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सरस दूध एवं दुग्ध पदार्थों की खुदरा विक्रेताओं के लिये नीति | Policy for retailers of Saras milk and milk products

राजस्थान को-ऑॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन से सम्बद्ध दुग्ध संघों के सरस दूध एवं दुग्ध पदार्थों की खुदरा विक्रेताओं के लिये नीति SARAS Dairy Policy for retailers of SARAS milk and milk products of milk unions affiliated to Rajasthan Co-operative Dairy Federation 1. प्रारम्भिक 1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और प्रसार   I. इस नीति का नाम राजस्थान को-ऑॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन एवं इससे सम्बद्ध दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो की खुदरा विक्रेताओं की नीति वर्ष 2017 हैं।   II. यह नीति राजस्थान के समस्त जिला दुग्ध संघों में लागू होगी। 2. उद्देश्य:- इस नीति का उद्देश्य सहकारिता मूवमेन्ट के अन्तर्गत राजस्थान में उच्च गुणवत्तायुक्त दूध एवं दुग्ध पदार्थ उचित मूल्य से उपभोक्ताओं को समय पर उपलब्ध करवाना हैं। 3. परिभाषा:- जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस नीति में:-   i. ‘‘आर.सी.डी.एफ.‘‘ से अभिप्राय ऐसी शीर्ष सोसायटी जो राज्य मे समस्त जिला दुग्ध संघों पर एक परिसंघीय निकाय है ओर सहकारी क्षेत्र मे सम्बद्ध दुग्ध संघो के दुग्ध संकलन, प्रसंस्करण एवं विपणन के कार्य क्षेत्रों मे दुग्ध संघो को मार्गदर्शन, सहायता एवं प्रोत्स

International Horticulture Innovation and training centre (IHITC), इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर इन्नोवेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर (आईएचआईटीसी)

International Horticulture Innovation and training centre (IHITC) : राज्य सरकार ने वाणिज्यिक बागवानी को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक उच्च तकनीक बागवानी पहलुओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु पीटीसी + इंटरनेशनल; नीदरलैंड (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग सेंटर, नीदरलैंड) के तकनीकी सहायता से अंतर्राष्ट्रीय बागवानी नवाचार और प्रशिक्षण केंद्र (IHITC) की स्थापना की है। IHITC लघु अवधि के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के स्पेक्ट्रम युक्त ऐसा सबसे उत्तम स्थल है, जो वाणिज्यिक बागवानी, कृषि उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, उन्नत बागवानी प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के लिए मूल्य संवर्धन या प्रसंस्करण से संबंधित क्षेत्रों में कर्मियों के कौशल को उन्नत करने, वाणिज्यिक बागवानी फसलों के लिए और खुदरा विपणन के संबंध में बागवानी में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने हेतु प्रकृति में व्यावहारिक और अभिनव प्रशिक्षण प्रदान करता है।  केंद्र के पास कॉर्पोरेट खेती या कॉर्पोरेट टाई-अप से बागवानी श्रृंखला के विकास को प्रोत्साहित करने और उत्पादकों के साथ उत्पादन के निर्यात को सुविधाजनक बनाने का जनादेश है। यह बढ़ती उष्णकटिबंधीय औ

RAJHANS - Rajasthan Horticulture And Nursery Society

राजस्थान हॉर्टिकल्चर एवं नर्सरी सोसायटी (राजहंस)- राजस्थान में पारंपरिक कृषि अब व्यावसायिक कृषि में परिवर्तित हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, राज्य में बेर, संतरा, किन्नो, आंवला आदि फलों, जीरा, मेथी, धनिया आदि मसालों, सब्जियों, फूलों एवं कई औषधीय पादप फसलों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। आजकल किसानों का ध्यान कम पानी में कम जोखिम वाली अधिक लाभदायक फसलों को लेने की ओर आकृष्ट हुआ है।  राज्य में उद्यानिकी विकास की विपुल सम्भावनाओं को देखते हुए विभिन्न कार्यक्रम उद्यान विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे हैं। राज्य में उद्यान विभाग 1989-90 में स्थापित किया गया ताकि उद्यानिकी गतिविधियों को गति मिल सके। राज्य के किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधरोपण सामग्री उपलब्ध कराना उद्यान विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती था। RAJHANS की स्थापना से पहले, सीमित बजट आवंटन और लेखांकन नियमों की सीमाओं के कारण राज्य में अच्छी गुणवत्ता वाले पौधरोपण सामग्री के उत्पादन में कठिनाई थी। सरकारी नर्सरियों के पास पर्याप्त बजट न होने तथा और पौधों को तैयार करने में अधिक समय लगने के कारण अच्छी गुणवत्ता की रोपण साम

Centre of Excellence for Horticultural Crops in Rajasthan

राजस्थान में उद्यानिकी फसलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र- Centre of Excellence for Horticultural Crops in Rajasthan: किसानों और विस्तार श्रमिकों के लिए आधुनिक गहन फसल प्रौद्योगिकी, फसल प्रबंधन तरीकों और मानव संसाधन विकास सुविधाओं के प्रदर्शन के लिए राजस्थान की राज्य सरकार ने छह अलग-अलग "उत्कृष्टता केंद्र ( Centre  of Excellence) " स्थापित किए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य ज्ञान, प्रौद्योगिकी के पारस्परिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और किसानों का उपयुक्त प्रौद्योगिकी के साथ मार्गदर्शन करना है।  राज्य में फसल विविधिकरण द्वारा कृषकों को अधिक उत्पादन, प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक लाभ, अधिक रोज़गार सृजन एवं टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने हेतु फसल विशेष के सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स (उत्कृष्टता केन्द्रों) की स्थापना की गई है। इन केंद्रों पर चिह्नित फसल विशेष से जुड़े समस्त उन्नत तकनीक का प्रदर्शन किया जाकर कृषकों को जानकारी दी जाती है। इस हेतु राज्य में 9 उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये गये हैं। उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा फसल विशेष से जुड़ी आधुनिक तकनीक के साथ उपयुक्त किस्मों गुणवत्ता पूर्ण पौधर