Skip to main content

Rajasthan Current Affairs- अरविन्द पानगड़िया बने नए नीति आयोग के उपाध्यक्ष बने-



अरविन्द पानगड़िया बने नए नीति आयोग के उपाध्यक्ष बने-
केन्द्र सरकार ने जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़िया को नवगठित नीति आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सोमवार 3 जनवरी 2015 को यह घोषणा की गई। सरकार ने योजना आयोग की जगह नीति आयोग का पिछले सप्ताह की गठन किया था।
नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष बनाए गए पानगड़िया मूलत राजस्थान के जयपुर निवासी हैं। उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हो जाने के बाद इसी सप्ताह से आयोग कामकाज शुरू कर देगा। इससे पूर्व गुरूवार को योजना आयोग को नीति आयोग का नाम दिया गया है। नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे होगी और इसकी संचालन परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल इसके सदस्य होंगे। आयोग के सदस्य निम्नानुसार है-
पूर्णकालिक सदस्य-
1. अर्थशास्त्री विवेक देबराय
2. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ के पूर्व सचिव डॉ. वी. के. सारस्वत
पदेन सदस्य-
1. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह
2. केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली (पदेन सदस्य)
3. रेल मंत्री सुरेश प्रभु
4. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह
विशेष आमंत्रित सदस्य-
1. केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी
2. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत
3. मानव संसाधन मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी।
बांसवाड़ा के कवि भरतचंद्र को "गुंजन कविता' पुरस्कार -
बांसवाड़ा के कवि भरतचन्द्रशर्मा को वर्ष 2014 के "गुंजन कविता" पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार उनके काव्य संग्रह "सुनो पार्थ' के लिए दिया जाएगा। शर्मा को 10 जनवरी को इन्दौर में आरएनटी मार्ग स्थित श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के ओझा सभागृह में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। समारोह में ''गुंजन सम्मान-2013" अमझेरा-धार के साहित्यकार नवीन माथुर पंचोली को दिया जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड देगा विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति-
राज्य सरकार की ओर से कक्षा 10 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए नई छात्रवृत्ति योजना लागू की गई है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर को कार्यकारी एजेंसी नियुक्त किया गया है। बोर्ड द्वारा इस प्रथम राज्य प्रतिभा खोज परीक्षा का आयोजन 22 फरवरी को सुबह नौ से एक बजे तक किया जाएगा।  परीक्षा के लिए 27 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसमें सभी मान्यता प्राप्त राजकीय, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित मॉडल स्कूल, निजी, कान्वेंट, केन्द्रीय, नवोदय विद्यालयों के सत्र 2014-15 में कक्षा 10 एवं 12 में नियमित रूप से अध्ययनरत विद्यार्थी शामिल हो सकते हैं। परीक्षा एक ही दिन में निरंतर तीन सत्रों में ली जाएगी तथा प्रत्येक सत्र के बाद 15 मिनट का अंतराल रहेगा। प्रथम सत्र में बौद्धिक योग्यता परीक्षा में 50 प्रश्न होंगे, जो 45 मिनट में हल करने होंगे। द्वितीय सत्र भाषा योग्यता परीक्षा का होगा, जिसमें 40 प्रश्न होंगे, जिन्हें 45 मिनट में हल करने होगे। तृतीय सत्र शैक्षिक योग्यता परीक्षा का होगा, जिसमें 90 प्रश्न होंगे, जिन्हें 90 मिनट में हल करना होगा। सभी प्रश्नों के लिये एक-एक अंक निर्धारित है। यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ आधारित होगी। 10 वीं एवं 12 वीं कक्षा में अध्ययनरत ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने कक्षा 9 11 में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हो, वे इस परीक्षा में भाग ले सकते हैं। 10 वीं एवं 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग परीक्षा होगी।
राजस्थान में अब बनेगी आयुष नीति-
आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथी, प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा पद्धतियों के समुचित व सुनियोजित विकास के लिए प्रदेश में अब राजस्थान आयुष नीति बनाई जा रही है। नई आयुष नीति में औषधालय खोलने के लिए मानदंड तय होंगे और मानदंड पूरा किए जाने की स्थिति में ही औषधालय खोले जा सकेंगे। आयुष नीति में रोगों के उपचार के गुणात्मक सेवाओं के साथ आयुष चिकित्सा पद्धति के शिक्षण एवं चिकित्सकों का गुणात्मक उन्नयन भी किया जाना शामिल है। नीति के तहत आयुष चिकित्सा पद्धति की सस्ती एवं प्रभावी औषधियां भी बनाई जाएंगी। आयुष नीति का उद्देश्य जीवनशैली जनित रोगों एवं जीर्ण रोगों के निवारण के लिए आयुष पद्धति में शोध कार्य करवाना और आयुष चिकित्सा पद्धति के प्रति जागरूक करना है। राजस्थान आयुष नीति-2015 का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। शिक्षाविदों एवं आयुष पद्धतियों में रुचि रखने वाले प्रबुद्धजनों से भी सुझाव शामिल किए गए हैं। नीति निर्माण के लिए राज्य सरकार के स्तर पर उच्च तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाना प्रस्तावित किया गया है। यह समिति अलग-अलग विषयों पर पृथक-पृथक कोर समिति बनाकर उस समिति से अलग-अलग विषयों पर विस्तृत नीति एवं कार्ययोजना प्राप्त करके ऐसे समन्वित कर पूरी नीति तैयार कर राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी।

  • इस नीति के तहत औषधालय की आवश्यकता व स्थान का निर्धारण करके उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
  • नीति के तहत आयुष सेवाओं को समसामयिक तथा जन आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं औषधियों के निर्धारण, प्रदत्त सेवाओं व विशेषज्ञ सेवाओं की स्थापना का निर्धारण किया जाएगा।
  • इसमें तकनीकी सहायता केंद्र व शोध कार्य में बढ़ावा दिया जायेगा।
  • आयुर्वेद विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को तकनीकी सहायता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा व शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • पुरानी पांडुलिपियों की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त कर उपयोगी अंशों का प्रकाशन किया जाएगा।
  • आयुष चिकित्सा पद्धति की सस्ती एवं प्रभावी औषधियों के निर्माण के लिए एकल औषधियों के निर्माण का बढ़ावा दिया जाएगा।
  • रसायनशालाओं का आधुनिकीकरण कर उत्पादन में बढ़ोतरी, निर्मित औषधियों की पैकेजिंग प्रणाली में आवश्यक सुधार व रसायनशालाओं के लिए पृथक कैडर बनाया जायेगा।
लोकप्रिय गीतकार पंडित विश्वेस्वर शर्मा का महाप्रयाण-
विरह, शृंगार के रस सिद्ध कवि और हिंदी कवि सम्मेलनों के मंच पर पैरोडी किंग के नाम से मशहूर पंडित विश्वेश्वर शर्मा ने 30 दिसम्बर को 88 वर्ष की उम्र में उदयपुर में देह त्याग दी। काव्य जगत में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए उन्हें पहला काव्यांगन पुरस्कार प्रदान किया गया। पंडितजी ने 85 फिल्मों के लिए गीत लिखे। वे मनोज कुमार की फिल्म संन्यासी के शीर्षक गीत "चल संन्यासी मंदिर में" से लोकप्रियता के शिखर पर चढ़े। उनके गीतों को मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार आदि प्रसिद्ध गायकों ने झूम-झूम कर गाया। पंडितजी ने अपनी किशोरावस्था से ही काव्य रचना प्रारंभ करके सात दशक में विपुल साहित्य की रचना की। उनका एक खंडकाव्य शीघ्र प्रकाशित होने वाला है। उनकी मनवृंदावन और सांस सुमरनी गीत कृतियाँ हिंदी साहित्य की निधि माने जाते हैं।
मनोहर मेवाड़ साहित्य सम्मान-
राव मनोहर सिंह स्मृति न्यास, आइडाणा तथा साकेत साहित्य संस्थान, आमेट के तत्वावधान में 29 दिसम्बर को कांकरोली (राजसमंद) में मनोहर मेवाड़ साहित्य सम्मान समारोह हुआ। वर्ष 2014 के लिए राजस्थानी में डॉ. बस्तीमल सोलंकी भीम, संस्कृत में डॉ. करूणा दशोरा उदयपुर एवं हिन्दी में त्रिलोकमोहन पुरोहित को अतिथियों द्वारा श्रीफल, प्रशस्ति पत्र 5100 रुपए प्रदान कर मनोहर मेवाड़ साहित्य सम्मान से नवाजा गया।
आशा सहयोगिनियों के कार्यों के लिए "आशा सॉफ्ट'-
