Skip to main content

Rajasthan State Road Development & Construction Corporation Limited - राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लि., जयपुर

राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लि., जयपुर-

राजस्थान राज्य पुल एवं निर्माण निगम लिमिटेड की स्थापना कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 617 के अधीन एक सार्वजनिक कम्पनी के रूप में 08.02.1979 को हुई। 

निगम अपनी स्थापना  से  ही  निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है तथा अपने उद्देश्योँ की पूर्ति हेतु प्रयत्नशील रहा है। राजस्थान राज्य पुल एवं निर्माण निगम लिमिटेड का नाम राजस्थान सरकार के आदेश से दिनांक 19.01.2001 को राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट एण्ड कन्सट्रक्शन काॅरपोरेशन लिमिटेड कर दिया गया है। 
निगम की स्थापना का उद्देश्य राज्य में एक विशिष्ट निर्माण संस्था होना था जो मुख्य रूप से आधुनिक पुलों, सडकों तथा भवनों का कुशलतापूर्वक निर्माण कर सकें। निगम अपने निर्माण कार्यों में आधुनिक तकनीक का उपयोग करता है जैसे प्रीस्ट्रेस कंक्रीट, केन्टीली वर कन्सट्रक्शन एवं प्री कास्ट कंक्रीट, रेडी मिक्स कंक्रीट इत्यादि प्रमुख है। निगम तापीय विद्युत गृह सूरतगढ़, उच्च स्तरीय एवं सबमर्सिबल पुल, बहुमंजलीय इमारतों तथा सड़कों के उच्च स्तरीय निर्माण में सक्षम सिद्ध हुआ है। जैसे कि जोधपुर शहर की सडकों को दो से 6 लेन में परिवर्तित करने, एम्स जोधपुर के आवासीय परिसर एवं झालावाड में सचिवालय, मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल, जयपुर में मेडिकल यूनिवर्सिटी, कर भवन, गणगौरी बाजार में  सैटेलाईट  अस्पताल,  पुलिस  मुख्यालय  जयपुर,  वन  भवन  जयपुर,  सूचना  आयोग  भवन जयपुर,  आयुष  भवन  जयपुर,  माध्यमिक  शिक्षा बोर्ड अजमेर एवं जयपुर इत्यादि के कार्य सफलतापूर्वक  पूरे  किये  है। 

इसके अलावा  निगम  कंक्रीट  तथा  तारकोल  सडको  का  पेवर पद्धति से निर्माण कर रहा है। सड़को के समग्र विकास को तत्परता व योजनाबद्ध तरीके से पूर्ण करने का व इस कार्य को गति देने के उद्देश्य से राजस्थान राज्य पुल एवं निर्माण निगम का नाम बदलकर राजस्थान रोड़ डवलपमेंट एण्ड कन्सट्रक्शन काॅरपोरेशन लि. कर दिया गया है। 
निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग से बी.ओ.टी.पद्धति के आधार पर आवंटित सडक कार्यों का  निष्पादन  कर  रहा  है  तथा  सम्पूर्ण  राजस्थान  के  साथ  मुम्बई  में  भी  निर्माण  कार्य सम्पादित कर रहा है।

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...