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समसामयिक घटनाचक्र- कैबिनेट की बैठक के महत्वपूर्ण फैसले

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में 11 मई को मंत्रिमण्डल की बैठक आयोजित की गई। जिसमें निम्न निर्णय किए गए। सभी अधिकारियों को करना होगा अचल सम्पत्ति को सार्वजनिक- बैठक में सभी अधिकारियों द्वारा अचल सम्पत्ति का विवरण सार्वजनिक करने को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया कि ऐसे अधिकारी जिनकी कोई पदोन्नति शेष नहीं है, सेवाकाल बाकी है तथा अचल सम्पत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं करते तो उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ देय नहीं होगा। अचल सम्पत्ति के वर्तमान मूल्य का आधार होगा डी. एल. सी. दर- बैठक में अधिकारियों की अचल सम्पत्ति के वर्तमान मूल्य का आधार डी. एल. सी. दर को रखे जाने के प्रस्ताव का भी अनुमोदन किया गया। चिकित्सा शिक्षकों को दी बेहतर सुविधाएं- > राज्य के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक चिकित्सकों की मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिमण्डलीय स्तरीय उप समिति गठित की गई थी। कैबिनेट बैठक में इस समिति द्वारा दी गई सिफारिशों पर विचार विमर्श किया गया तथा इस संबंध में हुए समझौते के निर्णयों की क्रियान्विति हेतु उप समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्त

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
17.5.2011


1. मुहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराइन का प्रथम युद्ध कब लड़ा गया, जिसमें मुहम्मद गोरी की पराजय हुई? उत्तर- 1191 ईस्वी 2. सन् 1192 में मुहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुए तराइन के द्वितीय युद्ध में किसकी पराजय हुई? उत्तर- पृथ्वीराज की 3. सन् 1532 में किसने अपने पिता राव गंगा की हत्या कर मारवाड़ की सत्ता पर कब्जा किया था? उत्तर- मालदेव ने 4. बूँदी राज्य की स्थापना किसके द्वारा की गई? उत्तर- हाड़ा राजा देशराज द्वारा 5. देश का पहला निर्यात संवर्द्धन पार्क कहाँ बनाया गया? उत्तर- सीतापुरा (जयपुर) मेँ 6. रम्मत लोक नाट्य के लिए कौनसा शहर प्रसिद्ध है? उत्तर- बीकानेर 7. लोक नाट्य गवरी के नायक को क्या कहते हैं? उत्तर- राई बूढ़िया 8. राजस्थान के कौनसा जिला संगमरमर के सर्वाधिक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है? उत्तर- राजसमंद 9. सिख समाज का श्रावण अमावस्या को लगने वाला बूढ़ा जोहड़ का मेला किस जिले से संबंधित है? उत्तर- श्रीगंगानगर 10. ब्यावर के किस उद्योगपति ने स्वाधीनता सेनानियों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई थी? उत्तर- दामोदर दास राठी ने

समसामयिक घटनाचक्र-
भारतीय सेना का रेगिस्तान में वार गेम ' ऑपरेशन विजयी भव '

राज्य के श्रीगंगानगर जिले में सूरतगढ़ में पाकिस्तान से सटी सीमा के नजदीक 45 डिग्री से ऊपर तपते थार रेगिस्तान में भारतीय थल सेना व वायुसेना द्वारा दिनांक 9 से 15 मई तक सात दिनों तक संयुक्त वारगेम ‘ऑपरेशन विजयी-भव’ का अभ्यास किया गया। वार गेम की विशेषताएँ > श्रीगंगानगर जिले के 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में थलसेना व वायुसेना ने किया अभ्यास। > 50 हजार से अधिक सैनिकों व अधिकारियों ने भाग लिया। > वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग श्रृंखला के विमानों के अलावा लड़ाकू हेलिकॉप्टर चेतक, चीता व ध्रुव भी शामिल हुए। > काल्पनिक जंग में सेना की स्ट्राइक कोर ने भी अपनी ताकत व दक्षता दिखाई। > इस अभ्यास से सेना में शामिल किए गए नए युद्ध टैंकों, आधुनिक हथियारों व उपकरणों का ट्रायल करने के साथ ही परमाणु, जैविक व रासायनिक युद्ध से निपटने का अभ्यास किया गया। > वायुसेना द्वारा लड़ाकू विमानों से बमबारी करने और मिसाइलों की मारक क्षमता का आकलन किया गया।

RAJASTHAN STATE COMMISSION FOR WOMEN - राजस्थान राज्य महिला आयोग

राजस्थान में राज्य महिला आयोग की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 23 अप्रैल, 1999 को एक विधेयक राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। इस विधेयक के पारित होने पर 15 मई, 1999 को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार राजस्थान राज्य महिला आयोग का गठन किया गया। इतिहास- संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की। फिर उस के बाद से 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिलाओं के दशक के रूप में 1976-85 की घोषणा की। सीईडीएडब्ल्यू (कन्वेंशन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन) पर 1979 में हस्ताक्षर किए, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सुनिश्चित करता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है। लेकिन भारत ने 9 जुलाई, 1993 इस संधि सीईडीएडब्ल्यू पर कुछ संशोधनों के साथ हस्ताक्षर किए हैं, कि इससे न केवल लैंगिक भेदभाव को रोकता है, लेकिन यह भी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए, संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत मे

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज– 15 मई 2011

1. स्वाधीनता आंदोलन के समय 1889 में हिन्दी भाषा में प्रकाशित प्रथम दैनिक समाचार पत्र "राजस्थान समाचार" संपादक कौन थे? उत्तर- मुंशी समर्थदान 2. डूंगरपुर प्रजामण्डल की स्थापना 1944 में किसके द्वारा की गई थी? उत्तर- भोगीलाल पण्ड्या द्वारा 3. किस प्रजामण्डल का गठन 1938 में पं. हरिनारायण शर्मा व कुंजबिहारी मोदी द्वारा किया गया? उत्तर- अलवर प्रजामंडल 4. किस सन् में भरतपुर प्रजामण्डल का गठन गोपीलाल यादव की अध्यक्षता में किया गया? उत्तर- 1938 में 5. किसकी अध्यक्षता में धौलपुर प्रजामण्डल 1936 में गठित किया गया? उत्तर- कृष्णदत पालीवाल की 6. मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना 24 अप्रैल, 1938 को किसकी अध्यक्षता में की गई? उत्तर- बलवंत सिंह मेहता की 7. भुसावर के किस स्वाधीनता सेनानी को बेगार का विरोध करते समय भरतपुर में 5 फरवरी, 1947 को बस से कुचल कर मार डाला गया? उत्तर- रमेश स्वामी को 8. जोधपुर के किस स्वतंत्रता सेनानी की 19 जून, 1942 को जोधपुर केन्द्रीय कारागृह में भूख-हडताल के दौरान मृत्यु हुई? उत्तर- बालमुकुन्द बिस्सा की 9. स्वाधीनता आंदोलन के समय मारवाड़ हितका

