Skip to main content

Posts

Showing posts with the label राजस्थान की योजनाएँ

राजस्थान की योजनाएँ - Mewat Area Development Plan- मेवात क्षेत्रीय विकास योजना

मेवात क्षेत्रीय विकास योजना -  योजना का परिचय - अलवर एवं भरतपुर जिले का मेव बाहुल्य क्षेत्र जो मेवात क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, उसके विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1987-88 से मेवात क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। योजना के उद्देश्य - प्रदेश का मेवात क्षेत्र जिसमें अन्य पिछडी जाति एवं अल्पसंख्यक लोग निवास करते है। राज्य के अन्य क्षेत्रों की तुलना में पिछडा हुआ है। मेवात क्षेत्रीय विकास योजना के दिशा निर्देशों से निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हो सकेगी-   मेवात क्षेत्र का आर्थिक एवं सामाजिक आधारभूत ढांचागत विकास। सामुदायिक एवं अन्य आधारभूत भौतिक परिसम्पत्ति सृजन। श्री योजना में शामिल 5 मूल आधारभूत सुविधाएं यथा ग्राम स्वच्छता एवं स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, ग्रामीण आंतरिक सड़के, शिक्षा एवं ग्राम में रोशनी की व्यवस्था के कार्यों का प्राथमिकता से सम्पादन। जनसंख्या के आधार पर मेवात ग्रामीण क्षेत्र का चरणबद्ध समग्र विकास। मेवात ग्रामीण क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुख्यालयों एवं ग्राम की जनसंख्या के आधार पर गाँवों का समग्र विकास । मेवात क

Mitigating Poverty in Western Rajasthan (MPoWeR) पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना (एमपाॅवर)

पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना (एमपाॅवर)- Mitigating Poverty in Western Rajasthan (MPoWeR)- परियोजना का परिचय -  राज्य सरकार द्वारा जोधपुर संभाग के छः जिलों में अन्तराष्ट्रीय कृषि विकास कोष ( IFAD ) की सहायता से पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना Mitigating Poverty in Western Rajasthan (MPoWeR) परियोजना स्वीकृत की गई है।  योजना की कार्य अवधि पूर्व में दिसम्बर 2014 थी जिसे दो बार विस्तार करके दिसम्बर 2017 तक बढ़ाया गया, योजना समाप्ति जून 2018 थी।  राज्य के जोधपुर संभाग के बायतु (बाड़मेर), साॅकडा (जैसलमेर), बाप (जोधपुर), सांचौर (जालौर), बाली (पाली) तथा आबूरोड (सिरोही) पंचायत समितियों में यह परियोजना वर्ष 2008-09 से संचालित की जा रही है तथा दो ब्लाॅक सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा व जोधपुर जिले में बालेसर को भी वर्ष 2016-17 सम्मिलित किया गया है।  इन दो ब्लाॅकों में राजीविका में गठित स्वयं सहायता समूहों के आय संवर्द्धन का कार्य एमपाॅवर परियोजना द्वारा किया गया।  इन पंचायत समितियों में राजस्थान सरकार द्वारा निर्धारित किये गये गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले शत

राजस्थान की योजनाएँ Rajasthan Grameen Aajeevika Pariyojna - राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (आर.आर.एल.पी.)

राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (आर.आर.एल.पी.) परिचयः माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा वित्तीय वर्ष 2009-10 के बजट भाषण मे विश्व बैंक की सहायता से राजस्थान ग्रामीण अजीविका परियोजना लागू करने की घोषणा की गई, जिसके क्रम में ”राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना“ के प्रस्ताव तैयार कर विश्व बैंक को प्रस्तुत किये गये। परियोजना की स्वीकृति विश्व बैंक बोर्ड की बेैठक दिनाक 11.01.2011 मे कर दी गई है। राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना हेतु विश्व बैंक एवं भारत सरकार के साथ दिनांक 24.5.2011 को लीगल डाॅक्यूमेन्ट्स हस्ताक्षरित किये गये तथा राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना हेतु विश्व बैंक एव भारत सरकार के साथ बैंक से वित्तीय सहायता दिनाक 22.06.2011 से प्रभावी हुई। प्रस्तावित परियोजना से राज्य के 4 लाख बी.पी.एल परिवारों को स्थाई जीविकोपार्जन के संसाधन एव आवश्यक आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाकर इनका आर्थिक स्तर गरीबी रेखा से ऊपर उठाये जाने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् का गठन - राजस्थान राज्य के ग्राामीण क्षेत्र में लाइवलीहुडु से सम्बन्धित समस्त कार्यक्रमों के प

