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Showing posts with the label राजस्थान सामान्य ज्ञान

क्या होता है बंद्याक या वन्याकड़ो (बन्द्याकड़ों)-

वन्याक या बंद्याक बैठने की रस्म - राजस्थान के जनसामान्य में ये भावना रहती है कि उनके घर में होने वाला विवाह के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो जाए तथा वर-वधू को शुभ आशीर्वाद मिले। इसी कारण विवाहोत्सव में सर्वप्रथम विघ्न विनाशक भगवान विनायक की स्थापना कर पूजा की जाती है। विवाह के अवसर पर लग्न पत्रिका के पश्चात कोई भी शुभ दिन देखकर गाँव या शहर के प्रसिद्ध गणेश जी के मंदिर में जाकर विधिवत उनकी पूजा की जाती है। यहाँ से पाँच कंकड़े घर पर लाते हैं। उन्हें गणेश जी के रूप में एक पाटे पर स्थापित कर दिया जाता है।  इसके अलावा कहीं-कहीं गणेश जी का पाना लाकर उसकी स्थापना की जाती है। पाना गणेश जी का हाथ कलम का चित्र होता है, जिसे चित्रकार द्वारा बनाया जाता हैं। इसके अलावा कुछ परिवार चित्रकार को बुलवाकर घर के एक कमरे की दीवार पर गणेश जी का चित्र भी बनवाते हैं। विनायक स्थापना के इस दिन से सगे-संबंधी और व्यवहार वाले वर या वधू को अपने-अपने घरों पर भोजन करने के लिए आमंत्रित करना आरंभ कर देते हैं, वर या वधू को भोजन कराने की इस रस्म को बन्दोला देना या बिनौरा देना अथवा बिनौरा जीमना कहते

Region wise distribution of livestock in Rajasthan - राजस्थान में पशुधन का प्रादेशिक वितरण

राजस्थान में पशुधन का प्रादेशिक वितरण और उनके मुख्य क्षेत्र - राजस्थान में पशुओं की विभिन्न प्रजातियों के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवास को देखते हुए राज्य के मानचित्र के आधार पर समस्त राज्य को 10 भागों में विभाजित किया गया है - १. प्रथम भाग - उत्तरी पश्चिमी (राठी) क्षेत्र-  यह क्षेत्र राज्य के उस पश्चिमी भाग में स्थित है, जहां मात्र 25 सेमी से भी कम वर्षा होती है। इस क्षेत्र में आने वाले जिले गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर हैं। यहां वनस्पति के रूप में यहां कटीली झाड़ियां व रेलोनुरूस हिरसूटस और पेकी अटर्जीज्म नामक घास पाई जाती है।   राठी गाय यहाँ  की प्रमुख नस्ल है।    २. द्वितीय भाग - पश्चिमी क्षेत्र (थारपारकर ) - यह क्षेत्र भी 25 सेमी वर्षा वाला भाग है।  इस क्षेत्र में आने वाले जिलों में जैसलमेर, उत्तरी बाड़मेर और पश्चिमी जोधपुर (शेरगढ़ और फलोदी तहसील) है।  यह राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है।  इस क्षेत्र की जलवायवीय विशेषता शुष्क तथा रेतीली है।   इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण फसल बाजरा है।  थारपारकर नस्ल की गाय इस क्षेत्र की प्रमुख गाय है, जो

Gyan Sankalp Portal and Mukhyamantri Vidya Dan Kosh - ज्ञान संकल्प पोर्टल एवं मुख्यमंत्री विद्या दान कोष

ज्ञान संकल्प पोर्टल एवं मुख्यमंत्री विद्यादान कोष   राजस्थान में राजकीय विद्यालयों को आर्थिक सहयोग प्रदान करने तथा आधारभूत संरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए दानदाता अब शिक्षा विभाग द्वारा विकसित किए जाने वाले 'ज्ञान संकल्प पोर्टल' एवं 'मुख्यमंत्री विद्या दान कोष' के जरिए अपना सहयोग कर सकेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाया जा रहा यह पोर्टल फंडिंग गेप को कम करने में मददगार साबित होगा। पोर्टल एवं कोष का मुख्य उद्देश्य- राजकीय विद्यालयों की मूलभूत आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार सीएसआर, भामाशाहों, संस्थाओं व क्राउड फंडिंग के माध्यम से आवश्यक धनराशि का संग्रहण व प्रबंधन करना एवं विद्यालयों के विकास हेतु विभिन्न प्रोजेक्ट्स हेतु दानदाताओ का सहयोग प्राप्त करना हैं। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भामाशाह और औद्योगिक घराने कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसेबिलिटी (सीएसआर) के तहत जुड़कर सीधे राजस्थान सरकार को शिक्षा में किए जा रहे नवाचारों एवं आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकते हैं।  इस पोर्टल के माध्यम से भामाशाह व औद्योगिक घराने प्रदेश के विद्यालयों