प्रमुख प्राचीन मुद्राएं और उनके प्रचलन का क्षेत्र-

1. झाड़शाही- जयपुर अथवा ढूंढ़ाड़ प्रदेश 2. रामशाही- बूँदी व जयपुर 3. मुहम्मदशाही- जैसलमेर 4. सलीमशाही- प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा 5. लछमनशाही- बांसवाड़ा 6. हाली- बूँदी 7. कटारशाही- झालावाड़ 8. मदनशाही- झालावाड़ 9. गजशाही- बीकानेर 10. रावशाही- अलवर 11. विजयशाही- जोधपुर 12. फदका या फदिया मुद्रा- मारवाड़ 13. वीर दामन की मुद्राएं- बांसवाड़ा 14.आलमशाही- मेवाड़ 15.मेहताशाही- मेवाड़ 16.चांदोडी- मेवाड़ 17.स्वरूपशाही- उदयपुर 18.भूपालशाही- उदयपुर 19.उदयपुरी- उदयपुर 20.चित्तौड़ी- चित्तौड़ 21.भीलवाड़ी- भीलवाड़ा 22.त्रिशूलिया- उदयपुर 23.फींतरा- उदयपुर 24. अखैशाही- जैसलमेर 25. उदयशाही- डूंगरपुर 26. भींडरी पैसा- भींडर उदयपुर

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
14.5.2011

1. जैसलमेर के किस स्वाधीनता सेनानी को जेल में जिंदा जला दिया जिससे 4 अप्रैल, 1946 को उनका देहांत हो गया था? उत्तर- सागरमल गोपा को 2. सागरमल गोपा द्वारा रचित पुस्तक का नाम क्या है? उत्तर- जैसलमेर का गुण्डाराज 3. राजस्थान का गाँधी किसे कहा जाता है? उत्तर- गोकुल भाई भट्ट को 4. स्वाधीनता आंदोलन के समय रचे गए पंछीडा गीत के रचनाकार कौन थे? उत्तर- माणिक्य लाल वर्मा 5. वागड का गाँधी किसे कहा जाता है? उत्तर- भोगीलाल पण्ड्या को 6. सन् 1935 ई. में डूंगरपुर में किसके द्वारा हरिजन सेवा संघ की स्थापना की गई, जिसे 1920 में अजमेर में स्थानांतरित कर दिया गया था? उत्तर- भोगीलाल पाण्ड्या ने 7. वर्धा में 1919 में अर्जुनलाल सेठी, केसरी सिंह बारहठ व विजय सिंह पथिक ने किस संघ की स्थापना की थी? उत्तर- राजस्थान सेवा संघ की 8. सन् 1920 में मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना चांदमल सुराणा व साथियों द्वारा कहाँ की गई थी? उत्तर- जोधपुर में 9. जयनारायण व्यास द्वारा ब्यावर से प्रकाशित किए गए राजस्थानी भाषा के प्रथम राजनैतिक समाचार पत्र द्वारा का नाम क्या था? उत्तर- आगीबाण 10. अजमेर से सन्

राजीव गाँधी किशोरी बालिका सशक्तिकरण योजना (RGSEAG)-

11 से 18 वर्ष की आयु को किशोरावस्था कहा जाता है। यह अवस्था वयस्क होने के पूर्व का एक महत्त्वपूर्ण समय है। इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक परिवर्तन तेजी से होते हैं। यह मनोवैज्ञानिक विकास की अवस्था है। अतः इस अवस्था में कुपोषण को दूर करने के साथ स्वास्थ्य की देखभाल की जानी चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली बीमारियों को रोका जा सके। किशोरी बालिकाओं के शरीर में लौह तत्व एवं रक्त की कमी होने से उनके कार्य करने व नया सीखने की क्षमता कम हो जाती है। इससे उनके सामाजिक व आर्थिक विकास की गति अवरूद्ध हो जाती है। गर्भावस्था में रक्त की कमी से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसी कारण महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजीव गाँधी किशोरी बालिका सशक्तिकरण योजना (RGSEAG)- 'सबला' प्रारम्भ की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य की 11 - 15 वर्ष आयु की स्कूल नहीं जाने वाली तथा 15- 18 वर्ष की सभी बालिकाओं को वर्ष में 300 दिवस पूरक पोषाहार (जिसमें 600 किलो कैलोरी एवं 18 - 20 ग्राम माइक्रो न्यूट्रिएन्ट की मात्रा हो) उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के तहत राज्‍य में पायलट आधार पर 10 जिलों (भील

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-13.5.2011

1. चित्तौड़गढ़ जिले में भ्रमरमाता का मन्दिर कहाँ स्थित है? उत्तर: छोटी सादड़ी में 2. राजस्थान के किस किले को गढ़ बिरली भी कहा जाता है? उत्तर: अजमेर के तारागढ़ को 3. चित्तौड़ के पास स्थित प्राचीन मेवाड़ की मज्झमिका (मध्यमिका) या नगरी से प्राप्त ताम्रमुद्रा इस क्षेत्र को कौनसा जनपद घोषित करती है? उत्तर: शिविजनपद 4. आलमशाही, मेहताशाही, चांदोडी, स्वरुपशाही, भूपालशाही, उदयपुरी, चित्तौड़ी, भीलवाड़ी त्रिशूलिया, फींतरा आदि किसके नाम हैं? उत्तर- प्राचीन मुद्राओं के 5. नागौर में किस प्रसिद्ध सूफी संत की दरगाह है, जो अजमेर के बाद राजस्थान में इस्लाम के प्रमुख केन्द्र के रूप में विख्यात है? उत्तर- हमीदुद्दीन नागौरी की 6. किस लोक संत के सभी सिद्धान्त '29 शिक्षा’ के नाम से जाने जाते हैं? उत्तर- जम्भोजी 7. रियासत कालीन राजस्थान में राजस्‍व-प्रशासन की सबसे नीचे की कड़ी कौन था? उत्तर- चौकीदार या गांव का मुखिया 8. रियासत कालीन राजस्थान में राजस्व वाद का अन्तिम अपील का न्‍यायाधीश कौन होता था? उत्तर- राजा 9. देश में रॉक फॉस्फेट का सबसे बडा भण्डार कौनसी खान है? उत्तर- झामर

