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पल्ला रे पल्ला पर दादर मोर राजस्थानी गीत अर्थ सहित

और रंग दे रे म्हाने औजू रंग दे 
म्हारा सासुजी के दाय कोनी आई रे 
नीलगर और रंग दे ....

अर्थ- हे नीलगर (रंगने वाले रंगरेेेज) तुम्हारा रंगा हुआ मेरी सासूजी को पसंद (दाय) नहीं आया है, अतः हे नीलगर और रंग दे मेरा यह पुनः (ओजू) रंग दे।


अल्ला रे पल्ला पर दादर मोर रंग दे 
घूँघट पर बाई सा रो बीरो ये
नीलगर और रंग दे।

अर्थ- इसके अल्ले पल्ले पर दादुर और मोर पक्षी की चित्रकारी कर दे और घूंघट पर मेरी ननद का भाई (बाईसा रो बीरो) अर्थात मेरे पतिदेव को चित्रित कर दे। इस प्रकार इसे और रंग दे। 

और रंग दे रे म्हाने औजू रंग दे 
म्हारा सासुजी के दाय कोनी आई रे
नीलगर और रंग दे ।

अर्थ- हे नीलगर, तुम्हारा रंगा हुआ मेरी सासूजी को पसंद नहीं आया है, अतः हे नीलगर और रंग दे मुझे ओजू (पुनः) रंग दे।

सुसरो जी रंगाई म्हारे लाल ओढनी 
म्हारा सासुजी के दाय कोणी आई रे 
नीलगर और रंग दे।

अर्थ- ससुर जी ने जो लाल ओढ़नी मंगाई थी वो मेरी सासुजी को पसंद नहीं आई है। अतः नीलगर इसे दुबारा रंग दे।

जेठजी रंगाई म्हारे पीलो पोमचो
म्हारी जेठानी के दाय कोणी आई रे
नीलगर और रंग दे।

अर्थ- जेठ जी ने मेरे लिए पीले रंग का पोमचा नामक ओढ़नी रंगवाई थी लेकिन यह मेरी जेठानी को पसंद नहीं आया, अतः हे नीलगर इसे पुनः रंग दे।

देवरियो रंगायो म्हारे लाल चुनरी
म्हारे सायब जी के दाय कोनी आई रे
नीलगर और रंग दे।

अर्थ- मेरे देवर जी ने मेरे लिए लाल चुनरी रंगवाई लेकिन यह मेरे पतिदेव (सायब) को पसंद नहीं आई अतः नीलगर इसे पुनः रंग दे।

पल्ला रे पल्ला पर दादर मोर रंग दे 
घूँघट पर बाई सा रो बीरो ये
नीलगर और रंग दे

और रंग दे रे म्हाने औजू रंग दे 
म्हारा सासुजी के दाय कोनी आई रे
नीलगर और रंग दे ।।

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