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राजस्थान समसामयिकी- अलवर के टपुकड़ा में विकसित होगी अपेरल सिटी

बड़े शहरों में श्रमिकों की भारी समस्या को देखते हुए अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ए. ई. पी. सी.) ने अब गाँवों के आसपास अपैरल सिटी विकसित करने का फैसला किया है।
इस दिशा में सर्वप्रथम राजस्थान अपैरल सिटी की स्थापना अलवर जिले के टपूकड़ा में 250 एकड़ में विकसित की जाएगी। यह विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस होगी और यहाँ श्रमिकों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ( रीको ) ने ए. ई. पी. सी. की इस बड़ी परियोजना को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है और शीघ्र ही टपुकड़ा में भूमि भी दे दी जाएगी।
मानेसर से लगभग 40 किमी दूर बनने वाली इस अपैरल सिटी में 1000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की आशा है। अगले पाँच साल के दौरान इस सिटी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। रीको ने इस परियोजना के लिए टपुकड़ा में जमीन चिह्नित कर ली है एवं अगले एक-दो सप्ताह में ए. ई. पी. सी. को 250 एकड़ जमीन सौंप दी जाएगी। ए.ई.पी.सी. स्पेशल परपस व्हीकल्स (एस.पी.वी.) के जरिए यहाँ अपैरल सिटी विकसित करेगी।
ए.ई.पी.सी. के अनुसार भारत से निर्यात होने वाले 40 प्रतिशत अपैरल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( एन.सी.आर. ) में तैयार किए जाते हैं, जिनमें दिल्ली, गुड़गाँव, नोएडा, फरीदाबाद, पानीपत और सोनीपत शामिल हैं। इन इलाकों में श्रमिकों की भारी किल्लत होती जा रही है और उनके न्यूनतम पारिश्रमिक में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारी प्रतिस्पर्धा के कारण दिल्ली एवं हरियाणा के अपैरल निर्यातक किसी और राज्य में अपनी यूनिट स्थापित करने की तलाश में है। इन्हीं कारणों से ए.ई.पी.सी. ने राजस्थान सरकार से अपैरल सिटी के लिए भिवाड़ी इलाके में जगह देने की मांग की थी। ऐसे में श्रमिकों को बड़े शहरों में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा अपैरल निर्माताओं को भी दिल्ली एवं गुड़गाँव के मुकाबले कम पारिश्रमिक पर भी श्रमिक मिल जाएंगे। ए.ई.पी.सी. राजस्थान के अतिरिक्त महाराष्ट्र, उड़ीसा व बिहार में भी अपैरल सिटी बनाने की योजना तैयार कर रही है।
योजना के अनुसार राजस्थान अपैरल सिटी में उत्पादन की सभी प्रकार की सुविधाओं के साथ इसके लॉजिस्टिक का भी प्रबंध होगा। इस सिटी में अपैरल ट्रेनिंग एंड डिजाइन सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे और श्रमिकों को कम लागत वाली आवासीय सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी।

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