Apki Beti Yojna Rajasthan - राजस्थान सरकार की आपकी बेटी योजना

राजस्थान सरकार की आपकी बेटी योजना  क्या है आपकी बेटी योजना और कैसे करें आवेदन - बालिका शिक्षा  बढ़ावा देने के लिए यह योजना बालिका शिक्षा फाउण्डेशन , पुस्तक भवन झालाना डूंगरी, जयपुर द्वारा चलायी जा रही है। आपकी बेटी योजना के अंतर्गत राजकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से कक्षा 12 में पढ़ने वाली गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की ऐसी बालिकाएँ आर्थिक सहायता के लिए पात्र होती है , जिनके माता-पिता में से दोनों अथवा एक का निधन हो गया हो। इसके लिए विद्यालय के संस्था प्रधान के माध्यम से संबंधित बालिका से फॉर्म भरवाकर (मृत्यु प्रमाण पत्र, बी.पी.एल. राशन कार्ड प्रति तथा गत कक्षा की अंक तालिका के साथ)  जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भिजवाना होता है। कितनी मिलती है सहायता राशि- राज्य सरकार ने सत्र 2019-20 में ‘‘आपकी बेटी योजना‘‘ के तहत कक्षा 1 से 8 में अध्ययनरत बालिकाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को बढ़ाकर 2100 रुपये तथा कक्षा 9 से 12 में अध्ययनरत बालिकाओं के लिए आर्थिक सहायता को बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया है। अब इन बालिकाओं को सत्र 2019-20 से बढ़ी हुई आर्थिक सहायता राशि

ग्रामीण विकास योजनाओं में अजमेर, बारां एवं झुन्झुनू प्रथम स्थान पर

ग्रामीण विकास योजनाओं में अजमेर, बारां एवं झुन्झुनू प्रथम स्थान पर जयपुर, 1 मार्च। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा विभाग की प्रमुख योजनाओं में राज्य के समस्त जिलों द्वारा की गई प्रगति की रैकिंग की गई है इसमें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, मनरेगा, राजीविका, प्रधान मंत्री आवास योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन में अजमेर, बांरा एवं झुन्झुनू जिले प्रथम स्थान पर रहे हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग श्री राजेश्वर सिंह ने बताया कि उक्त योजनाओं की प्रगति मापने के लिए 100 अंक निर्धारित किये गये थे इनमें से प्राप्तांकों के अनुसार सूचकांक एवं अंक निर्धारित कर रैंकिंग जारी की गई है।  श्री सिंह ने बताया कि मनरेगा में 10 सूचकांक के 40 अंक, स्वच्छ भारत मिशन में 3 सूचकांक के 9 अंक, प्रधान मंत्री आवास योजना में 9 में से 18, ग्रामीण विकास में 4 में से 12, पंचायती राज में 3 में से 6 एवं राजीविका में 5 में से 15 अंक निर्धारित किये गये थे।  उन्होंने बताया कि अजमेर, बांरा, झुन्झुनू 100 में से 51 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान पर रहे हैं जबकि पाली, बीकानेर,

Schemes of Tribal Area Development Department - जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की योजनाएँ

जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की योजनाएँ 1. आश्रम छात्रावासों का संचालन जनजाति छात्र-छात्राएं उनके निवास स्थान के नजदीक वांछित स्तर का विद्यालय नहीं होने की स्थिति में उनके परिवारों की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण दूर-दराज के विद्यालयों में अध्ययन जारी नहीं रख पाते हैं। अतः ऐसे छात्र-छात्राएं अध्ययन जारी रख सकें, इस उद्देश्य से विभाग द्वारा 356 आश्रम छात्रावास संचालित किये जा रहे हैं। इन छात्रावासों में 2000/- रू प्रतिमाह प्रति छात्र-छात्रा की दर से निःशुल्क आवास, भोजन, पोशाक एवं अन्य सुविधाऐं उपलब्ध करायी जाती है। आश्रम छात्रावासों में कार्यरत अधीक्षक एवं कोच को 15 प्रतिशत विशेष भत्ता एवं 10 प्रतिशत मकान किराया भत्ता दिया जा रहा है। 2. आवासीय विद्यालय संचालन योजना अनुसूचित क्षेत्र, माडा क्षेत्र तथा सहरिया क्षेत्र में छात्र-छात्राओं में शिक्षा के उन्नयन हेतु भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा आवासीय विद्यालयों का निर्माण कराया गया है। आवासीय विद्यालयों में स्वीकृत शैक्षिक/अशैक्षिक पदों पर शिक्षा विभाग से कर्मचारियों/ अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति/पदस्थापन पर लिए जाकर अध्य

Rajasthan Seeds Mini-kit Scheme- राजस्थान बीज मिनिकिट योजना

बीज मिनिकिट योजना       राज्य योजना, राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मिनिकिट वितरण        मिनिकिट का आयोजन राजस्थान के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के लिए फसल की उपज एवं गुणवत्‍ता के आधार पर किस्म चयन में सहायक होती है। कमजोर वर्ग के कृषकों को मिनिकिट के माध्‍यम से लाभान्वित किया जाता है। पात्रता :- मिनिकिट अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमान्त तथा गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले कृषकों को प्राथमिकता से मिनिकिट का वितरण किया जाता है। कुल लागत का 10 प्रतिशत टोकन मनी के रूप में कृषक से वसूल कर मिनिकिट वितरण किये जाते हैं। मिनिकिट महिला के नाम से दिये जाते है, चाहे भूमि महिला के पति/पिता/ससुर के नाम से हो। एक महिला को मिनिकिट का एक ही पैकेट दिया जायेगा। एक ही कृषक परिवार की अलग-अलग कृषक महिला सदस्य के नाम से मिनिकिट नहीं दिए जाएंगे। यदि किसी ग्राम पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कृषक उपलब्‍ध नहीं हो तो सामान्य श्रेणी के महिला कृषकों में मिनिकिट वितरण किया जा सकता है। मिनिकिट्स हेतु ऐसे कृषकों का चयन क

Rajasthan's Gypsum Distribution Scheme- राजस्थान जिप्सम वितरण कार्यक्रम

  क्या होता है जिप्सम- जिप्सम एक प्रकार का खनिज है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह कैल्सियम का सल्फेट है, जिसमें जल के भी दो अणु रहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र CaSO 4 ·2H 2 O है। जिप्सम में 16 से 19 प्रतिशत कैल्शियम एवं 13 से 16 प्रतिशत सल्फर होता है। प्रकृति में  जिप्‍सम दो रूपों में पाया जाता है-   खनिज जिप्‍सम  - खनिज जिप्‍सम को भूगर्भ से खोदकर प्राप्‍त किया जाता है। अधिकांश खान उत्‍पादनों में जिप्‍सम की गुणवत्ता 70 से 95 प्रतिशत के बीच होती है।  उत्‍पाद जिप्‍सम   - उत्‍पाद जिप्‍सम में प्रमुख रूप से समुद्री जिप्‍सम, फोसफो जिप्‍सम, फ्लोरो जिप्‍सम, बोरो जिप्‍सम, स्‍क्रवर जिप्‍सम इत्‍यादि शामिल है। सामान्‍य नमक के उत्‍पादन के दौरान समुद्री जिप्‍सम समुद्र के पानी से एक उपउत्‍पाद (by product) के रूप में प्राप्‍त किया जाता है, जबकि अन्‍य प्रकार के जिप्सम विभिन्‍न रासायनिक सयंत्रो से सह-उत्‍पाद के रूप में प्राप्‍त होते हैं।  जिप्सम को कैल्‍साइंड करना - जिप्‍सम को गर्म करने पर इसमें उपस्थित जल की मात्रा कम हो जाती है।  इस प्रकार बने आंशिक निर्जलीकृत जिप्सम को कैल्‍साइंड जिप्‍सम कहते है

निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना

निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना हितलाभ- 1. हाउसिंग फाॅर आॅल मिशन (अरबन) अथवा सरकार की अफोर्डेबल हाउसिंग योजना अथवा मुख्यमंत्री जन आवास योजना अथवा केन्द्र/राज्य सरकार की अन्य किसी आवास योजना के पात्र हिताधिकारियों को, संबंधित योजना के प्रावधानानुसार, मण्डल द्वारा अधिकतम् 1.50 लाख रूपये तक की सीमा में अनुदान। 2. स्वयं के भूखण्ड पर आवास का निर्माण करने की स्थिति में अधिकतम 5 लाख रूपये निर्माण लागत की सीमा में, वास्तविक निर्माण लागत का 25 प्रतिशत तक, अनुदान। वरीयता (योजना की अन्य शर्तें पूरा करने की स्थिति में) - (i) बीपीएल श्रेणी के हिताधिकारी को, (ii) अनु. जाति/अनु. जन जाति के हिताधिकारी को, (iii) विशेष योग्यजन को (iv) केवल दो पुत्रियाँ वाले हिताधिकारियों को (v) पालनहार योजना में आने वाली महिला/परिवार को (vi) तथा एक से अधिक वर्षाें अर्थात्, 2, 3 या 4 वर्षों से मण्डल में पंजीकृत हिताधिकारी को वरीयता दी जावेगी। पात्रता एवं शर्ते- 1. मण्डल में कम से कम 1 वर्ष से हिताधिकारी के रूप में पंजीकृत निर्माण श्रमिक हो; 2. यदि स्वयं के भूखण्ड पर आवास बनाता है तो भूखण्ड प

Agriculture Schemes of Rajasthan - प्रमाणित बीज वितरण हेतु अनुदान सहायता

प्रमाणित बीज वितरण हेतु अनुदान सहायता फसल उत्‍पादन में गुणवत्‍तायुक्‍त /प्रमाणित बीज का प्रमुख योगदान है। इससे ना केवल प्रति इकाई फसल उत्‍पादन में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है, अपितु फसल उत्‍पादन के अन्‍य आदानों यथा उर्वरक, सिचाई आदि का भी समुचित उपयोग होता है। देय लाभ :- विभाग द्वारा संचालित विभिन्‍न योजनाओं के तहत प्रमाणित बीज वितरण पर देय लाभ का विवरण निम्‍नानुसार है। 1     दलहनी फसले (मूंग, मोठ, उडद, अरहर, चना)-   15 वर्ष तक की अवधि की अधिसूचित किस्‍मों के बीज की कीमत का 50 प्रतिशत अ‍थवा रूपये 2500 प्रति क्वि. जो भी कम हो 2     मोटा अनाज (बाजरा, ज्‍वार, मक्‍का, जौ) की किस्‍में-        सामान्य किस्‍में-    10 वर्ष से कम अ‍वधि की अधिसूचित किस्‍मों के बीज की कीमत का 50 प्रतिशत अ‍थवा रूपये 1500 प्रति क्वि. जो भी कम हो संकर किस्‍में -   10 वर्ष से कम अ‍वधि की अधिसूचित किस्‍मों के बीज की कीमत का 50 प्रतिशत अ‍थवा रूपये 5000 प्रति क्वि. जो भी कम हो। 3     गेहूं एवं धान-       10 वर्ष से कम अ‍वधि की अधिसूचित किस्‍मों के बीज की कीमत का 50 प्रतिशत अ‍थवा रूपये