Skip to main content

Posts

Showing posts with the label योजनाएँ

Firewood free village scheme जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना-

जलाऊ लकड़ी मुक्त ग्राम योजना- टाईगर रिजर्व क्षेत्रों में गैस कनेक्शन वितरण योजना ग्रामीण लोग र्इंधन की आवश्यकताओं और प्रायः अपनी आजीविका के लिए भी वन संसाधनों एवं वन उत्पादों पर निर्भर रहते हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी घरेलू र्इंधन का परम्परागत स्त्रोत रही है, जो प्रायः क्रय नहीं की जाकर संरक्षित क्षेत्रों व वन क्षेत्रों से एकत्रित की जाती रही है। संरक्षित क्षेत्रों और उनके आस-पास के क्षेत्रों से जलाऊ लकड़ी एकत्रित करने से वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास खत्म होता है। इससे वन्यजीव एवं मानव के बीच संघर्ष बढ़़ता है एवं वन्यजीवों तथा स्थानीय लोगों दोनों के लिए संकट उत्पन्न होता है। सबसे अधिक समस्या टाईगर रिजर्व के सन्दर्भ में देखी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों विशेषतः संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास के गांवों में रहने वाली महिलाओं का काफी समय जलाऊ लकड़ी एकत्रित करने में व्यतीत होता है। इस कारण अन्य आय सृजन गतिविधियों एवं गृह कार्यों के लिए उनके पास अपेक्षाकृत कम समय उपलब्ध हो पाता है। चूल्हे के धुएं से महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आवश्यकता इस बात की है क

Co-operative Schemes and Major Co-operative Institutions in Rajasthan - राजस्थान में सहकारिता की योजनाएँ एवं प्रमुख सहकारिता संस्थाएं

राजस्थान में सहकारिता का इतिहास करीब एक शताब्दी पुराना है। समय गुजरने के साथ-साथ सहकारी संस्थाएं लगातार मजबूत होती गई। आज स्थिति यह है कि सहकारिता आंदोलन से किसान और ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी समुदाय भी लाभान्वित होने लगा है। सहकारिता आंदोलन की इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि आज बड़ी संख्या में महिलाएं भी सहकारिता से जुड़ रही हैं। महिला कल्याण में सहकारिता आंदोलन की बड़ी भूमिका है। करीब साढ़े चार हजार विभिन्न सहकारी संस्थाओं से जुड़कर महिलाएं अपना और अपने आसपास के लोगों का जीवन बेहतरी की ओर मोड़ चुकी हैं। आज गांवों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी सहकारी संस्थाओं ने अपनी पहचान बनाई है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के लिए जहां उपभोक्ता भण्डारों के प्रति लोगों में विश्वास है, वहीं बीमारी की स्थिति में उपभोक्ता दवा केन्द्र आमजन और पैंशनर्स के लिए एक मिशन की तरह काम कर रहे हैं। सहकारिता का सिद्धान्त परस्पर सहयोग की भावना पर आधारित है, जिसका मूल मंत्र है ’’एक सबके लिए-सब एक के लिए’’। राजस्थान में सबसे पहले वर्ष 1904 में अजमेर में सहकारिता की शुरुआत हुई, इसके बाद भरतपुर में 1915,

राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा 'खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग'

 राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं खाद्य  एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राज्य के सभी श्रेणी के परिवारों यथा- बीपीएल, एपीएल, अन्त्योदय आदि के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन राज्य में आरम्भ से ही किया जा रहा है। देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्गम 1960 के दशक में हुई खाद्यान्नों की अत्यधिक कमी हो जाने से कमी वाले शहरी क्षेत्रों में खाद्यान्नों का वितरण करने पर ध्यान केन्द्रित करके हुआ था।  इसके बाद हरित क्रांति के अंतर्गत चूंकि राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई थी, इसलिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार 1970 और 1980 के दशकों में आदिवासी ब्लॉक्स और अत्यधिक गरीबी वाले क्षेत्रों के लिए किया गया था।  वर्ष 1992 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली विशेष लक्ष्यों के बगैर सभी उपभोक्ताओं के लिए एक सामान्य पात्रता योजना थी।  सम्पुष्ट सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1992 में सम्पूर्ण देश में प्रारंभ की गई।  लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1997 में प्रारंभ की गई थी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की स्थापना - राज्य में वर्ष 1964 तक खाद्य एवं सहायता विभाग एक सं

