11 से 18 वर्ष की आयु को किशोरावस्था कहा जाता है। यह अवस्था वयस्क होने के पूर्व का एक महत्त्वपूर्ण समय है। इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक परिवर्तन तेजी से होते हैं। यह मनोवैज्ञानिक विकास की अवस्था है। अतः इस अवस्था में कुपोषण को दूर करने के साथ स्वास्थ्य की देखभाल की जानी चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली बीमारियों को रोका जा सके। किशोरी बालिकाओं के शरीर में लौह तत्व एवं रक्त की कमी होने से उनके कार्य करने व नया सीखने की क्षमता कम हो जाती है। इससे उनके सामाजिक व आर्थिक विकास की गति अवरूद्ध हो जाती है। गर्भावस्था में रक्त की कमी से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसी कारण महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजीव गाँधी किशोरी बालिका सशक्तिकरण योजना (RGSEAG)- 'सबला' प्रारम्भ की गई है।
इस योजना के अंतर्गत राज्य की 11 - 15 वर्ष आयु की स्कूल नहीं जाने वाली तथा 15- 18 वर्ष की सभी बालिकाओं को वर्ष में 300 दिवस पूरक पोषाहार (जिसमें 600 किलो कैलोरी एवं 18 - 20 ग्राम माइक्रो न्यूट्रिएन्ट की मात्रा हो) उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के तहत राज्य में पायलट आधार पर 10 जिलों (भीलवाड़ा, जोधपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर, झालावाड़, डूंगरपुर, बीकानेर, जयपुर, बाड़मेर एवं श्रीगंगानगर) को प्रथम चरण में चयनित किया गया हैं। योजना का प्रारंभ दिनांक 24 जनवरी, 2011 से किया गया।
इस योजना के अंतर्गत राज्य की 11 - 15 वर्ष आयु की स्कूल नहीं जाने वाली तथा 15- 18 वर्ष की सभी बालिकाओं को वर्ष में 300 दिवस पूरक पोषाहार (जिसमें 600 किलो कैलोरी एवं 18 - 20 ग्राम माइक्रो न्यूट्रिएन्ट की मात्रा हो) उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के तहत राज्य में पायलट आधार पर 10 जिलों (भीलवाड़ा, जोधपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर, झालावाड़, डूंगरपुर, बीकानेर, जयपुर, बाड़मेर एवं श्रीगंगानगर) को प्रथम चरण में चयनित किया गया हैं। योजना का प्रारंभ दिनांक 24 जनवरी, 2011 से किया गया।
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