राजस्थान के खजुराहो के नाम से विख्यात स्थापत्य कला व शिल्प कला अनुपम उदाहरण जगत का अंबिका मंदिर उदयपुर से करीब 58 किलोमीटर दूर अरावली की पहाडियों के बीच 'जगत गाँव' में स्थित है। मध्यकालीन गौरवपूर्ण मंदिरों की श्रृंखला में सुनियोजित ढंग से बनाया गया जगत का यह अंबिका मंदिर मेवाड़ की प्राचीन उत्कृष्ट शिल्पकला का नमूना है। इतिहासकारों का मानना है कि यह स्थान 5 वीं व 6 ठीं शताब्दी में शिव शक्ति सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा था। इसका निर्माण खजुराहो के लक्ष्मण मंदिर से पूर्व लगभग 960 ई. के आस पास माना जाता है। मंदिर के स्तम्भों के लेखों से पता चलता है कि 11वीं सदी में मेवाड़ के शासक अल्लट ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। मंदिर को पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। इस मंदिर के गर्भगृह में प्रधान पीठिका पर मातेश्वरी अम्बिका की प्रतिमा स्थापित है। राजस्थान के मंदिरों की मणिमाला का चमकता मोती यह अंबिका मंदिर आकर्षक अद्वितीय स्थापत्य व मूर्तिशिल्प के कलाकोष को समेटे हुए है। प्रणयभाव में युगल, अंगडाई लेती व दर्पण निहारती नायिका, क्रीड़ारत शि
राजस्थान की कला, संस्कृति, इतिहास, भूगोल व समसामयिक तथ्यों के विविध रंगों से युक्त प्रामाणिक एवं मूलभूत जानकारियों की वेब पत्रिका "The web magazine of various colours of authentic and basic information of Rajasthan's Art, Culture, History, Geography and Current affairs