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राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष एवं राज्यसभा संसद श्री मदन लाल सैनी का निधन

राजस्थान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष एवं राज्यसभा संसद श्री मदन लाल सैनी का फेफड़ों में संक्रमण के कारण नई दिल्ली में निधन हो गया। 75 वर्षीय श्री मदन लाल सैनी की पिछले कई दिनों से सेहत खराब थी तथा इसी के चलते उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां 24 जून को उनका आज निधन हो गया। ज्ञातव्य है कि श्री मदन लाल सैनी को पिछले साल जून में ही राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। उस वक्त के अध्यक्ष श्री अशोक परनामी के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने बाद पार्टी में हुए ढाई महीने तक के गहन मंथन के बाद आखिर में मदन लाल सैनी को पार्टी अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनी थी।

1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े श्री सैनी जनसंघ के समय से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के प्रदेश मंत्री का पद भी संभाला था। विद्यार्थी यूनियन, श्री कल्याण कालेज, सीकर के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

वे 1990 में झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं तथा तथा 1991 व 1996 में लोकसभा में भाजपा के झुंझुनूं से प्रत्याशी थे किन्तु चुनाव नहीं जीत पाए। वे बीजेपी पार्टी में प्रदेश महामंत्री और प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे 13 जुलाई 1943 को राधाकृष्णपुर, सीकर में पिता श्री बालूराम सैनी एवं माता श्रीमती मोहनी देवी के घर जन्मे श्री सैनी भारतीय मजदूर संघ एवं भारतीय किसान मोर्चा से भी जुड़े रहे हैं। श्री सैनी 1972 - 84 में अखिल भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री रहे तथा 1984-90 तक अखिल भारतीय कृषि मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री रहे। वे 1990-97 तक भा.ज.पा. के प्रदेश मंत्री रहे।

इनका विवाह 21 मई, 1961 को श्रीमती पतासी देवी के साथ हुआ था। इनके एक पुत्र व छह पुत्रियां हैं। श्री सैनी ने स्कूली शिक्षा एस.के. हाई स्कूल, सीकर से तथा बी.ए. एस.के. कॉलेज, सीकर से किया था। इसके अलावा उन्होंने एल.एल.बी. की शिक्षा राजस्थान विश्वविद्य़ालय, जयपुर से प्राप्त की थी। पेशे से वे किसान, मजदूर संघ के सदस्य, लेखक, अधिवक्ता, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता व खिलाड़ी रहे हैं। हाई स्कूल में फुटबाल, कबड्डी, खो-खो, ऊंची कूद, लंबी कूद, दौड़ में और नाटकों में भाग लिया तथा खेल प्रतियोगिताओं में सम्मान और पुरस्कार जीते। वे अगस्त 1984 में भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि के रूप में असंगठित श्रमिकों संबंधी संगोष्ठी में भागीदारी करने के लिए यू.एस.ए. लंदन (यू.के.) और जर्मनी की यात्रा कर चुके है। 

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