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Showing posts from July, 2019

National Research Centre on Equines (NRCE), Bikaner राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र का मुख्यालय हरियाणा के हिसार में है किन्तु इसका एक परिसर जोड़बीड़, बीकानेर में स्थित है। यह राष्ट्रीय कृषि अनुसन्धान परिषद का एक शीर्ष संस्थान है। घोड़ों के स्वास्थ्य एवं अनुसंधान हेतु राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र की स्थापना 7 जनवरी 1986 में हिसार (हरियाणा) में की गई थी। 1989 में बीकानेर में राष्ट्रीय घोड़ा अनुसंधान केन्द्र के एक उप-परिसर की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य राजस्थान राजस्थान में घोड़ों के प्रजनन, पोषण, स्वास्थ्य के अलावा उनकी कृषि एवं अन्य क्षेत्रों की कार्य क्षमता में वृद्धि करने सम्बन्धी अनुसंधान करना है। इसका कार्य अनुसन्धान द्वारा घोड़ों की ऎसी किस्मों और तरीकों का विकास करना है जो गरीब लोगों के आर्थिक सामाजिक उत्थान में सहायक हो। National Research Centre on Equines (NRCE) is a premier institute established under the aegis of Indian Council of Agricultural Research for conducting research on equine health and production. The Centre became operational at Hisar on 7th January 1986 for conducting researches and for providing effectiv

राजस्थान की योजनाएँ - राजस्थान की सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना 2018

सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना -2018 सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा का परिचय- सिन्धु दर्शन तीर्थयात्रा योजना जम्मू-कश्मीर राज्य के लेह-लद्दाख में सिन्धु नदी तक यात्रा का कार्यक्रम है।  वहां राज्य सरकार द्वारा सामान्यतः गुरु पूर्णिमा के निकट जून माह के आस-पास सिन्धु दर्शन उत्सव भी मनाया जाता है। वर्ष 2018 में उत्सव की तिथि 23-26 जून था जबकि 2019 में यह उत्सव 23-24-25 एवं 26 जून को आयोजित होगा।  इस यात्रा का उद्देश्य यात्रियों को भारत के उत्तरी सीमान्त क्षेत्र में सिन्धु संस्कृति से परिचित कराना है। जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार द्वारा आयोजित होने वाला "सिंधु दर्शन उत्सव" हर वर्ष जून में तीन या चार दिनों तक चलता है, अतः इस समय यात्रा में वहाँ होने वाले धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन का अतिरिक्त आनंद लिया जा सकता है।   सिंधु दर्शन उत्सव सिंधु नदी और सैंधव संस्कृति का उत्सव है, साथ ही यह सांप्रदायिक सौहार्द और भारत की एकता के प्रतीक के रूप में आयोजित होता है।  इस दौरान बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटकों का आगमन होता है, अतः पहले से बुकि

Indian Institute of Handloom Technology (IIHT), JODHPUR (Rajasthan)

भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (राजस्थान) Indian Institute of Handloom Technology (IIHT), JODHPUR (Rajasthan) जोधपुर का भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान [Indian Institute of Handloom Technology (IIHT)] भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के के बैनर तले विकास आयुक्त और हथकरघा विभाग के तत्वावधान में 16 सितंबर 1993 को भारत के विशेष रूप से उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र के हथकरघा उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्तित्व में आया। IIHT जोधपुर में वस्त्र उद्योग और समाज का नेतृत्व करने के लिए प्रबुद्ध पेशेवर बनने के लिए छात्रों को शिक्षित किया जाता है। संस्थान द्वारा हथकरघा और वस्त्र प्रौद्योगिकी में विश्व स्तर की गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के लिए छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान देने के साथ चरित्र निर्माण के मूल्यों को अंकित करने का प्रयास किया जाता है। संस्थान वर्तमान में नयापुरा, चोखा रोड, चोखा, जोधपुर के अपने स्वयं के भवन में संचालित हो रहा है।  दृष्टि (Vision)- जोधपुर वस्त्र उद्योग और समाज का नेतृत्व करने के लिए प्रबुद्ध पेशेवर बनने के लिए छात्रों को शिक्षित करना। हथ

