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राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा विधान सभा में दिए अभिभाषण का मूल पाठ | Governor Shri Kalraj Mishra's Abhibhashan in Vidhansabha's 15th session

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा पन्द्रहवीं राजस्थान विधान सभा के छठे सत्र में दिए अभिभाषण का मूल पाठ माननीय अध्यक्ष महोदय एवं माननीय सदस्यगण, पन्द्रहवीं विधान सभा के षष्ठम् सत्र के शुभारम्भ के अवसर पर मैं माननीय सदस्यों का अभिवादन करता हूँ और राज्य सरकार को प्रदेश के निरन्तर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिये बधाई देता हूँ। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण वर्ष 2020 में अनेक कटु अनुभवों का एहसास करना पड़ा। मुझे विश्वास है कि नववर्ष 2021 हम सबके लिये निरोगी, सुखद, वैभवशाली एवं मंगलमय होगा। 2. मेरी यह अपेक्षा है कि माननीय सदस्यगण इस सत्र में गहन चिन्तन और विचार-विमर्श कर प्रदेश की प्रगति, समृद्धि और चहुंमुखी विकास के लिये अपने ठोस सुझावों से सरकार को आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। 3. मुझे यह बताते हुये हर्ष है कि राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे विभिन्न नवाचारों से प्रदेश को नई पहचान मिली है। महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांतों पर चल रही प्रदेश सरकार ने समृद्ध एवं विकसित राजस्थान के नवनिर्माण की परिकल्पना को नई दिशा देने के लिये हर सम्भव प्रयास किये हैं। 4. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान

राजस्थान मंत्रिमण्डल की बैठक में राज्य आयुष नीति को मंजूरी एवं अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय

राजस्थान मंत्रिमण्डल की बैठक में राज्य आयुष नीति को मंजूरी एवं अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय- मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार 09 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री निवास पर हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में निम्न महत्वपूर्ण निर्णय किये गये-   राजस्थान राज्य आयुष नीति- 2020 का अनुमोदन - मंत्रिमण्डल ने राज्य में आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के संवर्धन तथा सुनियोजित विकास के उद्देश्य से राजस्थान राज्य आयुष नीति-2020 का अनुमोदन किया है। इस नीति के आने से आयुष चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से स्वास्थ्य संवर्धन एवं रोगों के उपचार के लिए गुणात्मक सेवाऎं उपलब्ध होंगी। साथ ही आयुष चिकित्सा शिक्षा संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता में उन्नयन होगा और उच्च गुणवत्ता की आयुष औषधियों का निर्माण हो सकेगा।    स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के क्रियान्वयन के लिए ‘राजस्थान राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) सोसायटी का  गठन को मंजूरी - मंत्रिमण्डल ने राज्य में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के क्रियान्वयन के लिए पंजीकृत सोसायटी के गठन को भी मंजूरी दी है। इससे मिश

आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय का नवीन वेब पोर्टल-'पीएसआर' ई-गवर्नेंस अवार्ड के लिए चयनित

आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय का नवीन वेब पोर्टल ई-गवर्नेंस अवार्ड के लिए चयनित जयपुर 10, फरवरी। आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के नवीन विभागीय वेब पोर्टल प्राइस स्टेटिस्टिक्स इन राजस्थान ( पीएसआर )  Price Statistics In Rajasthan   https://psr.raj.nic.in/ को स्टेट गवर्नमेंट एंटीटी के रूप में अठाहरवें सीएसआई ई-गवर्नेस अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव डॉ. ओम प्रकाश बैरवा ने बताया कि विभाग का नया वेब पोर्टल Price Statistics In Rajasthan https://psr.raj.nic.in/ राज्य के 33 जिला सांख्यिकी कार्यालय और 47 कृषि उपज व फल मण्डी समितियों के आंकडों को सुगमता सरलता और शीघ्रता से प्रस्तुत करता है। मूल्य सांख्यिकी के नवीनतम समंक, जनसामान्य को इस वेब पोर्टल के माध्यम से शीघ्रता से उपलब्ध हो रहे है। श्री बैरवा ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से ई-गवर्नेंस को अधिक प्रभावशाली बनाये जाने के लिए नवाचारों पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निदेशालय के प्राईस स्टेटिस्टिक्स इन राजस्थान (पीएसआर) पोर्टल https://psr.raj.nic.

क्या है केंद्र सरकार की नई योजना स्वामित्व योजना | राजस्थान में भी लागू होगी 'स्वामित्व' योजना | Know about new SWAMITVA Yojna

क्या है केंद्र सरकार की नई योजना स्वामित्व, राजस्थान में भी लागू होगी 'स्वामित्व' योजना केंद्र सरकार ने बजट में एक नई योजना 'स्वामित्व' SWAMITV Yojna के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।  इस SWAMITV Yojna योजना के तहत गाँव में रहने वाले लोगों को ग्रामीण रिहायशी इलाकों में घर और प्रॉपर्टी कार्ड जारी करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक की मदद से सर्वेक्षण किया जाएगा।  वास्तव में, स्वामित्व योजना SWAMITVA Yojna गांव की संपत्तियों के सही आकलन करने का प्रयास है, जिसके तहत देश के सभी गांवों की संपत्ति की ड्रोन से मैपिंग की जाएगी और गांव के लोगों को एक मालिकाना प्रमाणपत्र दिया जाएगा। स्वामित्व योजना के पहले चरण को 79.65 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है।  इस पायलट चरण के दौरान , यह योजना 9 राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है।  31 जनवरी, 2021 तक लगभग 23,300 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।  लगभग 1,432 गांवों के 2

राजस्थान एक देश, एक राशन कार्ड सुधार को लागू करने वाला 12वां राज्य बना | Rajasthan becomes 12th state to implement one nation, one ration card reform

राजस्थान एक देश, एक राशन कार्ड सुधार को लागू करने वाला 12वां राज्य बना राजस्थान को 2,731 करोड़ रुपए अतिरिक्त उधारी की अनुमति जारी राजस्थान वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा निर्धारित सुधार एक देश, एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card) व्यवस्था को लागू करने वाला देश का 12वां राज्य बन गया है। इस प्रकार से राज्य खुले बाजार से उधारी के माध्यम से 2,731 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने का पात्र हो गया है। व्यय विभाग द्वारा इसकी अनुमति जारी कर दी गई है। यह सुधार लागू करने में राजस्थान का नाम अब 11 अन्य राज्यों आन्ध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश के साथ शामिल हो गया है। एक देश, एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card) व्यवस्था का सुधार पूरा करने पर इन 12 राज्यों को व्यय विभाग द्वारा 33,440 करोड़ रुपए की अत

मौर्य कालीन कला | Art of Mauryan period

मौर्य कालीन कला Art of Mauryan period  ईसा-पूर्व छठी शताब्दी में गंगा की घाटी में बौद्ध और जैन धर्मों के रूप में नए धार्मिक और सामाजिक आंदोलनों की शुरूआत हुई। ये दोनों धर्म श्रमण परंपरा के अंग थे। दोनों धर्म जल्द ही लोकप्रिय हो गए क्योंकि वे सनातन धर्म की वर्ण एवं जाति व्यवस्था का विरोध करते थे। उस समय मगध एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा और उसने अन्य राज्यों को अपने नियंत्रण में ले लिया। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी तक मौर्यों ने अपना प्रभुत्व जमा लिया था और ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी तक भारत का बहुत बड़ा हिस्सा मौर्यों के नियंत्रण में आ गया था। मौर्य सम्राटों में अशोक एक अत्यंत शक्तिशाली राजा हुआ, जिसने ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बौद्धों की श्रमण परंपरा को संरक्षण दिया था। धार्मिक पद्धतियों के कई आयाम होते हैं और वे किसी एक पूजा विधितक ही सीमित नहीं होतीं। उस समय यक्षों और मातृदेवियों की पूजा भी काफ़ी प्रचलित थी। इस प्रकार पूजा के अनेक रूप विद्यमान थे। तथापि इनमें से बौद्ध धर्म सबसे अधिक सामाजिक और धार्मिक आंदोलन के रूप में लोकप्रिय हो गया। यक्ष पूजा बौद्ध धर्म के आगमन से पहले और उसके बाद