Skip to main content

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज -
18 मार्च 2011

1. राजस्थान के एकीकरण के चतुर्थ चरण में किस शहर को वृहद राजस्थान की राजधानी बनाया गया?

उत्तर - जयपुर को

2. राजस्थान के एकीकरण के चतुर्थ चरण में 30 मार्च 1949 को बने वृहद राजस्थान का राजप्रमुख किसे बनाया गया था?

उत्तर - मानसिंह II को

3. राजस्थान के एकीकरण के चतुर्थ चरण में 30 मार्च 1949 को बने वृहद राजस्थान का मुख्यमंत्री { प्रथम मुख्यमंत्री } किसे मनोनीत किया गया था?

उत्तर - हीरालाल शास्त्री को

4. राजस्थान के एकीकरण के चतुर्थ चरण में 30 मार्च 1949 को बने वृहद राजस्थान का उद्घाटन किसने किया था?

उत्तर - सरदार वल्लभ भाई पटेल ने

5. राजस्थान दिवस 30 मार्च को क्यों मनाया जाता है?

उत्तर - राजस्थान के एकीकरण के चतुर्थ चरण में 30 मार्च 1949 को वृहद राजस्थान बनने के कारण

6. राजस्थान एकीकरण के पंचम चरण में 15 मई 1949 को मत्स्य संघ, वृहद राजस्थान और नीमराना ठिकाने को संयुक्त कर बनाए गए राज्य का नाम क्या रखा गया?

उत्तर - संयुक्त वृहद राजस्थान

7. राजस्थान एकीकरण के पंचम चरण में 15 मई 1949 को गठित संयुक्त वृहद राजस्थान की राजधानी क्या थी?

उत्तर - जयपुर

8. राजस्थान एकीकरण के पंचम चरण में 15 मई 1949 को गठित संयुक्त वृहद राजस्थान के मुख्यमंत्री कौन थे?

उत्तर - हीरालाल शास्त्री

9. राजस्थान एकीकरण के पंचम चरण में 15 मई 1949 को गठित संयुक्त वृहद राजस्थान के राजप्रमुख कौन थे?

उत्तर - मानसिंह

10. राजस्थान एकीकरण के छठे चरण में राजस्थान संघ के रूप में राज्य का गठन किस दिन किया गया?

उत्तर - 26 जनवरी 1950

11. राजस्थान एकीकरण के छठे चरण में गठित राजस्थान संघ का निर्माण संयुक्त राजस्थान में किसे मिला कर किया गया?

उत्तर - सिरोही के कुछ भाग को मिलाकर

12. राजस्थान एकीकरण के छठे चरण में बने राजस्थान संघ के मुख्यमंत्री कौन थे?

उत्तर - हीरालाल शास्त्री

13. राजस्थान एकीकरण के छठे चरण में बनाए गए राजस्थान संघ के राजप्रमुख कौन थे?

उत्तर - मानसिंह

14. राजस्थान एकीकरण के अंतिम चरण किस दिनांक को संपन्न हुआ जिससे राज्य का वर्तमान स्वरूप बना?

उत्तर - 1 नवम्बर 1956 को

15. राजस्थान एकीकरण के अंतिम चरण में राजप्रमुख का पद समाप्त कर राज्यपाल पद का सृजन किया गया। इस समय प्रथम राज्यपाल किसे बनाया गया?

उत्तर - सरदार गुरुमुख निहालसिंह

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली