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100 Questions of Space Science - Space Science Quiz अंतरिक्ष विज्ञान क्विज

Space Science Quiz अंतरिक्ष विज्ञान क्विज- 1. वे आकाशीय पिण्ड, जो किसी ग्रह की परिक्रमा करते हैं, क्या कहलाते हैं? उत्तर- उपग्रह 2. निर्माण (प्रकृति) के आधार पर उपग्रहों को दो प्रकारों में बांटा गया है, उनके नाम बताइए। उत्तर- प्राकृतिक एवं कृत्रिम उपग्रह 3. पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह कौन है? उत्तर- चन्द्रमा 4. मानव निर्मित एवं प्रक्षेपित उपग्रहों को क्या कहते हैं? उत्तर- कृत्रिम उपग्रह 5. चन्द्रमा का परिक्रमण काल कितना है? उत्तर- 27.3 दिन 6. भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में किस दशक में पदार्पण किया? उत्तर- 1970 के दशक में 7. भारत में अंतरिक्ष आयोग का गठन किस वर्ष किया गया? उत्तर- 1992 में 8. भारत में अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास का कार्य किस संगठन द्वारा किया जाता है? उत्तर- इसरो द्वारा 9. ‘इसरो’ का पूरा नाम क्या है? उत्तर- इण्डियन स्पेस रिसर्च आॅर्गनाइजेशन 10. ‘इसरो’ का मुख्यालय कहां है? उत्तर- बंगलुरू में 11. भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नयी दिशा देने में किस वैज्ञानिक का महत्वपूर्ण योगदान रहा है? उत्तर- विक्रम अम्बा

Co-operative Schemes and Major Co-operative Institutions in Rajasthan - राजस्थान में सहकारिता की योजनाएँ एवं प्रमुख सहकारिता संस्थाएं

राजस्थान में सहकारिता का इतिहास करीब एक शताब्दी पुराना है। समय गुजरने के साथ-साथ सहकारी संस्थाएं लगातार मजबूत होती गई। आज स्थिति यह है कि सहकारिता आंदोलन से किसान और ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी समुदाय भी लाभान्वित होने लगा है। सहकारिता आंदोलन की इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि आज बड़ी संख्या में महिलाएं भी सहकारिता से जुड़ रही हैं। महिला कल्याण में सहकारिता आंदोलन की बड़ी भूमिका है। करीब साढ़े चार हजार विभिन्न सहकारी संस्थाओं से जुड़कर महिलाएं अपना और अपने आसपास के लोगों का जीवन बेहतरी की ओर मोड़ चुकी हैं। आज गांवों में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी सहकारी संस्थाओं ने अपनी पहचान बनाई है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं के लिए जहां उपभोक्ता भण्डारों के प्रति लोगों में विश्वास है, वहीं बीमारी की स्थिति में उपभोक्ता दवा केन्द्र आमजन और पैंशनर्स के लिए एक मिशन की तरह काम कर रहे हैं। सहकारिता का सिद्धान्त परस्पर सहयोग की भावना पर आधारित है, जिसका मूल मंत्र है ’’एक सबके लिए-सब एक के लिए’’। राजस्थान में सबसे पहले वर्ष 1904 में अजमेर में सहकारिता की शुरुआत हुई, इसके बाद भरतपुर में 1915,

राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा 'खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग'

 राजस्थान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं खाद्य  एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राज्य के सभी श्रेणी के परिवारों यथा- बीपीएल, एपीएल, अन्त्योदय आदि के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन राज्य में आरम्भ से ही किया जा रहा है। देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्गम 1960 के दशक में हुई खाद्यान्नों की अत्यधिक कमी हो जाने से कमी वाले शहरी क्षेत्रों में खाद्यान्नों का वितरण करने पर ध्यान केन्द्रित करके हुआ था।  इसके बाद हरित क्रांति के अंतर्गत चूंकि राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई थी, इसलिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार 1970 और 1980 के दशकों में आदिवासी ब्लॉक्स और अत्यधिक गरीबी वाले क्षेत्रों के लिए किया गया था।  वर्ष 1992 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली विशेष लक्ष्यों के बगैर सभी उपभोक्ताओं के लिए एक सामान्य पात्रता योजना थी।  सम्पुष्ट सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1992 में सम्पूर्ण देश में प्रारंभ की गई।  लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली जून 1997 में प्रारंभ की गई थी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की स्थापना - राज्य में वर्ष 1964 तक खाद्य एवं सहायता विभाग एक सं