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
11. 5. 2011

1. खनन क्षेत्रों से प्राप्त आय की दृष्टि से राष्ट्रीय आय में राजस्थान राज्य का कौनसा स्थान है? उत्तर- पाँचवां 2. अलौह धातु सीसा, जस्ता एवं तांबे के उत्पादन मूल्य की दृष्टि से देश में राजस्थान का कौनसा स्थान है? उत्तर- प्रथम स्थान 3. लौह खनिज टंगस्टन आदि के उत्पादन मूल्य में राजस्थान प्रदेश का देश में कौनसा स्थान है? उत्तर- चौथा स्थान 4. ईमारती एवं सजावटी पत्थरों के उत्पादन में देश के कुल उत्पादन का कितने प्रतिशत उत्पादन कर राजस्थान का प्रथम स्थान है? उत्तर- 95 प्रतिशत 5. एमरॉल्ड, टंगस्टन व केडमियम खनिज राजस्थान के अलावा अन्य किस राज्य में उपलब्ध है? उत्तर- किसी में नहीं 6. राजस्थान में समस्त भारत के उत्पादन का वोलेस्टोनाईट एवं जास्पर का कितने प्रतिशत उत्पादित किया जाता है? उत्तर- 100 प्रतिशत 7. राजस्थान में जस्ता कन्सन्ट्रेट का समस्त भारत के कितने प्रतिशत उत्पादन किया जाता है? उत्तर- 99 प्रतिशत 8. देश के कुल कितने प्रतिशत फ्लोराईट का उत्पादन राजस्थान में किया जाता है? उत्तर- 96 प्रतिशत 9. राजस्थान में देश के कितने प्रतिशत जिप्सम का उत्पादन किया जाता है?

राजस्थान में पारसी हिन्दी रंगमंच

बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ से देश में एक नई रंगमंचीय कला "पारसी थियेटर" का विकास हुआ। किंतु अधिकांश विद्वान यह भी मानते हैं कि इस शैली का विकास "शेक्सपीरियन थियेटर" से प्रभावित होकर इंग्लैड में हुआ था। यह रंगमंचीय विधा लगभग आधी सदी तक उत्तर भारत में जन चेतना के संचार का सशक्त माध्यम रही। पारसी रंगमंच कला के विशिष्ट तत्व निम्नांकित हैं - (1) अभिनेताओं द्वारा मुख-मुद्राओं तथा हावभाव का व्यापक प्रदर्शन। (2) नाटक का निश्चित कथात्मक स्वरूप। (3) बोलचाल की भाषा का समावेश तथा संवाद की एक खास शैली। पारसी थियेटर शैली ने तीसरे दशक में राजस्थान के रंगकर्मियों पर पूरा प्रभाव डाला। कहा जाता है कि सर्वप्रथम बरेली के जमादार साहब की थिएटर कंपनी राजस्थान आई थी। इसके पश्चात स्व. लक्ष्मणदास डाँगी ने जोधपुर में मारवाड़ नाटक संस्था की स्थापना की तथा जानकी स्वयंवर, हरीशचंद्र, भक्त पूरणमल जैसे कई नाटक किए। इस कंपनी ने जयपुर, लखनऊ और कानपुर में भी कई नाटक किए। महबूब हसन नामक व्यक्ति ने आगा हश्र कश्मीरी के लिखे पारसी शैली के अनेक नाटक जयपुर व अलवर मेँ मंचित किए। व्यापक प्रभाव को जम

राजस्थान के प्रमुख नगर एवं उनके संस्थापक

1. अजमेर- श्री अजयपाल 2. अलवर- राव प्रतापसिंह जी 3. भरतपुर- राजा सूरजमल जी 4. बीकानेर- राव बीका जी 5. चित्तौड़- चित्रांगद मौर्य 6. करौली- अर्जुनपाल 7. गंगानगर- श्री गंगासिंह 8. जहाजपुर- राजा जनमेजय 9. जोधपुर- राव जोधा 10. जयपुर- सवाई जयसिंह 11. जैसलमेर- भाटी जैसल 12. खिज्राबाद {चित्तौड़}- खिज्र खां 13. किशनगढ़- किशनसिंह राठौड़ 14. प्रतापगढ़- महारावल प्रतापसिंह जी 15. रतनगढ़- महाराजा रतनसिंह 16. सूरतगढ़- महाराजा सूरतसिंह जी 17. सरदारशहर- महाराजा सरदारसिंह 18. सुजानगढ़ महाराजा सुजानसिंह 19. उम्मेदनगर- श्री उम्मेदसिंह 20. उदयपुर- महाराणा उदयसिंह 21. डूंगरपुर- महारावल डूंगरसिंह 22. सवाई माधोपुर- सवाई माधोसिंह प्रथम

