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क्या होता है बंद्याक या वन्याकड़ो (बन्द्याकड़ों)-

वन्याक या बंद्याक बैठने की रस्म - राजस्थान के जनसामान्य में ये भावना रहती है कि उनके घर में होने वाला विवाह के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो जाए तथा वर-वधू को शुभ आशीर्वाद मिले। इसी कारण विवाहोत्सव में सर्वप्रथम विघ्न विनाशक भगवान विनायक की स्थापना कर पूजा की जाती है। विवाह के अवसर पर लग्न पत्रिका के पश्चात कोई भी शुभ दिन देखकर गाँव या शहर के प्रसिद्ध गणेश जी के मंदिर में जाकर विधिवत उनकी पूजा की जाती है। यहाँ से पाँच कंकड़े घर पर लाते हैं। उन्हें गणेश जी के रूप में एक पाटे पर स्थापित कर दिया जाता है।  इसके अलावा कहीं-कहीं गणेश जी का पाना लाकर उसकी स्थापना की जाती है। पाना गणेश जी का हाथ कलम का चित्र होता है, जिसे चित्रकार द्वारा बनाया जाता हैं। इसके अलावा कुछ परिवार चित्रकार को बुलवाकर घर के एक कमरे की दीवार पर गणेश जी का चित्र भी बनवाते हैं। विनायक स्थापना के इस दिन से सगे-संबंधी और व्यवहार वाले वर या वधू को अपने-अपने घरों पर भोजन करने के लिए आमंत्रित करना आरंभ कर देते हैं, वर या वधू को भोजन कराने की इस रस्म को बन्दोला देना या बिनौरा देना अथवा बिनौरा जीमना कहते

Textile Industries in Rajasthan - राजस्थान का वस्त्र उद्योग

राजस्थान में वस्त्र उद्योग - वस्त्र उद्योग से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य - सूती वस्त्र उद्योग देश का सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है। देश में प्रथम सूती मिल की स्थापना कलकता में घूसरी नामक स्थान पर 1818 र्इ . में की गई। महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा गुजरात सूती वस्त्र  उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं। सूती वस्त्र उद्योग राजस्थान का एक परम्परागत एवं प्राचीन उद्योग है। वस्त्र उद्योग देश के औद्योगिक उत्पादन, रोजगार सृजन तथा निर्यात आय में महत्वपूर्ण योगदान रखता है।  भारत सरकार की वर्ष 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वस्त्र उद्योग देश के विनिर्माण उत्पादन में 10 % , जीडीपी में 2 % तथा देश की निर्यात आय में 13 % योगदान करता है।  यह देश के लगभग 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करके रोजगार सृजन के बड़े स्रोतों में से एक क्षेत्र है।  भारत विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है तथा दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।  भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश है।  वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के अधीन कार्यरत "केन्द्रीय ऊन विकास बोर्

Region wise distribution of livestock in Rajasthan - राजस्थान में पशुधन का प्रादेशिक वितरण

राजस्थान में पशुधन का प्रादेशिक वितरण और उनके मुख्य क्षेत्र - राजस्थान में पशुओं की विभिन्न प्रजातियों के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवास को देखते हुए राज्य के मानचित्र के आधार पर समस्त राज्य को 10 भागों में विभाजित किया गया है - १. प्रथम भाग - उत्तरी पश्चिमी (राठी) क्षेत्र-  यह क्षेत्र राज्य के उस पश्चिमी भाग में स्थित है, जहां मात्र 25 सेमी से भी कम वर्षा होती है। इस क्षेत्र में आने वाले जिले गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर हैं। यहां वनस्पति के रूप में यहां कटीली झाड़ियां व रेलोनुरूस हिरसूटस और पेकी अटर्जीज्म नामक घास पाई जाती है।   राठी गाय यहाँ  की प्रमुख नस्ल है।    २. द्वितीय भाग - पश्चिमी क्षेत्र (थारपारकर ) - यह क्षेत्र भी 25 सेमी वर्षा वाला भाग है।  इस क्षेत्र में आने वाले जिलों में जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर और पश्चिमी जोधपुर (शेरगढ़ और फलोदी तहसील) है।  यह राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है।  इस क्षेत्र की जलवायवीय विशेषता शुष्क तथा रेतीली है।   इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण फसल बाजरा है।  थारपारकर नस्ल की गाय इस क्षेत्र की प्रमुख गाय है, जो

Sheep in Rajasthan - राजस्थान में भेड़ पशु संसाधन

1.  चोकला  भेड़ (Chokla Sheep) - अन्य नाम (Other names)- छापर, शेखावटी व राता मुंडा (Chhaper, Shekhawati and Raata Munda.) स्थान (Location)- नागौर, सीकर, चूरू (Nagaur, Sikar, Churu)   प्रजनन भूभाग ( Breeding Tract) -   चुरू, नागौर, सीकर और जिलों के संगम पर एक सीमित क्षेत्र।   A limited area at the juncture of Churu, Nagaur, and Sikar districts.   मुख्य उपयोगिता (Main Use) - ऊन व मांस Wool, Meat   उद्गम (Origin)-   शेखावटी और छापर का नाम इसके वितरण क्षेत्र शेखावटी व छापर के नाम से लिया गया है जबकि राता मुंडा 😡 नाम काले भूरे रंग के चेहरे आधार पर है।   (The name Shekhawati and Chhappar are derived from the name of its distribution area whereas Raata munda stands for dark brown coloured face.) रंग (Colour) -  इसका रंग श्वेत होता है। इसके चेहरे का रंग लाल (राता मुंडा) होता है और यह रंग गर्दन तक हो सकता है। (The coat colour is white. The face colour is dark brown (Raata Munda), and the colour may extend upto middle of neck.) सींग की आकृति