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How to cultivate guar कैसे करें ग्वार की खेती

कैसे करें ग्वार की खेती - How to cultivate guar दलहनी फसलों में ग्वार का भी विशेष योगदान है। ग्वार की फसल प्रमुख रूप से पशु चारे की फसल के रूप में उगाई जाती है, किन्तु इसे गोंद के लिये पैदा करना ज्यादा लाभदायक है, क्योंकि इसका औद्योगिक महत्व है। यह फसल राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में ली जाती हैं। भारत में ग्वार की फसल के का क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान राज्य अग्रणी है। ग्वार के गोंद का विदेशों में निर्यात किया जाता है। इसके दाने मे 18% प्रोटीन, 32% रेशा तथा दाने के इन्डोस्पर्म में लगभग 30-33% गोंद पाया जाता है। ग्वार की फसल के लिए आवश्यक जलवायु - ग्वार एक उष्ण कटिबन्धीय पौधा है। इसको गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। अच्छे अंकुरण के लिये इसकी बुवाई के समय 30-35 डिग्री सेन्टीग्रेड तापक्रम होना चाहिए जबकि 32-38 डिग्री सेन्टीग्रेड तापक्रम पर इसकी वानस्पतिक वृद्धि अच्छी होती है किन्तु फूल वाली अवस्था में अधिक तापक्रम के कारण फूल गिर जाते है। यह 45-46 सेन्टीग्रेड तापक्रम को सहन कर सकती है। वातावरणीय आर्द्रता कई बीमारी जैसे जीवाणु पत्

24 होम्योपैथी औषधियों के उपयोग हेतु ए.एन.एम., आंगनबाडी कार्यकर्ता तथा आशा सहयोगिनियां अधिकृत

24 होम्योपैथी औषधियों के उपयोग हेतु ए.एन.एम., आंगनबाडी कार्यकर्ता तथा आशा सहयोगिनियां अधिकृत प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर होम्योपैथी चिकित्सा से संबंधित 24 औषधियॉ भी उपलब्ध करवाई जाएगी। इन 24 होम्योपैथी औषधियों का उपयोग करने के लिए ए.एन.एम., आंगनबाडी कार्यकर्ता तथा आशा सहयोगिनियों को अधिकृत किया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने 17 अक्टूबर को बताया कि होम्योपैथी चिकित्सा विभाग द्वारा गठित समिति की अभिशंषा के उपरान्त यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि जिला कलक्टर, झुंझुनू द्वारा जिले में कार्यरत ए.एन.एम., आंगनबाडी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनियों को होम्योपैथी दवाओं के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद उन्हें चिन्हित 24 होम्योपैथी दवाओं का उपयोग करने के लिए अधिकृत करने के संबंध में होम्योपैथी चिकित्सा विभाग द्वारा एक विशेष समिति का गठन किया गया। राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना में होम्योपैथिक दवाओं को शामिल कराने ब

khadya suraksha mitra yojna खाद्य सुरक्षा मित्र योजना जानें क्या है

‘ईट राइट इंडिया’ अभियान को सुदृढ़ करने के लिए खाद्य सुरक्षा मित्र (एफएसएम) योजना प्रारम्भ - केन्द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 16 OCT 2019 को नई दिल्‍ली में विश्‍व खाद्य दिवस 2019 मनाये जाने के लिए आयोजित समारोह में ‘ ईट राइट जैकेट ’ और ‘ ईट राइट झोला ’ के साथ-साथ ‘ खाद्य सुरक्षा मित्र (एफएसएम) ’ योजना का भी शुभारंभ किया , ताकि खाद्य सुरक्षा व्‍यवस्‍था को मजबूत किया जा सके और इसके साथ ही ‘ ईट राइट इंडिया ’ अभियान को व्‍यापक बनाया जा सके। विश्‍व खाद्य दिवस 2019 की थीम ‘ शून्‍य भूखमरी वाली दुनिया के लिए स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक भोजन' है। क्या है ‘ खाद्य सुरक्षा मित्र ’ योजना- ‘ खाद्य सुरक्षा मित्र ’ योजना छोटे एवं मझोले खाद्य व्‍यवसायियों के लिए खाद्य सुरक्षा कानूनों का पालन करने और लाइसेंस एवं पंजीकरण , स्वच्छता रेटिंग तथा प्रशिक्षण को सुविधाजनक बनाने के लिए लागू की गई है। खाद्य सुरक्षा मित्र FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India- भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ) द्वारा प्रमाणित एक व्यक्तिगत पेशेवर है, जो तीन अवतारों-

खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोड़ने के लिए शिविर 16 अक्टूबर से -

31 श्रेणियों के पात्र व्यक्तियों के खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जोड़ने के लिए शिविर 16 से 23 अक्टूबर तक - जयपुर, 15 अक्टूबर। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अन्तर्गत 31 श्रेणियों के पात्र व्यक्तियों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची में जोड़ने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नगर निगम के सहयोग से आठों जोन में 16 से 23 अक्टूबर तक लगाए जाने वाले शिविरों की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं एवं अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित कर दी गई है।  जिला कलक्टर श्री जगरूप सिंह यादव ने बताया कि ये शिविर सभी जोन में प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक लगाए जाएंगे। शिविर के आयोजन में लगे सभी कार्मिकों को निर्देशित किया है कि खाद्य सुरक्षा मेें नाम जोडे़ जाने की पात्र 31 श्रेणियों के एक भी व्यक्ति का नाम जुड़ने से छूटना नहीं चाहिए। इसी तरह किसी अपात्र का नाम सूची में जुड़ना नहीं चाहिए। आवेदन में कमी या अपूर्ण दस्तावेज होने की स्थिति में उन दस्तावेजों की पूर्ति के लिए सहयोग किया जाए। सभी काउंटर पर किए जाने वाले काम के बारे में आवेदकों जानकारी देने के लिए स्वयंसेवक उपलब्ध रहें और पूर्ण आवेदनों को उसी समय

राज्य मंत्रिमण्डल की कैबिनेट की बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय - मेयर, सभापति एवं चेयरमैन के चुनाव अब अप्रत्यक्ष प्रणाली से

राज्य मंत्रिमण्डल की कैबिनेट की बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय - मेयर, सभापति एवं चेयरमैन के चुनाव अब अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे - जयपुर, 14 अक्टूबर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय किए गए। कैबिनेट ने यह निर्णय किया कि प्रदेश में नगरीय निकायोें में नगर निगम मेयर, नगर परिषद् सभापति एवं नगर पालिका चेयरमैन के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ना होकर अप्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। मंत्रिमंडल ने समाज में सहिष्णुता, समरसता, प्रेम और भाईचारा बनाए रखने, जनप्रतिनिधियों की लगातार मांग एवं व्यापक जनहित में यह निर्णय लिया है।   मीसा, डीआईआर तथा सीआरपीसी बंदियों की पेंशन एवं परिलाभ बंद-- कैबिनेट ने अहम निर्णय करते हुए मीसा, डीआईआर तथा सीआरपीसी बंदियों को पिछली सरकार के समय शुरू की गई पेंशन, चिकित्सा सुविधा एवं अन्य परिलाभ बंद करने को मंजूरी दी है। मंत्रिमण्डल ने इसके लिए राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम, 2008 को निरस्त कर दिया है। इससे राजकोष पर पडने वाला करीब 40 करोड़ रूपये स

राजस्थान मत्स्य पालन प्रश्नोत्तरी

राजस्थान मत्स्य पालन प्रश्नोत्तरी- S. No. Question / प्रश्‍न Answer / उत्‍तर 1  मछली बीज उत्पादन का समय?  मानसून आने पर जून जुलाई माह में।  2  मछली बीज उत्पादन की विधि?  प्रेरित प्रजनन विधि।  3  हैचरी में कैसे उत्पादन होता है?   नर व मादा मछली को हारमोन्स का इन्जेक्शन देकर पानी का प्रवाह कर प्रजनन करवाया जाता है।  4  मछली बीज पालने हेतु किस अवस्था का संचय करना चाहिये?  1. बड़े तालाबों में आंगुलिक अवस्था। 2. मध्यम व छोटे तालाब में फ्राई अवस्था। 3. स्वयं के तालाब एवं ग्रामीण पोखरों में फ्राई अवस्था।  5  मछली बीज संचय की दर क्या होनी चाहिये?  1. बड़े तालाबों में 500 आंगुलिक प्रतिहेक्टर। 2. मध्यम व छोटे तालाब में 5000 प्रति हेक्टर फ्राई। 3. स्वयं के तालाब एवं ग्रामीण पोखरों में 20 से 25 हजार स्पान प्रति हैक्टर।  6  यदि छोटा बीज प्राप्त कर उसे पाला जाये तो कितने दिनों में बड़ा होगा?   20-30 दिनों में यह बड़ा हो जायेगा, जो पालने योग्य उत्तम सार्इज है।  7  बीज को पालने में क्या भोजन देना चाहिये?  बच्चे के विकास हेतु सरसों की खल व चावल की भूसी, एग्रीमिन कृत्रिम भोजन के रूप म

Centre of Excellence for Horticultural Crops in Rajasthan

राजस्थान में उद्यानिकी फसलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र- Centre of Excellence for Horticultural Crops in Rajasthan: किसानों और विस्तार श्रमिकों के लिए आधुनिक गहन फसल प्रौद्योगिकी, फसल प्रबंधन तरीकों और मानव संसाधन विकास सुविधाओं के प्रदर्शन के लिए राजस्थान की राज्य सरकार ने छह अलग-अलग "उत्कृष्टता केंद्र ( Centre  of Excellence) " स्थापित किए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य ज्ञान, प्रौद्योगिकी के पारस्परिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और किसानों का उपयुक्त प्रौद्योगिकी के साथ मार्गदर्शन करना है।  राज्य में फसल विविधिकरण द्वारा कृषकों को अधिक उत्पादन, प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक लाभ, अधिक रोज़गार सृजन एवं टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने हेतु फसल विशेष के सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स (उत्कृष्टता केन्द्रों) की स्थापना की गई है। इन केंद्रों पर चिह्नित फसल विशेष से जुड़े समस्त उन्नत तकनीक का प्रदर्शन किया जाकर कृषकों को जानकारी दी जाती है। इस हेतु राज्य में 9 उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये गये हैं। उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा फसल विशेष से जुड़ी आधुनिक तकनीक के साथ उपयुक्त किस्मों गुणवत्ता पूर्ण पौधर