राजस्थान की योजनाएँ - चिरायु योजना

  राजस्थान की योजनाएँ - चिरायु योजना समाज से उपेक्षित बीपीएल वर्ग के वृद्धों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए सरकार की चिरायु योजना शुरू की गई है, इसमें जन सहभागिता योजना के अंतर्गत ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) बनाए जा रहे हैं। इन वृद्धाश्रम में ऐसे लोगों को पारिवारिक माहौल मिल सकेगा जो परिवार या समाज से अलग-थलग पड़ गए हैं। नोडल एजेंसी : योजना की क्रियान्विति के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। वृद्धाश्रम संचालित करने वाले संस्थान को भवन निर्माण के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान है। सरकारी सहायता : >आवेदन करने वाली संस्था को सरकार की ओर से वृद्धाश्रम खोलने के लिए 15 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। इसमें 70 प्रतिशत राशि संस्था को परियोजना स्वीकृति के समय तथा 30 प्रतिशत भवन निर्माण पूर्ण होने पर दी जाएगी। > संस्थानों को स्थानीय निकाय एक हजार गज भूमि नि:शुल्क देगा। अधिक भूमि चाहने पर डी.एल.सी. दर की 50 फीसदी रियायती राशि पर अतिरिक्त भूमि का आबंटन किया जाएगा। प्रवेश की पात्रता : गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के 60

कांठल का गौतमेश्वर है पापमुक्ति का धाम

कांठल नाम से जाना जाने वाले प्रतापगढ़ के मंदिरों में मुख्यतः गौतमेश्वेर महादेव का मंदिर है, जो अरनोद उपखंड में प्रतापगढ़ से मात्र 20 किलोमीटर दूर स्थित है। गौतमेश्वर पापमुक्ति करने की महिमा के कारण दूर-दूर तक विख्यात है। यह मान्यता है कि प्राचीन काल में इस स्थान पर गौतम ऋषि ने तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने वरदान दिया था कि इस स्थान पर स्थित मंदाकिनी कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को उसके द्वारा अनजाने में किए गए समस्त पापों से मुक्ति मिल जाएगी। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर गौतम ऋषि को उनके गौ-हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। तभी से यह स्थान पापमुक्ति के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में पापमुक्ति का प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है। प्रायश्चित करने के लिए यहाँ रोज कई लोग आते हैं। इनमें ज्यादातर वे होते हैं जिनके द्वारा किसी कारण गाय, मोर, गिलहरी जैसे जानवरों की मौत हो जाती है। ये लोग मुंडन करवाकर मंदाकिनी कुंड में डुबकी लगाते हैं। मंगलेश्वर व गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना के बाद कुछ शुल्क के जमा कराने पर प्राप्त प्रमाण पत्र लेकर अपनी बिरादरी में पेश करते हैं। अंचल के कई समाजों

महिलाओं के विकास और उन्नयन में साथिन की भूमिका

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक महिला साथिन के रूप में नियुक्त होती है जिसका चयन उस पंचायत क्षेत्र की 'महिला ग्राम सभा' द्वारा किया जाता है। साथिन के मुख्य कार्य– 1. ग्राम पंचायत स्तर पर साथिन वह कड़ी है, जो प्रशासन में गाँव की आधी आबादी अर्थात महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है। 2. साथिन की भूमिका गाँव की महिलाओं को एक दोस्त, परामर्शदात्री और पथ–प्रदर्शक के रूप में सम्बल देना तथा उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना। 3. ग्रामीण महिलाओं को सरकार की विकास योजनाओं में महिलाओं को लाभ पहुंचाने के प्रावधानों की जानकारी देने के लिए संबंधित विकास विभाग के अधिकारियों/ कार्यकर्ताओं को जाजम पर बुलाकर गाँव की सभी महिलाओं से चर्चा करवाना। 4. महिलाओं में विकास योजनाओं का लाभ उठाने की ललक और मांग पैदा करना। 5. गाँव में बालिकाओं की स्थिति सुधरे, उसे भी पूरा प्यार, अधिकार और सम्मान मिले, समाज में ऐसा माहौल तैयार करने का सतत् प्रयास करना। 6. महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, अत्याचार, अपराध, शोषण, उत्पीड़न के मामलों में गाँव की महिलाओं को संगठित करना एवं आवश्य

समसामयिक घटनाचक्र

जैन साध्वी अर्चना पर डाक टिकट जारी जैन साध्वी महासती गुरुमाता उमराव कुंवर ‘अर्चना’ की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी स्मृति में अजमेर में दिनांक 30 अप्रैल को आयोजित एक समारोह में केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने एक डाक टिकट जारी किया। पायलट ने इस अवसर पर कहा कि प्रथम बार किसी जैन साध्वी के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया है। किसी महिला के नाम पर डाक टिकट जारी होने से देश की करोड़ों महिलाओं का सम्मान बढ़ा है। इस डाक टिकट से महासती अर्चना की यादें चिरस्थाई हो गई है। देश में स्कूलों की सबसे बड़ी कंप्यूटरीकरण योजना अजमेर जिले की पीसांगन पंचायत समिति में पुष्कर के पास गनाहेड़ा गाँव की राजकीय माध्यमिक विद्यालय में देश में स्कूलों की सबसे बड़ी कंप्यूटरीकरण योजना "एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क" का शुभारंभ केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने दिनांक 30 अप्रैल को किया। इस विद्यालय में ई लर्निग केंद्र व वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा के तहत स्थापित कंप्यूटर प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया। इस योजना के तहत 25 करोड़ की लागत से ग्रामीण क्षेत्रों के 247

महिला विकास में प्रचेताओं की भूमिका

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर एक प्रचेता नियुक्त की जाती है, जिसके मुख्य कार्य निम्न प्रकार से है– प्रचेता के उत्तरदायित्व एवं कार्य– प्रचेता शब्द का अर्थ ज्ञानवान एवं कार्य के प्रति समर्पित महिला है। महिला अधिकारिता की यह प्रमुख प्रेरक है, जो पंचायत समिति/ब्लॉक स्तर पर नियुक्त होती है। प्रचेता ग्राम पंचायत पर महिला समिति के माध्यम से साथिन का चयन करवाती है। साथिन के हर कार्य में मार्गदर्शन, मदद, सहयोग एवं कार्य संयोजन करती है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पंचायती राज विभाग, आई. सी. डी. एस. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, स्वयंसेवी संस्थान से समन्वय स्थापित करते हुए महिलाओं को सशक्तीकरण के विभिन्न आयामों से जोड़ने का कार्य करती है। प्रचेता अपने क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करती है:– 1. महिला विकास केन्द्र की स्थापना के लिए ग्राम पंचायतों के साथ विचार–विमर्श करके उपयुक्त स्थान का चयन करना तथा महिला विकास केन्द्र के क्रियान्वयन की गुणवत्ता बनाए रखने में साथिन की मदद करना। 2. ग्रामीण महिलाओं की आवश्यकता को देखते हुए उन्हें विभागीय योजनाओं का लाभ दिल