Annapurna Bhandar Scheme of Rajasthan राजस्थान की अन्नपूर्णा भंडार योजना

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के क्षेत्र में नई पहल - अन्नपूर्णा भंडार राज्य में आमजन को कम दामों पर परिवार की जरूरत से जुड़े सभी उपभोक्ता वस्तुओं एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में ही नहीं वरन देश में पहली बार एक अनूठी योजना "अन्नपूर्णा भण्डार योजना’’ वर्ष 2015 में लागू की गई। राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के इतिहास में सार्वजनिक निजी सहभागिता का एक नया दौर शुरू हुआ है। इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मॉल की तरह ’"अन्नपूर्णा भण्डार योजना" विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य - सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी सहभागिता के माध्यम से जनसाधारण को उचित मूल्य दुकानों द्वारा उच्च गुणवत्ता की मल्टीब्रांड उपभोक्ता वस्तुएं उचित एवं प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध कराना। उद्घाटन -   राज्य सरकार ने अन्नपूर्णा भंडार योजना का श्री गणेश 31 अक्टूबर, 2015 को जयपुर जिले की झोटवाडा पंचायत समिति के गांव भंभोरी से किया गया।  इस योजना को प्रारंभ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर में पांच और उदयपु

Janta Jal Yojana Rajasthan - राजस्थान की जनता जल योजना

Janta Jal YojanaRajasthan - राजस्थान की जनता जल योजना जनता जल योजना जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग की वे पेयजल योजनाएं हैं जिनको जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग द्वारा तैयार करने के उपरान्त, संचालन हेतु ग्राम- पंचायतों को सुुपुर्द की जाती रही हैं। वित्त विभाग की टीप दिनांक 1.11.10 के क्रम में इन योजनाओं के संचालन हेतु देय अनुदान-1 अप्रैल, 2011 से सीधे ही पंचायती राज विभाग के बजट मद में दिया जा रहा है। बीकानेर एवं जैसलमेर ज़िलों को छोड़कर, शेष 31 ज़िलों की 222 पंचायत समितियों में 6523 जनता जल योजनाएं संचालित हैं, जिनमें 7301 अंशकालीन पम्प चालक कार्यरत हैं। इन योजनाओं का संचालन ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है।  योजना के उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करना। योजना के लाभ-  इन योजनाओं के संचालन व संधारण हेतु वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा निम्न अनुदान दिया जा रहा है: विद्युत खर्च - वास्तविक उपभोग के आधार पर, विद्युत खर्च हेतु पूर्ण राशि दी जा रही है। पम्प संचालन कर्मी (अंशकालीन श्रमिक) को- पम्प संचालन के लिए रूप

State Finance Commission, Rajasthan- राजस्र्थान का राज्य वित्त आयोग

State Finance Commission-IV चतुर्थ राज्य वित्त आयोग चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का गठन महामहिम राज्यपाल राजस्थान के आदेश दिनांक- 11 अप्रैल, 2011 (अधिसूचना सं. एफ-4(1)एफ.डी./एफ.सी.एण्ड ई.एडी./एस.एफ.सी./2009 दिनांक 13.4.2011) द्वारा अपनी रिपोर्ट 31 दिसम्बर, 2011 तक देने की आज्ञा के साथ किया गया। योजना में उपलब्ध राशि में से-ज़िला परिषद् को 3 प्रतिशत, पंचायत समिति को 12 प्रतिशत तथा ग्राम पंचायतों को 85 प्रतिशत के अनुपात में अनुदान राशि आवंटित होती है। योजना के उददेश्‍य ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति संबंधी सेवा प्रदायगी व्यवस्थाओं को सृदृढ़ बनाने एवं इसे सुव्यवस्थित करने हेतु आपूर्ति व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना। ग्रामीण स्वच्छता एवं मलजल व्यवस्था तथा ठोस अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन की व्यापक अवधारणा के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक संस्थाओं, सामुदायिक परिसंपत्तियों तथा विद्यालयों आदि में स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु शौचालयों/मूत्रालयों का निर्माण कराने, ग्रामीण परिवारों के आवास गृहों में निजी शौचालय स्थापित करने को प्रोत्साहित करने, अप

