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Showing posts from December, 2013

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-
विभिन्न पुरस्कार २०१३

  राजस्थान साहित्य अकादमी के 2013-14 के पुरस्कार- 1.        सर्वोच्च मीरा पुरस्कार- सर्वोच्च मीरा पुरस्कार कांकरोली (राजसमन्द) से प्रकाशित पत्रिका ‘संबोधन’ के संपादक और वरिष्ठ लेखक कमर मेवाडी को उनके कहानी संग्रह ‘ जिजीविषा और अन्य कहानियों पर । 2.        सुधीन्द्र पुरस्कार-      अजमेर के डॉ. अनुराग शर्मा को उनके कविता संग्रह ‘ तेरे जाने के बाद तेरे आने से पहले ’ पर । 3.        रांगेय राघव पुरस्कार- जयपुर के रामकुमार सिंह को उनके कहानी संग्रह ‘ भोभर तथा अन्य कहानियां ’ पर। 4.        देवीलाल सांभर पुरस्कार(नाट्य विधा)- जयपुर के सुनील खन्ना को उनकी नाट्य पुस्तक ‘ नव्य लघु नाटक ’ पर । 5.        आलोचना का देवराज उपाध्याय पुरस्कार- कोटा के डॉ. नरेन्द्र चतुर्वेदी को उनकी पुस्तक ‘ हाडौती अंचल की हिन्दी काव्य परंपरा और विकास’ पर। 6.        कन्हैयालाल सहल पुरस्कार- सवाई माधोपुर के प्रभाशंकर उपाध्याय को उनके व्यंग्य संग्रह ‘ काग के भाग बडे ’ पर । 7.        डॉ. आलमशाह खान अनुवाद पुरस्कार- बीकानेर के जेठमल मारू को उनकी पुस्तक ‘ ईप्सितायन ’ पर । 8

राजसमन्द का राजप्रशस्ति शिलालेख-

राजसमन्द का राजप्रशस्ति शिलालेख- राजप्रशस्ति महाकाव्य की रचना श्री रणछोड़ भट्ट नामक संस्कृत कवि द्वारा मेवाड़ के महाराणा राजसिंह की आज्ञा से 1676 ई. में की थी । इस ग्रन्थ के लिखे जाने के छ: वर्ष पश्चात महाराणा जयसिंह की आज्ञा से इसे शिलाओं पर उत्कीर्ण किया गया । छठी शिला में इसका संवत 1744 दिया हुआ है । इसे 25 बड़ी शिलाओं में उत्कीर्ण करवा कर राजसमन्द झील की नौ चौकी पाल (बांध) पर विभिन्न ताकों में स्थापित किया गया । यह भारत का सबसे बड़ा शिलालेख है । इसका प्रत्येक शिलाखंड काले पत्थर से निर्मित है जिनका आकार तीन फुट लम्बा तथा ढाई फुट चौड़ा है । प्रथम शिलालेख में माँ दुर्गा , गणपति गणेश , सूर्य आदि देवी-देवताओं की स्तुति है । संस्कृत भाषा में प्रणीत इस महाकाव्य के शेष 24 शिलालेखों में प्रत्येक में एक-एक सर्ग है तथा इस प्रकार कुल 24 सर्ग है । इसमें कुल 1106 श्लोक है । संस्कृत भाषा में होने के बावजूद इसमें अरबी , फ़ारसी तथा लोकभाषा का भी प्रभाव है। इसमें मुख्यतः महाराणा राजसिंह के जीवन-चरित्र एवं उनकी उपलब्धियों का वर्णन किया गया है किन्तु इसके प्रथम 5 सर्गों में मेवाड़ का प्रारं