राजस्थान समसामयिकी- अलवर के टपुकड़ा में विकसित होगी अपेरल सिटी

बड़े शहरों में श्रमिकों की भारी समस्या को देखते हुए अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ए. ई. पी. सी.) ने अब गाँवों के आसपास अपैरल सिटी विकसित करने का फैसला किया है। इस दिशा में सर्वप्रथम राजस्थान अपैरल सिटी की स्थापना अलवर जिले के टपूकड़ा में 250 एकड़ में विकसित की जाएगी। यह विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस होगी और यहाँ श्रमिकों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ( रीको ) ने ए. ई. पी. सी. की इस बड़ी परियोजना को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है और शीघ्र ही टपुकड़ा में भूमि भी दे दी जाएगी। मानेसर से लगभग 40 किमी दूर बनने वाली इस अपैरल सिटी में 1000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की आशा है। अगले पाँच साल के दौरान इस सिटी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। रीको ने इस परियोजना के लिए टपुकड़ा में जमीन चिह्नित कर ली है एवं अगले एक-दो सप्ताह में ए. ई. पी. सी. को 250 एकड़ जमीन सौंप दी जाएगी। ए.ई.पी.सी. स्पेशल परपस व्हीकल्स (एस.पी.वी.) के जरिए यहाँ अपैरल सिटी विकसित करेगी। ए.ई.पी.सी. के अनुसार भारत

महिला अधिकारिता विभाग

वर्ष 2007–08 के बजट घोषणा में पृथक से महिला अधिकारिता निदेशालय के गठन की घोषणा की गई। इस घोषणा की अनुपालना में महिला एवं बाल विकास विभाग का विभाजन कर पृथक से महिला अधिकारिता निदेशालय का गठन दिनांक 18 जून, 2007 को किया गया। इस विभाग के सृजन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के वैयक्तिक, सामाजिक, आर्थिक एवं आयोत्पादक गतिविधियों को बढ़ावा देना एवं उनका विकास करना था। महिला अधिकारिता निदेशालय के अंतर्गत वर्तमान में महिला विकास से संबन्धित समस्त योजनाएं, जो कि महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु राज्य/जिला/ब्लॉक स्तर पर संचालित है, का क्रियान्वयन एवं प्रबोधन किया जाता है। महिला अधिकारिता निदेशालय द्वारा विभिन्न विभागों की योजनाओं एव नीतियों में समन्वयन कर महिलाओं को वास्तविक लाभ पहुचाने का प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, परिवार कल्याण, रोजगार तथा प्रशिक्षण एवं उनका सामाजिक सशक्तिकरण महिला अधिकारिता के प्रमुख क्षेत्र हैं। इसके अन्तर्गत महिलाओं को विकास की प्रक्रिया में केवल लाभार्थी के रूप में नहीं देखा जाकर एक आवश्यक भागीदार के रूप में समझा जाता है ताकि एक समेकित मानवीय दृष्टिकोण

राजस्थान राजस्‍व मंडल

स्वाधीनता से पूर्व की राजस्व बंदोबस्त से संबंधित विभिन्न समस्‍याओं को हल करने के लिए तथा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए 1949 में राजस्‍थान में शामिल होने वाली रियासतों के उच्‍च बन्‍दोबस्‍त एवं भू-अभिलेख विभाग का पुनर्गठन एवं एकीकरण किया गया। उस समय इस विभाग का एक ही अधिकारी था जो कई रूपों में कार्य करता था, यथा- > बन्‍दोबस्‍त आयुक्‍त, > भू-अभिलेख निदेशक, > राजस्‍थान का पंजीयन महानिरीक्षक एवं > मुद्रा अधीक्षक आदि। एक वर्ष बाद, मार्च 1950 में भू-अभिलेख, पंजीयन एवं मुद्रा विभागों को बन्‍दोबस्‍त विभाग से पृथक कर दिया गया। भू-अभिलेख विभाग के निदेशक को ही पदेन मुद्रा एवं पंजीयन महानिरीक्षक बना दिया गया। भू-अभिलेख निदेशक की सहायता के लिए तीन सहायक भू अभिलेख निदेशक नियुक्‍त किए गए। इन सभी निकाय गठित किया गया। इसे राजस्‍व मंडल कहा गया। इसका कार्य राजस्‍व वादों का भय एवं पक्षपात रहित होकर उच्‍चतम स्‍तर पर निर्णय करना था। संयुक्‍त राजस्‍थान राज्‍य के निर्माण के पश्‍चात महामहिम राजप्रमुख ने 7 अप्रैल 1949 को एक अध्‍यादेश द्वारा राजस्‍थान के राजस्‍व मंडल { Board

राज्य के बजट की प्रमुख घोषणाएं

राजस्थान बजट 2011-12 >50 हजार शिक्षकों की भर्ती की घोषणा, जिनमें संस्कृत शिक्षा के शिक्षक भी। इसके लिए राइट टू एजूकेशन एक्ट तहत अध्यापक पात्रता परीक्षा { टी. ई. टी. } के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अधिकृत किया गया। > राज्य में उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रथम ग्रेड शिक्षक व लैब टेक्नीशियनों के 25406 पदों की भर्ती होगी। > रहवास वाले गाँवों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर छात्राओं के लिए 8 वीं कक्षा की शिक्षा प्राप्त करने पर साइकिल उपलब्ध कराने का प्रावधान। इसके लिए अंशदान राशि 300 से घटाकर 100 रुपए किया। 142 हजार छात्राएं लाभान्वित होंगी। > विद्यार्थी सुरक्षा बीमा योजना में सभी स्कूली विद्यार्थियों का 1 लाख रुपए तक का बीमा किया जाएगा। > जनजातीय क्षेत्र में एन. टी. टी. प्रशिक्षितों को नियुक्ति दी जाएगी। > अध्यापक ग्रेड तीन के उर्दू शिक्षकों के 500 पदों पर नियुक्ति देने की घोषणा। > आगामी वर्ष में प्रयोगशाला सहायकों के 200 पद भरे जाएंगे। > कोटा में आई. आई. आई. टी. खोले जाने की घोषणा। > इसके लिए निशुल्क भूमि व 45 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इस