राजस्थान की रियायती दर पर आवासीय भूखण्ड का आंवटन योजना-

राजस्थान की रियायती दर पर आवासीय भूखण्ड का आंवटन योजना- राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के नियम 158 के प्रावधानों में संशोधन कर राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर वर्गों के परिवारों को पंचायत 300 वर्ग गज तक की भूमि रियायती दरों (2 रूपये से 10 रूपये, प्रति वर्ग मीटर) पर आंवटित की जा सकेगी। ग्रामीण क्षेत्रों के निम्नांकित कमजोर वर्गों के ऐसे परिवार जिनके पास स्वयं के गृह स्थल/गृह नहीं हो, पात्र हैं- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के परिवार स्वच्छकारों व पिछडे़ वर्गों के परिवार ग्रामीण कारीगर (आर्टिजन के परिवार) श्रम मजदूरी पर आधारित भूमिहीन परिवार विकलांग व्यक्ति गाडिया लुहार, यायावर (घुमक्कड) जनजातियों के परिवार ऐसे बाढ़ग्रस्त परिवार जिनके गृह बाढ़ में बह गये हैं या गृह या गृह स्थल बाढ़ के कारण भावी निवास हेतु अयोग्य हो गये हैं। सरहद पर पूर्व सैनिक प्राथमिकता-  पात्र परिवार के उन परिवारों को प्राथमिकता दी जावेगी जिन्होंने परिवार नियोजन को स्थायी रूप से अपना लिया है। उपरोक्त पात्र परिवारों के वयस्क विवाहित पुत्र जो इनके साथ एक ही स्थान पर रहता है किन्तु अब वह पृथक से

दीनदयाल उपाध्याय आदर्श ग्राम योजना

दीनदयाल उपाध्याय आदर्श ग्राम योजना 1-उद्देश्यः- राजस्थान राज्य की लगभग 77 प्रतिशत जनसंख्या 39753 गांवों में निवास करती है । ग्रामीण विकास की अनेक योजनाओं के उपरान्त भी अधिकांश ग्रामों में कुछ आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, बिजली, सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं आदि मूलभूत सुविधाओं की मांग निरन्तर बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र की आबादी का पलायन शहरों की ओर होने लगा है। ग्रामीण विकास की वर्तमान अवधारणा पर पुनःविचार कर गांवों के समग्र विकास की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि वहां के लोगों को आर्थिक एवं सामाजिक आधारभूत सुविधाऐं उपलब्ध हो सके एवं उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2006-07 से ‘‘दीनदयाल उपाध्याय आदर्श ग्राम योजना’’ प्रारम्भ करने का निर्णय लिया। 2-चयनः- राज्य के सभी छोटे-बड़े ग्रामो में सामाजिक एवं आर्थिक आधारभूत सुविधाएं एक साथ उपलब्ध कराया जाना सम्भव नहीं है। प्रथम चरण में राज्य सरकार ने वर्ष 2006-07 में 50 गांवों को ‘‘दीनदयाल उपाध्याय आदर्श ग्राम’’ बनाने का न

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं -

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) देश में पहली बार तैयार की गई इस तरह की राष्‍ट्रीय योजना है। एनडीएमपी की मुख्‍य विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं : ·         एनडीएमपी आपदा जोखिम घटाने के लिए सेंडैई फ्रेमवर्क में तय किए गए लक्ष्‍यों और प्राथमिकताओं के साथ मौटे तौर पर तालमेल करेगा। ·         योजना का विजन भारत को आपदा मुक्‍त बनाना है, आपदा जोखिमों में पर्याप्‍त रूप से कमी लाना है, जान-माल, आजीविका और संपदाओं- आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक, सांस्‍कृतिक और पर्यावरणीय- के नुकसान को कम करना है, इसके लिए प्रशासन के सभी स्तरों और साथ ही समुदायों की आपदाओं से निपटने की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। ·         प्रत्‍येक खतरे के लिए, सेंडैई फ्रेमवर्क में घोषित चार प्राथमिकताओं को आपदा जोखिम में कमी करने के फ्रेमवर्क में शामिल किया गया है। इसके लिए पांच कार्यक्षेत्र निम्‍न हैं :   जोखिम को समझना   एजेंसियों के बीच सहयोग   डीआरआर में सहयोग – संरचनात्‍मक उपाय   डीआरआर में सहयोग – गैर-संरचनात्‍मक उपाय