Indian Institute of gem & Jewellery Jaipur भारतीय रत्न एवं आभूषण संस्थान जयपुर

भारतीय रत्न एवं आभूषण संस्थान जयपुर Indian Institute of gem & Jewellery Jaipur भारतीय रत्न एवं आभूषण संस्थान (IIGJ) जयपुर में स्थित है। यह संस्थान भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के ''रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC)'' एवं राजस्थान सरकार (RIICO) के समर्थन से भारत सरकार की एक परियोजना है। यह रत्न और आभूषण क्षेत्र में इनकी डिजाइन, प्रौद्योगिकी व  प्रबंधन करने के मजबूत फोकस  के साथ भारत का एक अग्रणी संस्थान है। यह रत्न व आभूषण के क्षेत्र में  शिक्षा तथा प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध एकमात्र गैर-लाभकारी संगठन है। आज रत्नों की दुनियाँ में सौंदर्यशास्त्र के एक मील के पत्थर के रूप में खड़ा होने वाले इस संस्थान को प्रायोजित करने में ''रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद'' के साथ-साथ जयपुर के नामी-गिरामी ज्वैलर्स का परोपकारी दृष्टिकोण सहायक रहा है। नवीनतम तकनीक, मशीनरी उपकरणों की सामग्री और सक्षम संकाय संसाधन से लैस यह अत्याधुनिक संस्थान आभूषण व्यापार व रत्न डिजाईन शिक्षा की दिशा में समग्र रूप से गहन व महत्वपूर्ण का

Hand Tool Design Development and Training Centre, Nagaur (Rajasthan)

हस्त उपकरण डिजाइन विकास और प्रशिक्षण केंद्र नागौर (राजस्थान)  Hand Tool Design Development and Training Centre, Nagaur (Rajasthan)   नागौर में लगभग 55 से अधिक हाथ उपकरण इकाइयाँ हैं, जिनमें प्लायर्स (सरौता), हथौड़े, टिन कटर, घड़ीसाज़ और सुनार उपकरण आदि हस्त उपकरण निर्मित किये जाते हैं। निर्माता व्यक्तियों की सहायता के लिए ''हस्त उपकरण डिजाइन विकास और प्रशिक्षण केंद्र'', नागौर की स्थापना नागौर (राजस्थान) में की गई, जिसने 1988 में काम करना प्रारम्भ किया। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कंसल्टेंसी प्रदान करके नागौर में और उसके आसपास स्थित छोटे उद्योगों में और छोटे वर्गों में 'हैंड टूल इंडस्ट्री' विकसित करना है। इन सूक्ष्म और अति सूक्ष्म उद्योगों के लिए टूल रूम, हीट ट्रीटमेंट, मेटल फिनिशिंग, फोर्जिंग और टेस्टिंग, कॉमन फैसिलिटी सर्विसेज के क्षेत्रों में सलाहकार विस्तार सेवाएं प्रदान करके इनके उत्पाद डिजाइन, उत्पादन प्रक्रिया और लागत में कमी और लाभप्रदता में सुधार के लिए गुणवत्ता नियंत्रण के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए लघु-स्तरीय इकाइयों की सहायता

What is Rajasthan ILD Skills University - क्या है राजस्थान आईएलडी कौशल विश्वविद्यालय