राजस्थान समसामयिक घटनाएँ

हाड़ौती में मिले शैल चित्र रावतभाटा-गांधी सागर मार्ग पर बने कचोटी के नाले की कंदराओं में लगभग 30 हजार साल पुराने शैलचित्र मिले हैं। हाल ही में मिले एक शैलचित्र में एक चट्टान पर बैल की आकृति उकेरी गई है, जिसके सामने एक व्यक्ति शिकार की मुद्रा में खड़ा है। विशेषज्ञों द्वारा इसकी आयु 30 हजार वर्ष बताई गई है जिसका पता पुराअन्वेषकों द्वारा "कार्बन डेंटिंग विधि" से गणना कर किया है। यह हाड़ौती क्षेत्र में एक नई खोज है। इससे पहले यहाँ लाल रंग के भालू का सुंदर व दुर्लभ शैलचित्र भी मिल चुका है। पुरा अन्वेषकों के अनुसार सामान्यतया शैलचित्रों में भालू की रॉक पेंटिंग कम मिलती है। प्राचीन काल में आदिमानव चट्टान या पत्थर पर चित्र उकेरता था इसे शैलचित्र कहा जाता है। कचोटी के नाले में हुई शैल चित्रों की खोज में मानव शिकार के अलावा वन्य जीवन की पूरी झलक नजर आती है। यहां इनके चित्रांकन में वन्य पशु, शिकार, शिकारी सहित अन्य चित्र भी हैं। यहां सबसे प्राचीन चित्र एक बैल का है जो उत्तर प्राचीन काल का 30 हजार वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इस चित्र का रंग हरा एवं काला मिश्रित है। यहाँ के शैल चित्रों

प्रदेश को पंचायती राज का डेढ़ करोड़ रुपए का प्रथम पुरस्कार

पंचायती राज व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण तथा नवाचारों को अपनाने के लिए राजस्थान को डेढ़ करोड़ रुपयों का प्रथम पुरस्कार दिनांक 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया। यह पुरस्कार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय पंचायत दिवस समारोह में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी से राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री भरत सिंह ने ग्रहण किया। समारोह में अजमेर जिले की श्रीनगर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत अराडका को भी "राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार" से नवाजा गया। ग्राम पंचायत को दस लाख रुपए नकद पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए गए। यह पुरस्कार ग्राम पंचायत अराड़का की सरपंच रईसा खातून होशियारा ने प्राप्त किया। उल्लेखनीय है कि पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज का आंकलन करने वाली आईआईपी संस्था ने विस्तृत सर्वे कर वर्ष 2010-11 के दौरान राजस्थान में पंचायती राज के विकास के लिए किए कार्यों को उत्कृष्ट माना हैं। इसी तरह राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार के लिए राजस्थान सहित देश के सात राज्यों गोवा, गुजरात, हरियाण

सूरज के रहस्यों को खोलती उदयपुर की सौर वैधशाला-

सौर अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध 'उदयपुर सौर वैधशाला { यू. एस. ओ. }' भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत अहमदाबाद में कार्यरत 'भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला {पी. आर. एल. }' की एक यूनिट के रूप में संचालित है। उदयपुर सौर वेधशाला उदयपुर की प्रसिद्ध फतहसागर झील के मध्य एक टापू पर स्थित है तथा इसका मुख्य भवन इस झील के उत्तर पश्चिम में रानी रोड़ पर स्थित है। उदयपुर के आकाश की स्थिति सूर्य के अवलोकन या प्रेक्षण के लिए उपयुक्त है, इसी कारण इसकी स्थापना यहाँ की गई थी। इसे पानी के अंदर स्थापित करने का कारण यह है कि सूर्य अध्ययन के उपयोग में लिए जाने वाले दूरदर्शी के चारों ओर पानी होने से सतह की परतें सूर्य की गर्मी से कम गर्म हो पाती है, फलस्वरूप हवा में परिवर्तन या डिस्टर्बेंस कम होते हैं और दूरदर्शी से सूर्य के चित्र अच्छी क्वालिटी के प्राप्त होते हैं। इस कारण सूर्य के प्रकाश मंडल या फोटोस्फीयर तथा वर्णमंडल या क्रोमोस्फीयर में होने वाली हलचल व सूर्य की सतह पर होने वाली घटनाओं का अधिक अच्छी तरह से अध्ययन कर समझा जा सकता है। इस वेधशाला में सूर्य में होने वाली घटनाओं

जोधपुर का 'धींगा गवर' का प्रसिद्ध बेंतमार मेला

राजस्थान के पश्चिमी भाग के जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर आदि क्षेत्रों में सुहागिनें अखंड सुहाग की कामना के लिए धींगा गवर की पूजा करती है। यह पूजा सामान्यत: गणगौर पूजा के बाद चैत्र शुक्ल तृतीय से वैसाख कृष्ण पक्ष की तृतीया तक होती है। धींगा गवर का पर्व पति-पत्नी के आपसी प्रेम का द्योतक भी माना जाता है। गवर को विधवाएं व सुहागिनें साथ-साथ पूजती हैं, लेकिन कुंआरी लडकियों के लिए गवर पूजा निषिद्ध है। गवर की सोलह दिवसीय पूजा शुरू करने से पूर्व महिलाएं मोहल्ले के किसी एक घर में दीवार पर गवर का चित्र बनाती है। ये स्त्रियाँ घरों की दीवारों पर कच्चे रंग से शिव, गजानन व बीचों बीच में घाघर सिर पर उठाए स्त्री के चित्र भी बनाती हैं। इन चित्रों में मूषक, सूर्य व चंद्रमा आदि के भी चित्र होते हैं। इन चित्रों के नीचे कूकड, माकडव तथा उसके चार बच्चों के चित्र भी बनाए जाते हैं या फिर उनके मिट्टी से बने पुतले रखे जाते हैं। इसके अलावा कई घरों में गवर की प्रतिमा भी बिठाई जाती है। इस पर्व की पूजा का समापन बैसाख शुक्ल पक्ष की तीज की रात्रि को गवर माता के रातीजगा के साथ होता है। गवर पूजा में सोलह की संख्या का अत्यंत

राजस्थान के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा संचालित म्यूजियम-

राज्य स्तरीय संग्रहालय { म्यूजियम }- 1. राजकीय केन्द्रीय संग्रहालय, अलबर्ट हॉल { अलबर्ट म्यूजियम }, जयपुर संभाग स्तरीय संग्रहालय- 1. राजकीय संग्रहालय, उदयपुर 2. राजकीय संग्रहालय, जोधपुर 3. राजकीय संग्रहालय, बीकानेर 4. राजकीय संग्रहालय, कोटा 5. राजकीय संग्रहालय, अजमेर 6. राजकीय संग्रहालय, हवामहल, जयपुर 7. राजकीय संग्रहालय, भरतपुर जिला स्तरीय संग्रहालय- 1. राजकीय संग्रहालय, अलवर 2. राजकीय संग्रहालय, डूंगरपुर 3. राजकीय संग्रहालय, चित्तौड़गढ़ 4. राजकीय संग्रहालय, जैसलमेर 5. राजकीय संग्रहालय, पाली 6. राजकीय संग्रहालय, झालावाड़ 7. राजकीय संग्रहालय, सीकर स्थानीय संग्रहालय- 1. राजकीय संग्रहालय, आहड़, उदयपुर 2. राजकीय संग्रहालय, मंडोर, जोधपुर 3. राजकीय संग्रहालय, माउंट आबू, सिरोही राज्य की आर्ट गैलरी- 1. आर्ट गैलरी, विराटनगर, जयपुर संग्रहालय जो प्रारंभ किए जाने हैं- 1. राजकीय संग्रहालय, केसरीसिंह बारहठ की हवेली, शाहपुरा, भीलवाड़ा 2. टाउन हॉल, पुराना विधानसभा भवन, जयपुर 3. राजकीय संग्रहालय, बारां

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

संस्थाओं को रियायती दर पर भूमि आवंटन नीति मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत राज्य मंत्रिमंडल की दिनांक 13 अप्रैल को हुई बैठक में सार्वजनिक, चैरिटेबल एवं सामाजिक संस्थाओं को रियायती दर पर भूमि के आवंटन के संबंध में नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। > शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को भूमि आवंटन के लिए विशेष रूप से इस नीति को बनाया गया है। > इस नीति के अनुसार किसी संस्था को निःशुल्क भूमि देने का निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में होगा। > भूमि के आवंटन में 70 प्रतिशत तक की छूट कैबिनेट सब कमेटी द्वारा दी जा सकेगी तथा 50 प्रतिशत तक की छूट संबंधित विभाग के मंत्री दे सकेंगे। > इस नीति में स्पष्ट किया गया है कि जिन प्रकरणों में भूमि का नि:शुल्क आवंटन किया गया है, उनमें भूमि का स्वामित्व सामान्य तौर पर संस्था को हस्तांतरित नहीं कर संबंधित स्थानीय निकाय में रहेगा। > जिन शिक्षण संस्थाओं को भूमि आवंटित की जाएगी, उसमें 25 प्रतिशत सीटें गरीबी की रेखा से नीचे के परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित रहेंगी। >भू आवंटन नीति के अनुसार आवंटित भूमि पर बनने वाले अस्पताल या

चतुर्थ राज्य वित्त आयोग एवं उसके कार्य

चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का संगठन- अध्यक्ष - डॉ. बी. डी. कल्ला सदस्य- राजपाल सिंह शेखावत एवं जे. पी. चन्देलिया सदस्य सचिव- डॉ. पी. एल. अग्रवाल कार्यकाल- 31 दिसम्बर, 2011 तक प्रमुख कार्य- > सभी स्तरों पर पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनरावलोकन। > राज्य के और सभी स्तरों की पंचायतों के मध्य, राज्य द्वारा उद्ग्रहणीय ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों के शुद्ध आगमों का वितरण, ऐसे आगमों के सभी स्तरों की पंचायतों के मध्य उनके अपने अपने अंशों का आवंटन के विषय सहित ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों का अवधारण जो सभी स्तरों पर की पंचायतों को समनुदेशित किए जा सकेंगे या उनके द्वारा विनियोजित किए जा सकेंगे। > राज्य की संचित निधि में से सभी स्तरों पर की पंचायतों को सहायता, अनुदान तथा पंचायतों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए आवश्यक उपाय सम्बन्धी विषयों पर सिफारिश करना। > नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति का भी पुनरावलोकन करना। > राज्य के और नगरपालिकाओं के मध्य, राज्य द्वारा उद्ग्रहणीय ऐसे करों, शुल्कों, पथ करों और फीसों के शुद्ध आगमों का वितरण। > ऐसे आगमों के स

राजस्थान समसामयिक सामान्य ज्ञान-

राजस्थान की सौर ऊर्जा नीति को स्वीकृत

राजस्थान देश का वह प्रथम राज्य है, जहाँ सौर ऊर्जा नीति लागू की गई है। राज्य में सौर ऊर्जा के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में दिनांक 13 अप्रैल को इस सौर ऊर्जा नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। >इस नीति से राज्य के ऊर्जा के क्षेत्र में बाहरी कंपनियों के लिए निवेश के रास्ते खुलेंगे। >बैठक के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने बताया कि सौर ऊर्जा नीति में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी गई है। > केंद्र सरकार ने भी जवाहर लाल नेहरू सौर ऊर्जा मिशन के प्रथम चरण के लक्ष्य 825 मेगावाट में अकेले राजस्थान में 589 मेगावाट के संयंत्र लगाने का प्रावधान किया गया है। > इसके द्वितीय चरण में 300 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र को मंजूरी मिल सकती है। >राज्य में 700 मेगावाट के प्लांट पहले से ही प्रक्रियाधीन है, जिसमें एक-एक मेगावाट के लघु संयंत्र भी सम्मिलित हैं। >देश का 5 मेगावाट का प्रथम संयंत्र नागौर जिले के खींवसर में प्रारंभ हुआ। > देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की सर्वाधिक संभावना राजस्थान में है। >इस नीति

राजस्थान सामान्य ज्ञान-
मारवाड़ का घुड़ला त्यौहार


मारवाड़ के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर आदि जिलों में चैत्र कृष्ण सप्तमी अर्थात शीतला सप्तमी से लेकर चैत्र शुक्ला तृतीया तक घुड़ला त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के प्रति बालिकाओं में ज्यादा उत्साह रहता है। घुड़ला एक छिद्र किया हुआ मिट्टी का घड़ा होता है जिसमें दीपक जला कर रखा होता है। इसके तहत लड़कियाँ 10-15 के झुंड में चलती है। इसके लिए वे सबसे पहले कुम्हार के यहां जाकर घुड़ला और चिड़कली खरीद कर लाती हैं, फिर इसमें कील से छोटे-छोटे छेद करती हैं और इसमें दीपक जला कर रखती है। इस त्यौहार में गाँव या शहर की लड़कियाँ शाम के समय एकत्रित होकर सिर पर घुड़ला लेकर समूह में मोहल्ले में घूमती है। घुड़ले को मोहल्लें में घुमाने के बाद बालिकाएँ एवं महिलाएँ अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों के यहाँ घुड़ला लेकर जाती है। घुड़ला लिए बालिकाएँ घुड़ला व गवर के मंगल लोकगीत गाती हुई सुख व समृद्धि की कामना करती है। जिस घर पर भी वे जाती है, उस घर की महिलाएँ घुड़ला लेकर आई बालिकाओं का अतिथि की तरह स्वागत सत्कार करती हैं। साथ ही माटी के घुड़ले के अंदर जल रहे दीपक के दर्शन करके सभी कष्टों को दूर करने तथा घर में सुख शांति

राजस्थान समसामयिक सामान्य ज्ञान

राजस्थान में वाइफरेकशन डबल किसिंग टेक्नोलॉजी से एंजियोप्लास्टी फ्रांस की कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. एम. सी. मोरिस ने जयपुर के चिकित्सकों की टीम के साथ राजस्थान के चिकित्सा इतिहास में प्रथम बार वाइफरेकशन डबल किसिंग टेक्नोलॉजी से एंजियोप्लास्टी की। कॉम्प्लेक्स कॉरोनरी एंजियोप्लास्टी पर दिनांक 9 अप्रैल से शुरू हुई चौथी कांफ्रेंस में यह एंजियोप्लास्टी की गई। इस तकनीक में धमनी और इसकी ब्रांच में एक साथ बैलून डाले गए। इसकी सफलता दर काफी अच्छी होने से अब हृदय रोगियों का उपचार इस नई तकनीक से किया जा सकेगा। जयपुर हार्ट इंस्टीट्यूट में की गई इस सर्जरी का लाइव टेलिकास्ट एस. एम. एस. अस्पताल के कन्वेशन सेंटर में किया गया। अभी हाल में जिस टेक्नोलॉजी से एंजियोप्लास्टी हो रही है उसकी तुलना में यह पांच से दस प्रतिशत महंगी है लेकिन इसमें अभी तक ज्यादा सफलता मिल रही है। इसके अलावा इस कांफ्रेंस में हृदय आघात को लेकर सिम्पोजियम भी हुई। चिकित्सकों के अनुसार विदेशों में जीवन शैली और भोजन में बदलाव करते हुए व्यायाम करने पर जोर देने के कारण विदेशों में हृदय आघात में कमी आ रही है। वहीं भारत में इनमें तेजी से वृद्धि

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड

राजस्थान में शक्ति विकास सन् 1949 में प्रारंभ हुआ। उस समय विद्युत शक्ति केवल बहुत कम शहरों तक ही सीमित थी तथा विद्युत को लक्जरी वस्तु माना जाता था। उस समय कुल 42 से अधिक शहर और गाँव विद्युतीकृत नहीं थे तथा स्थापित उत्पादन क्षमता केवल 13.27 MW थी। राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड का गठन 1 जुलाई 1957 को होने के पश्चात राज्य में विद्युत उत्पादन के प्रयास तेज हुए। राज्य सरकार द्वारा किए गए पावर रिफॉर्म्स के तहत राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड RESB को जुलाई 2000 में निम्नलिखित पाँच कंपनियों में बाँट दिया गया- 1. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUN) 2. राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (RVPN) 3. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL) 4. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) 5. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JDVVNL) राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड- इस निगम को निम्नलिखित कार्य सौंपा गया- >राज्य में शक्ति उत्पादन संयंत्रों का विकास, उनका संचालन और रखरखाव करना। राज्य सरकार द्वारा राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की स्थापना 1

आर. एस. एम. एम. एल. - राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड

स्थापना- राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (RSMML) राजस्थान सरकार के अग्रणी व विकासशील उपक्रमों में से एक उपक्रम है। इसका मुख्यालय उदयपुर में है। इसकी स्थापना उदयपुर जिले के झामर कोटडा क्षेत्र से रॉक फॉस्फेट के खनन के लिए की गई थी। झामर कोटडा खान का विस्तार लगभग 26 किमी तक है जिसमें करीब 740 लाख टन रॉक फॉस्फेट होने का अनुमान है। उद्देश्य-  इसकी स्थापना का प्रारंभिक उद्देश्य उदयपुर जिले के झामर कोटडा क्षेत्र से रॉक फॉस्फेट के खनन के लिए था किन्तु प्रमुख उद्देश्य न्यून लागत वाले तकनीकी नवाचारों का विकास करना है। इसके साथ ही खनिज आधारित प्रायोजनाओं को विकसित करना भी इसका एक उद्देश्य है। इसके अलावा ''लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत् संयंत्रों'' को ईंधन के रूप में लिग्नाइट उपलब्ध कराना और जैसलमेर में पवन ऊर्जा फार्म्स की स्थापना करना है।  RSMML द्वारा खनन कार्य- RSMML उपक्रम ने अधात्विक खनिजों के उत्पादन एवं विपणन में देश में सम्मानजनक स्थान अर्जित किया है। RSMML बहुखनिज उत्खनन प्रतिष्ठान है जो विभिन्न स्थानों पर रॉक फॉस्फेट, लिग्नाइट कोयला, SMS ग्रेड लाईम