Dams in Rajasthan - राजस्थान के समस्त बांधों की जानकारी

राजस्थान के समस्त बांधों की जानकारी एक टेबल के रूप में दी जा रही है. आप इसे डाउनलोड करके अध्ययन कर सकते है. इस जानकारी को भारत के Water Resources Information System (WRIS) India से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर दिया जा रहा है.

The Mahi Bajaj Sagar Project - माही बजाज सागर परियोजना-

यह राजस्थान एवं गुजरात की संयुक्त परियोजना है। इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के नाम पर रखा गया था। मध्यप्रदेश के धार जिले में विंध्यांचल श्रेणी के उत्तरी ढाल से निकल कर माही नदी लगभग 169 किलोमीटर मध्यप्रदेश बहने के पश्चात बांसवाड़ा के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है। तत्पश्चात यह नदी राजस्थान में 171 किलोमीटर बहन के पश्चात गुजरात राज्य में बहती हुई खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी का अपवाह क्षेत्र अर्द्ध शुष्क एवं पथरीला है। यहाँ सिंचाई हेतु कुँओं की खुदाई करना बहुत कठिन कार्य है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यहां इस परियोजना को विकसित किया गया। यह परियोजना राजस्थान एवं गुजरात  की संयुक्त परियोजना है,जिसके निर्माण हेतु दोनों राज्यों में 1966 में एक समझौता हुआ था। सन 1971 में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई तथा इसका निर्माण 1972 में प्रारंभ हुआ था, जिसे नवम्बर, 1983 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। 1966 में हुए समझौते के अनुसार राजस्थान का हिस्सा 45 प्रतिशत व गुजरात का हिस

Padmakshi Award पद्माक्षी पुरस्कार

पद्माक्षी पुरस्कार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर द्वारा कक्षा 8,10 व 12 की परीक्षाओं में ज़िला स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने वाली बालिकाओं को क्रमश: 40,000, 75,000 एवं 1 लाख रुपये व प्रमाण पत्र दिये जाएंगे। (सभी वर्ग, बी.पी.एल. एवं नि:शक्त शामिल) कक्षा 8 (संस्कृत विभाग) प्रवेशिका एवं वरिष्ठ उपाध्याय की बोर्ड परीक्षा में उपरोक्त वर्गों में राज्य स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने वाली बालिकाओं को भी ये पुरस्कार दिये जाएंगे। कक्षा 12वीं एवं वरिष्ठ उपाध्याय की पुरस्कार प्राप्त बालिकाओं को पुरस्कार राशि के अतिरिक्त स्कूटी भी दी जायेगी। किसी भी वर्ग में समान अंक लाने वाली एक से अधिक बालिकाएं हों तो सभी को पुरस्कार राशि व प्रमाण पत्र दिये जाएंगे। कक्षा 12वीं के कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय को मिलाकर सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली बालिका को पुरस्कार हेतु पात्र माना जायेगा। इन पुरस्कारों के लिए पूरक परीक्षा परिणाम को शामिल नहीं किया जाएगा। पद्माक्षी पुरस्कार हर साल बसन्त पंचमी को ज़िला मुख्यालय पर आयोजित समारोह में दिया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें -- http://bit

