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Useful book of history of Rajasthan राजस्थान के इतिहास की उपयोगी पुस्तक -

  राजस्थान के इतिहास की उपयोगी पुस्तक -   पढ़े और पढाएं स्रोत- वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय , कोटा (राजस्थान) http://assets.vmou.ac.in/HI02.pdf  

Social reform Efforts in Rajasthan before Independence स्वतन्त्रता पूर्व राजस्थान में सामाजिक सुधार -

स्वतन्त्रता पूर्व राजस्थान में सामाजिक सुधार पृष्ठ भूमि - 19 वीं सदी में भारत ने पुनर्जागरण के युग में प्रवेश किया , समाज सुधार आन्दोलन हुए , राजस्थान भी इस जागरण से अछूता नहीं रहा। प्राचीन काल से ही कुछ प्रथाएं और परम्पराएं विकसित हुई कुछ नई प्रथाओं ने जन्म लिया कुछ पुरानी प्रथाओं ने विकृत स्वरूप ग्रहण कर लिया था , फलस्वरूप समाज को एक नई क्रांन्ति की आवश्यकता हुई। राजपूताना का समाज कई धर्मो मुख्यतः हिन्दू , जैन ,   मुस्लिम और सिक्खों से संगठित समुदाय था। हिन्दू समाज की वर्ण व्यवस्था जातिगत स्वरूप में स्थापित थी , जातियाँ उपजातियों में विभक्त थी। प्राचीन काल में समाज में वर्ण व्यवस्था श्रम और कार्य विभाजन पर आधारित एक सकारात्मक व्यवस्था थी , लेकिन कालान्तर में यह जातीय स्वरूप ग्रहण करते हुए कार्य विभाजन के नकारात्मक स्वरूप सोपान व्यवस्था में बदल गई। विवाह संस्था सामाजिक संगठन की सबसे मजबूत व्यवस्था रही है , लेकिन इसमें भी बालविवाह , अनमेल विवाह , जैसे तत्व जुड़ गए। इसी प्रकार कुछ अन्य कुप्रथाऐं सती प्रथा , दासप्रथा , मानव व्यापार , डाकन प्रथा , समाधि , मृत्यु भोज आदि

Meena Tribe Movement of Rajasthan - राजस्थान का मीणा जनजाति आन्दोलन

मीणा जनजाति आन्दोलन- ऐतिहासिक परिदृश्य- राजपूताना के कई राज्यों में मीणा जनजाति शताब्दियों से निवास करती आ रही है। मीणा जन्मजात सैनिक थे और अपने आपको क्षत्रिय मानते थे। ढूँढाड़ क्षेत्र के खोहगंग, आमेर, भांडारेज, मांची, गेटोर, झोटवाड़ा, नरेठ, शोभनपुर आदि इलाकों में सैंकड़ों वर्षों तक मीणाओं के जनपद रहे हैं। इन स्थानों पर मीणा शासकों का प्राचीन काल से ही आधिपत्य रहा था। कर्नल टॉड के अनुसार दुल्हराव ने खोहगंग के मीणा शासक आलनसिंह को एक युद्ध में परास्त कर ढूंढाड़ में कछवाहा राज्य की नींव डाली। इस युद्ध में आलनसिंह एवं उसके करीब 1500 मीणा   साथी मारे गए। मीणा स्त्रियाँ अपने पति के साथ सती हो गई। खोहगंग के निकट आज भी उनकी छतरियां और देवल पाए जाते हैं। इसके बाद दुल्हराव ने मांची के मीणा शासक राव नाथू मीणा को हरा कर अपने राज्य का विस्तार किया। परवर्ती कछवाहा शासकों कोकिल और मैकुल ने गेटोर, आमेर, झोटवाड़ा आदि मीणा जनपदों के शासकों को हरा कर अपने राज्य की वृद्धि की। इस प्रकार ढूंढाड़ में मीणाओं का शासन समाप्त हो गया। किन्तु लम्बे समय तक मीणाओं का एक वर्ग छापामार युद्ध करके शासक