Annapurna Bhandar Scheme of Rajasthan राजस्थान की अन्नपूर्णा भंडार योजना

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के क्षेत्र में नई पहल - अन्नपूर्णा भंडार राज्य में आमजन को कम दामों पर परिवार की जरूरत से जुड़े सभी उपभोक्ता वस्तुओं एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में ही नहीं वरन देश में पहली बार एक अनूठी योजना "अन्नपूर्णा भण्डार योजना’’ वर्ष 2015 में लागू की गई। राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के इतिहास में सार्वजनिक निजी सहभागिता का एक नया दौर शुरू हुआ है। इस योजना के तहत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मॉल की तरह ’"अन्नपूर्णा भण्डार योजना" विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य - सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी सहभागिता के माध्यम से जनसाधारण को उचित मूल्य दुकानों द्वारा उच्च गुणवत्ता की मल्टीब्रांड उपभोक्ता वस्तुएं उचित एवं प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध कराना। उद्घाटन -   राज्य सरकार ने अन्नपूर्णा भंडार योजना का श्री गणेश 31 अक्टूबर, 2015 को जयपुर जिले की झोटवाडा पंचायत समिति के गांव भंभोरी से किया गया।  इस योजना को प्रारंभ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर में पांच और उदयपु

Main Ayush Institutes of Rajasthan - राजस्थान के प्रमुख आयुष संस्थान

 राजस्थान के प्रमुख आयुष संस्थान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्‍वविद्यालय, जोधपुर  स्थापना वर्ष - 2003  वर्ष 2003 में राज्य के जोधपुर शहर मे राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है जो कि देश का पहला विश्वविद्यालय है जिनमें पांचों भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के शिक्षण अनुसंधान एवं विकास की दिशा में कार्य हो रहा है। इसके अन्तर्गत 9 आयुर्वेद महाविद्यालय, 4 होम्योपैथिक, 2 यूनानी एवं 3 योग एवं प्राकृतिक महाविद्यालय, 18 महाविद्यालय तथा 28 आयुष नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र सहित 46 शिक्षण संस्थान संचालित है। देश का दूसरा आयुर्वेद विश्‍विद्यालय प्रशासनिक खण्ड- नागौर रोड, करवड जोधपुर नगर परिसर- पुराना पाली रोड झालामन्ड सर्किल, जोधपुर Website : http://www.raujodhpur.com विश्‍वविद्यालय द्वारा संचालित पाठ्क्रम आयुर्वेदाचार्य बी.ए.एम.एस. - 5 वर्ष 6 माह का डिग्री कोर्स आयुर्वेद नर्सिग प्रशि‍क्षण- तीन वर्ष का डिप्लोपा कोर्स पंचकर्म प्रशि‍क्षण- तीन माह का डिप्लोमा कोर्स हर्बल फार्मिग प्रशि‍क्षण- एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स विश्‍वविद्यालय से

राजस्थान में आयुष विभाग के बढ़ते चरण

एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व में समस्त उपचार पद्धतियों में से 80 प्रतिशत लोग स्थानीय चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वीकार किया है कि भारत में सन् 2020 तक सबको स्वास्थ्य प्रदान करने के लिये आयुष चिकित्सा पद्धतियों का सहयोग अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद हमारी सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ इस देश के जनमानस में रची बसी जीवन पद्धति है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए 100 साल निरोग जीवन जीने की व्याख्या की गई है।  आयुष का देश का सबसे बड़ा आधारभूत ढ़ांचा राजस्थान में है।  राजस्थान में 5 हजार 124 आयुर्वेद, होम्योपैथिक, यूनानी तथा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र हैं एवं 19 आयुष महाविद्यालय, एक राजकीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय व 29 नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। राज्य में, आयुर्वेद विभाग का मुख्यालय अशोक मार्ग,लोहागल रोड, अजमेर में स्थित है। प्रदेश में आयुष चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिये गत तीन वर्षों में अनेक अभिनव कार्यक्रम एवं योजनाएं क्रियान्वित की गयी हैं। केन्द्र सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय आयुष मिशन की तर