जैतून की प्रसंस्कृत चाय का राजस्थान में उत्पादन-

विश्व में पहली बार जैतून की प्रसंस्कृत चाय का राजस्थान में उत्पादन शुरू- राजस्थान देश में जैतून की खेती करने वाला एवं जैतून की प्रोसेस्ड ऑलिव टी बनाने वाला विश्व का पहला राज्य बन गया है। यह रोचक बात है कि जैतून राज्य की परम्परागत फसल नहीं होने के बावजूद भी इसका उत्पादन और प्रसंस्करण राजस्थान में सफलतापूर्वक होने लगा है। अगर राज्य में जैतून उत्पादन की ओर नजर डालें, तो पता चलता है कि जैतून की खेती की शुरूआत इस सरकार के गत कार्यकाल में हुई, जब मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में कृषि विशेषज्ञों का एक दल इजरायल गया था। वहां से लौटने के बाद मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने प्रदेश में जैतून की खेती करने का निर्णय लिया। 20 मार्च, 2008 को बस्सी के ढिंढोल फार्म पर जैतून के प्रथम पौधे का रोपण किया गया। राज्य के 7 कृषि जलवायु खंडों में इसका प्रायोगिक रोपण किया गया। यह प्रयोग सफल हुआ और राज्य में जैतून लहलहाने लगा। प्रदेश में जैतून अरबेक्विना, बरनियर, फ्रंटोयो, कोर्टिना, कोलोनाइकी, पासोलिन, पिकुअल किस्मों का पौधारोपण किया गया है।  सफल पौधारोपण के बाद इसका लगा

Portraiture of Rasikpriya books in Mewar - मेवाड़ में रसिकप्रिया ग्रंथों का चित्रांकन-

मेवाड़ में रसिकप्रिया ग्रंथों का चित्रांकन मेवाड़ में महाराणा जगत सिंह प्रथम , महाराणा अमर सिंह द्वितीय एवं महाराणा जय सिंह के काल में रसिकप्रिया ग्रन्थ का चित्रांकन किया गया। रसिक प्रिया नामक पद्यात्मक ग्रन्थ की रचना ब्रज भाषा के कवि केशव दास ने ओरछा नरेश के भाई महाराजा इन्द्रजीत सिंह के राज्याश्रय में 1591 ई. में की थी। इस महान रचना का विषय श्रृंगार के दोनों पक्ष संयोग और वियोग है। राधा कृष्ण की प्रेमलीला के लौकिक एवं आध्यात्मिक रहस्यों का उद्घाटन जयदेव के गीत गोविन्द के पश्चात् रसिक प्रिया में ही हुआ है। 16 वीं सदी में रचित इस ग्रन्थ की ख्याति शीघ्र ही दूर-दूर तक फैल गई और 17 वीं शताब्दी के मध्य तक यह राजस्थान में विभिन्न चित्र शैलियों के चित्रांकन की विषय वस्तु बन गया। मेवाड़ के अलावा मारवाड़, बूंदी, एवं बीकानेर शैलियों में भी रसिक प्रिया पर आधारित चित्र निर्मित हुए हैं। मेवाड़ में सर्वप्रथम महाराणा जगत सिंह प्रथम के काल में रसिक प्रिया का चित्रांकन हुआ। उदयपुर के राजकीय संग्रहालय में कृष्ण चरित्र के 327 लघु चित्र है, जिनमें सूरसागर का संग्रह भी है। इसी संग्रह में रसिक प्

Rajasthan Current Affairs - 2016

किस्मत योजना से किसान बनेगा सशक्त 23 दिसंबर को कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग के सचिव श्री रजत कुमार मिश्र ने जयपुर में कहा कि राज्य सरकार की "किस्मत योजना" (नॉलेज इन्टिग्रेटेड स्किल माड्युल्स फॉर एग्रीकल्चर, हार्टिकल्चर एंड एनीमल हस्बेन्डरी ट्रेनिंग) के अंतर्गत राज्य के किसानों को कृषि, पशुपालन तथा बागवानी से जुड़े क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत किसान को नवीनतम तकनीक से जुड़े क्षेत्रो में प्रशिक्षित किया जाएगा जिससे किसान सशक्त बन सकें। शेयरधारकों ने भी राज्य में किस्मत योजना को संचालन करने में रूचि दिखाई। केन्द्रीय वन मंत्री ने किया तीसरे उदयपुर बर्ड फेस्टीवल का शुभारम्भ     24 दिसम्बर शनिवार को केन्द्रीय वन मंत्री श्री अनिल माधव दवे ने तीन दिवसीय तीसरे उदयपुर बर्ड फेस्टीवल- 2016 का विधिवत शुभारम्भ किया। शुभारम्भ के अवसर पर उपस्थित पक्षीप्रेमियों को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पक्षियों से हमें कई प्रकार की सीख मिलती है। उन्होंने जटायु, बाज ए