आशा सहयोगिनियों के कार्यों के लिए नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) जयपुर द्वारा "आशा सॉफ्ट' नामक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है । इस सॉफ्टवेयर में कार्यरत आशाओं की ओर से किए जा रहे काम की हर महीने फीडिंग की जाएगी। इसके आधार पर आशाओं के खाते में ऑनलाइन भुगतान जमा किया जाएगा।
रील को टेक्नोलॉजी के लिए पी.एस.ई. एक्सीलेन्स अवार्ड 2014-
राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड इन्स्ट्रूमेन्ट्स लिमिटेड, (रील) जयपुर को नई दिल्ली में 22 दिसम्बर को आयोजित एक समारोह में "आर एण्ड डी, टेक्नोलॉजी  डवलपमेन्ट’’ के लिए पी.एस.ई. एक्सीलेन्स अवार्ड 2014 से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार का पाँचवाँ संस्करण था जो कि भारतीय वाणिज्य चैंबर द्वारा भारत सरकार के सार्वजनिक उद्योग विभाग के सहयोग से स्थापित किया गया था, जिससे कि केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों देश के आर्थिक, आद्यौगिक और सामाजिक योगदान को पहचाना जा सकें।
अजमेर की संपति देवी को सौंपा प्रदेश का पहला भामाशाह कार्ड-
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सोमवार दिनांक 15 दिसम्बर को भामाशाह योजना के तहत पहला कार्ड अजमेर की संपति देवी को सौंपा। योजना के लॉन्चिग अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना महिलाओं को समर्पित है, ताकि समाज में महिला पुरुषों में समानता सके। यह महिला सशक्तीकरण एवं परिवार आधारित योजना है।  भामाशाह कार्ड योजना को नरेगा, छात्रवृत्ति, बीपीएल योजना के साथ राशन प्रणाली से तो जोड़ा ही जा रहा है, 2015 के अंत तक कार्ड को स्वास्थ्य बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री एक्सीडेंट क्लेम योजना से भी जोड़ दिया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि जनता का धन जनता तक पहुंचे तथा लोगों को इसका लाभ मिले।
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के नवनिर्मित भवन का नामकरण एकलव्य भवन’-
राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर जयपुर स्थित 'राधाकृष्ण शिक्षा संकुल' परिसर स्थित राज्य के नवनिर्मित स्टेट ओपन स्कूल के भवन का नामकरण एकलव्य भवनकिया है।
22वां अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव का बीकानेर में शुभारम्भ-
4 जनवरी को बीकानेर के डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में भारत की रंग-बिरंगी संस्कृति का साकार रूप देखने को मिला। देश के विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने भंगड़ा, गिद्धा, तेरहताली, भवई, आंगी गैर, नाटी, गरबा रास आदि लोकनृत्यों और मशक, भपंग, बीन, अलगोजा एवं खड़ताल जैसे लोक वाद्यों की मधुर स्वरलहरियों से वातावरण को सुमधुर कर दिया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक श्री शशिकांत शर्मा ने शांति का प्रतीक सफेद कपोत और रंग-बिरंगे गुब्बारे हवा में छोड़कर 22 वें अंतर्राष्ट्रीय ऊँट उत्सव के शुभारम्भ समारोह का विधिवत शुभारम्भ किया। इस दौरान संभागीय आयुक्त श्री सुबीर कुमार, जिला कलक्टर सुश्री आरती डोगरा सहित बड़ी संख्या में देशी तथा विदेशी पर्यटक मौजूद थे। इससे पहले जूनागढ़ के आगे से भव्य एवं आकर्षक शोभायात्रा निकली। शोभायात्रा यहां से करणीसिंह स्टेडियम तक पहुंची। शोभायात्रा में सजे-धजे ऊंटों पर पारम्परिक वेशभूषा में रोबीले, सिर पर मंगल कलश लिए हुए महिलाएं, तांगों पर राजस्थानी वेशभूषा में सवार विदेशी सैलानी आमजन के आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे। ये विदेशी पर्यटक खम्मा घणी सा’, ‘पगेलागणाऔर नमस्तेजैसे अभिवादन के साथ सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे। शोभायात्रा में शामिल विभिन्न राज्यों के कलाकारों के करणीसिंह स्टेडियम में पहुंचने के साथ ही भारत की अनूठी अनेकता में एकताकी संस्कृति का साकार रूप देखने को मिला। सुसज्जित ऊंटों पर सवार रोबीलों से शुरू हुआ काफिला देखकर पर्यटकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इसका स्वागत किया। आंगी गैर नृत्य, पंजाब के भंगड़ा-गिद्धा, गुजरात का सिद्ध धमाल, हिमाचल का नाटी नृत्य, गुजरात का गरबा रास, राजस्थान का तेरह ताली, कालबेलिया, भवई नृत्य, ब्रज का मयूर होली आदि लोकनृत्यों की प्रभावमयी प्रस्तुति ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। गुजरात के सिद्धि धमाल नृत्य दल के कलाकार ने हवा में नारियल उछालकर इसे सिर से फोड़ा तो पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। साथ ही विभिन्न लोक कलाकारों ने मशक, खड़ताल, भपंग, बीन आदि लोकवाद्यों की मीठी धुनों से कानों में रस घोला। आर्मी के बेग पाइपर बैंड ने बांधा समा भारतीय सेना के आर्मी बैंड ने आकर्षण वेशभूषा, कदमताल के साथ बेगपाइपर, ढोल और अन्य वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी के साथ दर्शकों को रोमांचित किया। लगभग पंद्रह मिनट तक बैंड वादकों की प्रभावमयी प्रस्तुति ने सभी दर्शकों को बांध के रखा। भटिंडा बैंड वादकों ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। मोटरसाइकिलों पर पारम्परिक वेशभूषा में सजे जवान, ऊंट गाड़ों पर बैठे देशी-विदेशी पर्यटक व लोक कलाकार समारोह की शोभा बढ़ा रहे थे। विभिन्न राजस्थानी आभूषणों एवं रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजे-धजे ऊंट आकर्षण का केन्द्र थे तो ऊंटों की आकर्षक फर कटिंग भी आम दर्शक को प्रभावित कर रही थी। एक ऊंट की पीठ पर प्यारा भारत देश महान्उकेरा गया था तो दूसरे ऊंट की पीठ पर ढोला-मरवण एवं राजस्थानी लोकनृत्यों के दृश्य दर्शाए गए थे। देशी और विदेशी पर्यटकों में इन सभी झांकियों को अपने कैमरों में कैद करने की होड़ सी देखने को मिली।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति की दो दिवसीय यात्रा-
22 दिसम्बर को बांग्लादेश के राष्ट्रपति श्री मोहम्मद अब्दुल हामिद को राज्य की दो दिवसीय यात्रा पूर्ण कर जयपुर से रवाना होने पर सांगानेर हवाई अड्डे पर भावभीनी विदाई दी गई।
डॉ. कुसुम लूनिया को राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान जयपुर-
अखिल भारतीय हिन्दी सेवी संस्थान-इलाहाबाद द्वारा राजस्थान की मूल निवासी तथा दिल्ली में प्रवासी जानी मानी साहित्यकार डॉ. कुसुम लूनिया को वर्ष 2014 के लिए 'राष्ट्रभाषा गौरवकी मानद उपाधि से अलंकृत एवं सम्मानित किया गया है। हिन्दी भाषा की विशिष्ट सेवाओं और उपलब्धियों के आधार पर यह सम्मान प्रदान किया जाता है। साहित्यकार डॉ. लूनिया की 'शाकाहारः श्रेष्ठ आहार', 'ऊँची-उड़ान','शिखर तक चलो' एवं 'युगद्रष्टा' जैसी कृतियां पुरस्कृत एवं चर्चित रही हैं।
गौ सेवा निदेशालय का नाम निदेशालय गोपालन, राजस्थान किया गया-
राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर "गौ सेवा निदेशालय" राजस्थान, जयपुर का नाम परिवर्तित कर "निदेशालय गोपालन,राजस्थान" किया है। पत्र के अनुसार गौ सेवा निदेशालय, राजस्थान के निदेशक का पद भी अब निदेशक, गोपालन के नाम से सम्बोधित किया जाएगा।
कुमारी परिधि जोशी को घुड़सवारी में स्वर्ण पदक-
राजस्थान के डूंगरपुर मूल की कुमारी परिधि जोशी ने नई दिल्ली के आर्मी पोलो एवं राइडिंग क्लब, दिल्ली केंट में आयोजित राष्ट्रीय जूनियर घुड़सवारी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। कुमारी जोशी अभी इंदौर में अध्ययनरत है।
वयोवृद्ध साहित्यकार नन्द चतुर्वेदी पंचतत्व में विलीन-
राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि प्रोफेसर नंद चतुर्वेदी अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका 25 दिसम्बर शाम को हृदयाघात से निधन हो गया। वे 91 साल के थे। साहित्य जगत में 'नंद बाबू के नाम से प्रसिद्ध श्री चतुर्वेदी वर्ष अपने काव्य संग्रह 'गा जिंदगी गा लिखा। वे लंबे समय समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे। श्री नन्द बाबू ने 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उनकी शब्द संसार की विता 'यायावरी' को राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार मीरां पुरस्कार मिला। इसके अलावा के.के. बिड़ला फाउण्डेशन द्वारा बिहारी पुरस्कार, लोकमंगल मुंबई पुरस्कार, अखिल भारतीय आकाशवाणी सम्मान (श्रेष्ठ वार्ताकार) से भी नवाज़ा गया।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली