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आर्थिक समीक्षा 2018 -19 की मुख्य बातें

2018-19 में अर्थव्यवस्था की स्थिति आर्थिक समीक्षा 2018-19 वृह्द दृष्टि जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत- सरकार ने गुरुवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 पेश कर दिया। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा कि 2017-18 के 7.2 प्रतिशत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर की तुलना में गत वर्ष 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही है। अनुमान- अगले वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर 7.0 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। जीडीपी में गिरावट का कारण- जीडीपी में गिरावट का कारण कृषि और संबंधित क्षेत्र , व्यापार , होटल , परिवहन , भंडारण , संचार , प्रसारण संबंधित सेवाएं तथा लोक प्रकाशक एवं रक्षा क्षेत्रों में निम्न विकास दर रही। 2018-19 के दौरान रबी फसलों के लिए जोत के कुल क्षेत्र में थोड़ी कमी आई जिसने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया। खाद्यान्नों की कीमत में कमी ने भी किसानों को उत्पादन कम करने के लिए प्रेरित किया। 2018-19 के दौरान जीडीपी के निम्न विकास दर कारण

Current Affairs July 2019 आशीष कुमार नई दिल्ली में राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त

उच्चतम न्यायालय में राज्य के प्रकरणों की पैरवी के लिए  आशीष कुमार अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त जयपुर, 2 जुलाई। राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर  उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली के समक्ष राज्य के सभी प्रकरणों की पैरवी तथा प्रस्तुत करने के लिए श्री आशीष कुमार को अतिरिक्त महाधिवक्ता, नई दिल्ली के पद नियुक्त किया है। प्रमुख शासन सचिव, विधि विभाग श्री महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि नियुक्ति की शर्ताें के अनुसार अतिरिक्त महाधिवक्ता को 49 हजार 194 रुपये प्रतिमाह रिटेनरशिप देय होगी। साथ ही उच्चतम न्यायालय के नियमों के अनुसार वादकरण के मामलों के लिए उनके द्वारा उपगत सभी आनुषांगिक व्यय का नियमानुसार पुनर्भरण करने के अधिकारी भी होंगे।  उन्होंने बताया कि अतिरिक्त महाधिवक्ता को मासिक प्रतिधारण के अलावा राजकीय वादकरण के प्रकरणों में पैरवी, प्रस्तुतीकरण एवं बहस आदि की फीस तथा प्रारूपण फीस विभाग के आदेश के अनुसार देय होगी। उन्होंने बताया कि वे उच्चतम न्यायालय के समक्ष समय-समय पर राज्य सरकार के विरूद्ध लगने वाले मामलों की तथा जारी होने वाले आदेशों की सूचना तत्काल राज्य

MSME Technology Centre Bhiwadi (ALWAR) - MSME प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी, जिला-अलवर

MSME Technology Centre Bhiwad (ALWAR) MSME प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी, जिला-अलवर भारत सरकार ने देश में उद्योग के विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के अपने प्रयास में - विशेष रूप से MSME की मदद करने के उद्देश्य से MSME प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी, जिला-अलवर की की स्थापना की है। अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता उपकरण, प्रशिक्षित कार्मिक प्रदान करने के माध्यम से भिवाड़ी उद्योग संबंधित क्षेत्रों के एकीकृत विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह नगर टूलिंग और संबंधित क्षेत्रों में कंसल्टेंसी और उत्कृष्टता एवं भविष्य की तलाश में लगातार नए मोर्चे को पार कर रहा है। यहाँ औद्योगिक क्षेत्रों के साथ तेजी से बढ़ता यह औद्योगिक शहर भिवाड़ी MSME के विकास के लिए सही वातावरण प्रदान करता है। यह संस्था भिवाड़ी स्थित अपने प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से तकनीकी प्रशिक्षण के अपने कार्यक्रम को लागू करता है। एकल छत के नीचे अत्याधुनिक टूल रूम की सुविधाओं में परिष्कृत मशीनों की व्यापक झलकें हैं जिनमें नवीनतम और उन्नत सीएनसी खराद, मिलिंग, ईडीएम और वायर कट मशीनें शामिल हैं, जो ग्राहकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूर

The Manikya Lal Verma Tribal Research and Training Institute (TRI) Udiapur माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर

माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर इस संस्थान को टीआरआई (Tribal Research Institute) भी कहते हैं। इस संस्थान की राज्य सरकार द्वारा स्थापना 2 जनवरी, 1964 को उदयपुर में राजस्थान के आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के अध्ययन के संबंध में अनुसंधान और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई। यह राजस्थान सरकार के जनजाति क्षेत्रीय विभाग के अंतर्गत आने वाला एक शोध एवं प्रशिक्षण है। इसका नाम राजस्थान के आदिवासी आंदोलन के प्रमुख प्रणेता माणिक्य लाल वर्मा पर रखा गया है। उनके समर्पित प्रयासों के कारण संस्थान को वर्तमान स्थल और विशाल भवन में समायोजित किया गया। यह संस्थान वर्तमान में राजस्थान राज्य के दिवंगत मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़िया की समाधि के पास उदयपुर के अशोकनगर में स्थित है।  संस्थान ने 1964 से 1979 के शुरुआती समय में राजस्थान सरकार के समाज कल्याण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य किया और बाद में 1 अप्रैल 1979 को इसे राजस्थान के जनजाति क्षेत्रीय विभाग, राजस्थान को सौंप दिया गया। वर्तमान में यह आयुक्त,  जनजाति क्षेत्रीय विभाग,