राजस्थान आईएलडी कौशल विश्वविद्यालय (Rajasthan ILD Skills University- RISU) राजस्थान आईएलडी कौशल विश्वविद्यालय (Rajasthan ILD Skills University-RISU) को 07.03.2017 को राज्य विधानसभा में पारित राजस्थान सरकार ''राजस्थान आईएलडी कौशल विश्वविद्यालय, जयपुर अधिनियम 2017 (2017 अधिनियम संख्याक 6)'' के रूप में शामिल किया गया है। युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए तथा सामान्य शिक्षा के साथ कौशल विकास को जोड़ने के लिये राज्य सरकार द्वारा सरकारी क्षेत्र में कौशल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए यह विधेयक लाया गया था। इस संबंध में रिसर्जेंट राजस्थान 2015 में आईएफसीआई (इंडस्ट्रीयल फाइनेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया), आई एल डी (इंस्टीट्युट ऑफ लीडरशिप डवलपमेंट), आरएसएलडीसी (राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम) तथा उच्च शिक्षा विभाग के मध्य एमओयू किया गया था। यह विश्वविद्यालय भारत का प्रथमं सरकारी कौशल विश्वविद्यालय है। राज्य में राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे को लागू करने के लिए RISU एक प्रभावी संस्थागत हस्तक्षेप है। RISU के पहले कुलपति के रूप में पूर्व IAS और भारत सरकार

Revised Budget of Rjasthan Govt. - राजस्थान का परिवर्तित बजट 2019-20

राजस्थान का परिवर्तित बजट 2019-20 (10 जुलाई, 2019 ) के प्रमुख बिन्दु राजकोषीय संकेतक - ƒवर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट अनुमानों में 2 लाख 32 हजार 944 करोड़ 1 लाख रुपये का कुल व्यय अनुमानित। ƒवर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट अनुमानों में 1 लाख 64 हजार 4 करोड़ 64 लाख रुपये की राजस्व प्राप्तियां अनुमानित। ƒवर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट अनुमानों में 1 लाख 91 हजार 19 करोड़ 61 लाख रुपये का राजस्व व्यय ƒवर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट अनुमानों में राजस्व घाटा 27 हजार 14 करोड़ 97 लाख रुपये। ƒवर्ष 2019-20 का राजकोषीय घाटा 32 हजार 678 करोड़ 34 लाख रुपये जो GSDP 3.19 प्रतिशत है। ƒवर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट अनुमानों में कुल ऋण एवं अन्य दायित्व, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 33.13 प्रतिशत अनुमानित। कृषिः-   Ease of Doing Business' की तर्ज पर 'Ease of Doing Farming' की ओर पहला बड़ा कदम उठाते हुए 1000 करोड़ के ‘कृषक कल्याण कोष’ का गठन। Zero Budget Natural Farming का प्रारम्भ बांसवाड़ा, टोंक एवं सिरोही की 36 ग्राम पंचायतों के 20 हजार किसानों को शामिल करते हुए 10 करोड़ की लागत

Rajasthan State Archives Bikaner - राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर

राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर वर्तमान में राजस्थान राज्य अभिलेखागार का मुख्यालय बीकानेर में है जबकि इसकी सात मध्यवर्ती शाखाऐं क्रमशः जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अलवर, अजमेर एवं भरतपुर में स्थित है। प्रारम्भ में इसकी स्थापना 1955 में जयपुर में की गई थी, जिसे 1960 में बीकानेर में स्थानांतरित कर दिया गया। वर्तमान राज्य अभिलेखागार राजस्थान के स्वाधीनता के पूर्व की  विभिन्न रियासतों एवं केंद्रीय राज्यों में स्थित सामान्य रिकॉर्ड कार्यालयों तथा इसी तरह की रिकॉर्ड एजेंसियों का उत्तरोत्तर रूप है। जयपुर में 1955 में स्थापित राज्य अभिलेखागार के क्षेत्रीय कार्यालय तत्कालीन राजस्थान में सम्मिलित की गयी पूर्व चीफ कमिश्नर प्रोविंस अजमेर-मेरवाड़ा सहित सभी रियासतों व राज्यों में थे।  इसका उद्देश्य स्थायी महत्त्व के प्राचीन अभिलेखों को सुरक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक पद्धति द्वारा अभिलेखों को संरक्षण प्रदान करना तथा आवश्यकता पड़ने पर उसे न्यायालय, सरकार के विभागों, शोध अध्येताओं तथा आमजन को उपलब्ध कराना है। राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर में राजपूताना की तत्कालीन रियासतों