Pichwayi Art of Nathdwara | नाथद्वारा की पिछवाई चित्रकला राजस्थान में उदयपुर से करीब 50 किमी दूर राजसमंद जिले में स्थित छोटा - सा धार्मिक नगर 'नाथद्वारा' पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रमुख पीठ है। यहाँ की प्रत्येक सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधि पर पुष्टिमार्ग का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। नाथद्वारा शैली की चित्रकला तो पूर्णरूपेण पुष्टिमार्ग से ओतप्रोत है। नाथद्वारा की चित्र शैली का उद्भव भी श्रीनाथजी के नाथद्वारा में आगमन के साथ ही माना जाता है। नाथद्वारा चित्रशैली का सबसे महत्वपूर्ण अंग है - पिछवाई चित्रकला। पिछवाई शब्द का अर्थ है पीछेवाली। पिछवाई चित्र आकार में बड़े होते हैं तथा इन्हें कपड़े पर बनाया जाता है। नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर तथा अन्य मंदिरों में मुख्य मूर्ति के पीछे दीवार पर लगाने के लिये इन वृहद आकार के चित्रों को काम में लिया जाता है। ये चित्र मंदिर की भव्यता बढ़ाने के साथ - साथ भक्तों को श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र की जानकारी भी देते हैं। चटक रंगों में डूबे श्रीकृष्ण की लीलाओं के दर्शन कराती ये पिछवाईयां आगंतुकों को अपनी ओर सहसा आकर्षित करती है। श्री
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