Skip to main content

Major Mandi of Rajasthan- राजस्थान की प्रमुख मंडियाँ

क्रम सं.   मंडी नाम स्थान
1 प्याज मंडी     अलवर
2 अमरूद मंडी     सवाईमाधोपुर
3 आंवला मंडी   चौमू (जयपुर)
4 प्‍याज मंडी   रसीदपुरा- फतेहपुर
5 टमाटर मंडी   बस्सी (जयपुर)
6 लहसुन मंडी   छीपा बड़ौदा-छबड़ा (बारां)
7 अश्वगंधा मण्डी    झालरापाटन (झालावाड़)
8 वन उपज मंडी     उदयपुर (अनाज मंडी)
9 मटर मंडी     बसेडी- जयपुर (फ.स)
10 धनिया मंडी     रामगंज मंडी (कोटा)
11 टिण्‍डा मंडी शाहपुरा-जयपुर (फ.स.)
12 मिर्च मंडी टोंक
13 मूंगफली मंडी बीकानेर
14 मेहन्दी मंडी सोजतसिटी-सोजतरोड़ (पाली)
15 फूल मंडी अजमेर (फ.स.) एवं पुष्कर (अजमेर) तथा मुहाना जयपुर
16 जीरा मंडी जोधपुर, मेड़ता सिटी (नागौर), बाडमेर
17 सोनामुखी मंडी सोजतसिटी-सोजतरोड़ (पाली)
18 अजवाईन मंडी कपासन (चित्तौड़गढ़)
19 चना मंडी हनुमानगढ़
20 संतरा मंडी भवानी मंडी (झालावाड़)
21 किन्नू मंडी श्रीगंगानगर
22 ईसबगोल मंडी भीनमाल (जालौर)
22 दलहन मंडी मदनगंज-किशनगढ (अजमेर)


अन्य पार्क व मंडियाँ -

1. राज्य का प्रथम मसाला पार्क - ओसियां जोधपुर (उद्घाटन 2012 में)
2.
राज्य का द्वितीय मसाला पार्क -  रामगंज मंडी, कोटा
3. मसाला मंडी - जालौर
4. मार्बल मंडी - किशनगढ़ (अजमेर)
5. हर्बल पार्क - कोटा
6. पुष्प पार्क - खुशखेड़ा (अलवर)

एगमार्क प्रयोगशालाएं - 

जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, भिवाड़ी, गंगानगर, भरतपुर, अलवर

Comments

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली