Skip to main content

समसामयिक घटनाचक्र

सार्क अध्यक्षों व सांसदों के सम्मेलन में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष पर्यवेक्षक

*. दिल्ली में दिनांक 9 से 11 जुलाई 2011 तक आयोजित सार्क अध्यक्षों एवं सांसदों के संघ के पांचवेँ सम्मेलन में
विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया।
सम्मेलन में लोकतंत्र में संसद एवं आम जन में बीच विश्वास को और अधिक सुदृढ़ करने तथा सार्क देशों में सतत् विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
सम्मेलन में सार्क देशों- भारत, श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और पाकिस्तान की संसद के अध्यक्षों एवं सांसदों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में राजस्थान के सांसद डा. महेश जोशी भी उपस्थित थे।

अमिताभ बच्चन अजमेर में

*. प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन 40 साल पहले मांगी गई एक मन्नत का धागा खोलने के लिए 40 बरस बाद गरीब नवाज़ की दरगाह पर 4 जुलाई 2011 को अजमेर आए और जियारत की।

स्वाधीनता सेनानी श्री हुकुमराज मेहता का निधन

* उदयपुर के 87 वर्षीय स्वाधीनता सेनानी श्री हुकुमराज मेहता का निधन दिनांक 10 जुलाई को हुआ। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोक परिषद् सत्याग्रह में 3 माह की तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में साढ़े 21 माह की जेल काटी थी।

उदयपुर का उदय विलास होटल एशिया में नंबर वन

*. अमेरिका की ट्रेवल एंड लेजर मैग्जीन के ताजा सर्वे में ओबेरॉय ग्रुप के उदयपुर के होटल उदय विलास को एशिया में नंबर वन तथा विश्व में पांचवीं रैंक मिली है। गत वर्ष हुए सर्वे में उदय विलास एशिया में चौथे तथा विश्व में 15वें नंबर पर थी।
ऐतिहासिक पीछोला झील के किनारे यह होटल 30 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। होटल में 9 स्वीमिंग पूल हैं। इस होटल में बॉलीवुड के अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, करीना कपूर व सैफ अली खान, हॉलीवुड कलाकार लिज हर्ले सहित कई हस्तियां अपनी छुट्टियां बिता चुके हैं। इसके अतिरिक्त उनके दो अन्य होटलों राजविलास (जयपुर) और अमरविलास (आगरा) को क्रमशः तीसरे एवं चौथे नंबर पर रखा गया है।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली