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राजस्थान के जैन तीर्थ - 2

1. नाकोड़ा पार्श्वनाथ- बाड़मेर जिले के बालोतरा कस्बे से 12 किमी दूर प्राचीन स्थापत्य एवं शिल्पकला कृतियों के बेजोड़ नमूनों से परिपूर्ण विख्यात जैन तीर्थ श्रीनाकोड़ा पार्श्वनाथ है। तीर्थ के अधिष्ठापक देव भैरुजी के अद्भुत चमत्कारों व मनोवांछित फल देने की मान्यता से देश से हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री यहाँ प्रतिदिन आते है। नाकोड़ा तीर्थ स्थल की स्थापना विक्रम संवत 3 में होने की मान्यता है, कुछ प्राचीन गीतों व चारण,भाटों की जनश्रुति के अनुसार वीरमदेव व नाकोरसेन बंधुओ द्वारा क्रमशः वीरमपुर एवं नाकार नगर की स्थापना की गई । कालांतर में नाकोर नगर का नाम नाकोड़ा हुआ । इस तीर्थ मे भगवान पार्श्वनाथ मंदिर का विशाल शिखर है तथा इसमें दो छोटे शिखर हैं। मंदिर में मूल गंभारा, गूढ़ मंडप, सभा मंडप, नवचौकी, श्रृंगार चौकी और झरोखे बने हुए हैं, उन्हें संगमरमर की बारीक शिल्प कृतियों से सजाया गया है। मंदिर में तीर्थोंद्धारक खतरगच्छ आचार्य कीर्तिरत्न सुरिजी की पीत पाषाण की प्रतिमा स्थापित है, जिस पर संवत 1356 का शिलालेख लगा है। इस जैन मंदिर के चारों ओर का वातावरण काफी सुंदर है। यहाँ प्रत्येक वर्ष दिसम्बर/ज