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Ram Devra & Baba Ramdev Ji of Rajasthan

Baba Ramdev is a folk deity of Rajasthan. His birth anniversary is celebrated as Baba Ramdev Jayanti. It is the second day of Shukla Paksha of Bhadrapada month. King Ajmal (Ajaishinh) married Queen Minaldevi, the daughter of Pamji Bhati of Chhahan Baru village. For several years, the couple remained childless. The king went to Dwaraka and pleaded with Krishna about his wish to have child like him. They had two sons, Viramdev and the younger Ramdev. Ramdev was born on Bhadarva Shukla dooj in V.S. 1409 at Ramderiya Undu in Kashmir in Barmer district. Baba Ramdev was a very hardworking king who dedicated his life to the people of his kingdom. He took up many welfare measures for his people. He strived hard for the upliftment of the poor and downtrodden people. He preached about equality. Though he was a reviver of Hinduism, he treated people of all religions equally. He took Samadhi at the age of 33 on Bhadrapada Shukla Ekadashi. Ramdevra lies on route of

लोक देवता पाबूजी और बाबा रामदेव जी

राजस्थान के प्राचीन लोक जीवन में कुछ ऐसे व्यक्तित्व हुए है जिन्होंने लोक कल्याण के लिए अपना जीवन तक दाँव लगा दिया और देवता के रूप में सदा के लिए अमर हो गए। इन लोक देवताओं में कुछ को पीर की संज्ञा दी गई है। एक जनश्रुति के अनुसार राजस्थान में पांच पीर हुए हैं, जिनके नाम पाबूजी, हड़बूजी, रामदेवजी, मंगलिया जी और मेहा जी है। इस जनश्रुति का दोहा इस प्रकार है- पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा। पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा ॥ इन्हें 'पंच पीर' भी कहा जाता है। लोक देवता पाबूजी का जन्म संवत 1313 (1239 ई.) में जोधपुर जिले में फलौदी के पास कोलूमंड गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम धाँधल जी राठौड़ था जो मारवाड़ के राव आसथान के पुत्र थे। वे एक दुर्ग के दुर्गपति थे। पाबूजी का विवाह अमरकोट के सोढ़ा राणा सूरजमल की पुत्री के साथ तय हुआ। वीर पाबूजी राठौड़ ने अपने विवाह में फेरे लेते हुए सुना कि उनके बहनोई श्री जींदराव खींची एक अबला स्त्री देवल चारणी की गाएँ हरण कर ले जा रहे हैं। उन्होँने उस महिला को उसकी गायों की रक्षा का वचन दे रखा था। गायों के अपहरण की बात सुनते ही वे आधे