एक कार्ड के उपयोग से यात्रा में सहायक होता है।
  • स्वचालित किराया संग्रह (एएफसी) प्रणाली के लिए वर्तमान में परिचालित 42 किलोमीटर लंबे नेटवर्क के 40 स्टेशनों पर एएफसी प्रणाली को भी अपग्रेड किया जा रहा है।
  • बेंगलुरू में पश्चिमी विस्तार सहित 55 किलोमीटर लंबे पूरे मेट्रो नेटवर्क में यात्री अपनी यात्रा के लिए भुगतान करने के लिए रूपे कार्ड या कोई अन्य एनसीएमसी अनुपालित बैंक कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राजस्थान के इसबगोल के निर्यातकों के लिए आपूर्ति-श्रृंखला मजबूत करने के लिए वेबीनार -

Rajasthan Current Affairs

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने साउथ एशिया बॉयोटेक्नोलॉजी सेंटर और डीबीटी-एसएबीसी बॉयोटेक किसान, डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी, आईसीएआर-डीएमएपीआर, कृषि विभाग और राजस्थान सरकार के आरएसएएमबी के साथ मिलकर बेहतर कृषि तरीकेप्रसंस्करण और इसबगोल के मूल्य संवर्धन पर वेबीनार का आयोजन किया। जिसका उद्देश्य राजस्थान के इसबगोल के निर्यातकों के लिए आपूर्ति-श्रृंखला मजबूत करना है।

उद्घाटन भाषण के दौरान एपीडा के चेयरमैन डॉ. अंगामुत्थु ने कहा कि इसबगोल अपने आप में एक खास उत्पाद है। जो कि अपनी स्वास्थ्य संबंधी फायदे के लिए काफी लोकप्रिय है। इसबगोल की संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे विकसित देशों से काफी मांग है। राजस्थान सरकार के कृषि और बागवानी विभाग के कमिश्नर डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि इसबगोल एक संवेदनशील फसल है और अगर फसल काटने के दौरान पाला पड़ जाता या बारिश हो जाती है, तो वह नुकसान हो जाती है। ऐसे में इसबगोल की ऐसी प्रजातियों को विकसित करने की जरूरत हैं, जो विपरीत मौसम में भी ज्यादा उत्पादकता दे सके। जिससे उद्योग को ज्यादा प्रसंस्कृत उत्पाद मिलेंगे।

इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार, घरेलू उत्पादन, इसबगोल के उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी, राजस्थान में कृषि प्रसंस्करण और निर्यात की सुविधाएं देने वाली वित्तीय सहायता के संबंध में जानकारी दी है।

वेबीनार के दौरान ये प्रमुख मुद्दे सामने आए:

  1. राजस्थान में किसान और एफपीओ को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने के कार्यक्रम की जरूरत है। जिससे कि इसबगोल का बीज उत्पादन और प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सके और किसान बेहतर खेती के तरीकों का इस्तेमाल कर सकें।
  2. इसबगोल एक संवेदनशील फसल है और अगर फसल काटने के दौरान पाला पड़ जाता या बारिश हो जाती है, तो वह नुकसान हो जाती है। ऐसे में इसबगोल की ऐसी प्रजातियों को विकसित करने की जरूरत हैं, जो विपरीत मौसम में भी ज्यादा उत्पादकता दे सके। जिससे उद्योग को ज्यादा प्रसंस्कृत उत्पाद मिलेंगे।
  3. गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन, ज्यादा पैदावार देने वाली प्रजातियां और फसल को बीमारी से बचाने वाली तकनीकी की जानकारी किसानों को मिलना जरूरी।
  4. विभिन्न प्रजातियों को विकसित करने, बीज सुधार और बीज में बदलाव के जरिए फसल को कीड़ों, फफूंद और जंगली घास से बचाव की जरूरत है।
  5. अंतरफसलीय तकनीकी के जरिए फसल का उत्पादन बढ़ाना, कीटनाशकों के इस्तेमाल में समझदारी से फैसले लेना, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरते हैं। जिससे कि बेहतर फसल का उत्पादन हो सके।
  6. भारत सरकार द्वारा 10 हजार एफपीओ बनाने के फैसले की दिशा में कदम उठाते हुए एफपीओ आधारित खेती को बढ़ावा देना।
  7. ऐसे एफपीओ की जरूरत है, जो इसबगोल के मूल्य संवर्धन, हैंडहोल्डिंग, बाजार के साथ जुड़ाव और तकनीकी भागीदारी में मदद कर सकें।
  8. युवाओं को प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने, जैविक उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना।

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली