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Showing posts from January, 2019

डॉ. राजेश कुमार व्यास को केन्द्रीय साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान

डॉ. राजेश कुमार व्यास को मिला केन्द्रीय साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान जयपुर, 29 जनवरी। जाने-माने कवि एवं आलोचक डॉ. राजेश कुमार व्यास को केन्द्रीय साहित्य अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया है। केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा नई दिल्ली में आयोजित भव्य साहित्यिक समारोह में अकादमी के अध्यक्ष श्री चन्द्रोखर कम्बार ने उन्हें एक लाख रूपये नकद, प्रशस्ती पत्र और ताम्र फलक प्रदान कर सम्मानित किया।  डॉ. व्यास  राजस्थान सूचना एवं जनसम्पर्क सेवा में उप निदेशक पद पर कार्यरत हैं।  डॉ. व्यास को उनकी काव्य कृति ‘कविता देवै  दीठ ’ के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। राजस्थानी भाषा में कविता की नई जमीन तैयार करने वाली यह कृति डॉ. व्यास की पैनी काव्य दृष्टि, संवेदना और परख की गहरी समझ में राजस्थानी शब्दों की अनूठी लय लिये है।  डॉ. व्यास को इससे पहले राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी के ‘गणेशीलाल व्यास उस्ताद ‘पद्य’ पुरस्कार के साथ ही भारत सरकार का प्रतिष्ठित ‘राहुल सांई त्यायन’ अवार्ड, राजस्थान सरकार की ओर से उत्कृष्ट लेखन पुरस्कार, पत्रकारिता का प्रतिष्ठित ‘माणक’

Fishing in Rajasthan and Department of Fisheries - राजस्थान में मत्स्य पालन विभाग और मत्स्य पालन

राजस्थान में मत्स्य पालन विभाग की योजनाएं - राजस्थान में बड़ी संख्या में जल निकाय जैसे नदियां, तालाब, झीलें और बांध उपलब्ध हैं, जो यहाँ मत्स्य पालन के विकास की संभावना प्रदान करते हैं। राज्य में ताजे पानी के साथ-साथ नमकीन जल संसाधन भी हैं। राज्य में मत्स्य पालन के लिए कुल 15838 जल निकाय उपलब्ध हैं जो 4,23,765 हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर करते हैं। इसके अतिरिक्त नदियों और नहरों का 30,000 हेक्टेयर और पूर्ण टैंक लेवल (FTL) पर 80,000 हेक्टेयर जल भराव क्षेत्र हैं। साथ ही 1.80 लाख हेक्टेयर नमकीन जल क्षेत्र है।        राजस्थान में जल संसाधन (in Ha) जल संसाधन का प्रकार जल निकायों की संख्या क्षेत्र पूर्ण टैंक स्तर पर हेक्टेयर में (FTL in Ha) माइनर टैंक और तालाब (<1 span=""> 6913 4745 मध्यम टैंक और तालाब (1.1 - 10 हेक्टेयर) 6207 25516 बड़े टैंक और तालाब (10.1 - 100 हेक्टेयर) 2047 63,648 छोटे जलाशय (101 -1000 हेक्टेयर) 346 82,396 मध्यम जलाशय (1001-5000 हेक्टेयर) 35 64,151 बड़े जलाशयों (> 5000 हेक्टेयर) 12 1,83,309 कुल

जानिए क्या है DESERT MEDICINE RESEARCH CENTRE, JODHPUR - मरुस्थलीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केन्द्र

मरुस्थलीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केन्द्र (डीएमआरसी) जोधपुर में स्थित है। यह भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के 33 स्था ई संस्थानों में से एक है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) देश में जैव चिकित्सकीय अनुसंधान करने, उसके समन्वयन एवं विकास हेतु एक शीर्ष स्‍वायतशासी संस्था है।  मरुस्थलीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केन्द्र (डीएमआरसी) की स्‍थापना 27 जून 1984 को की गई। इस केन्‍द्र ने जोधपुर, जयपुर तथा बीकानेर स्थित अपनी तीन इकाइयों के साथ कार्य करना प्रारम्‍भ किया था। इसके अंतर्गत जोधपुर जिले को मरूस्‍थल, जयपुर को गैर मरूस्‍थल तथा बीकानेर को नहर द्वारा सिंचित जिले के रूप में अनुसन्धान के लिए लिया गया। केंद्र द्वारा एक व्‍यापक प्रारम्भिक स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण किया गया, जिससे क्षेञ की स्‍वास्‍थ्‍य तथा अस्‍वस्‍थता से जुडे कारकों की रूपरेखा तैयार की जा सके। प्रारम्भिक सर्वेक्ष्‍ाण की समाप्ति के पश्‍चात, वर्ष 1992 में उक्त तीनों इकाइयां मिलकर जोधपुर में एकरूप हो गई। तब से यह केन्‍द्र इस क्ष्‍ोञ की मुख्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के शोध व अनुसंधान कार्यो, जैसे म

Padma Awards 2019 results - पद्म पुरस्कार 2019

Padma Awards 2019 announced - 2019 के पद्म पुरस्कारों का ऐलान  Padma Vibhushan - 4, Padma Bhushan – 14 and Padma Shri - 94 Padma Awards - one of the highest civilian Awards of the country, are conferred in three categories, namely, Padma Vibhushan, Padma Bhushan and Padma Shri. The Awards are given in various disciplines/ fields of activities, viz.- art, social work, public affairs, science and engineering, trade and industry, medicine, literature and education, sports, civil service, etc. ‘Padma Vibhushan’ is awarded for exceptional and distinguished service; ‘Padma Bhushan’ for distinguished service of high order and ‘Padma Shri’ for distinguished service in any field. The awards are announced on the occasion of Republic Day every year.             These awards are conferred by the President of India at ceremonial functions which are held at Rashtrapati Bhawan usually around March/ April every year. This year the President of India has approved conferment of 11

Bharat Rantna Award - Till Now भारत रत्‍न पुरस्‍कार - अब तक

Bharat Rantna Award - Till Now भारत रत्‍न पुरस्‍कार - अब तक  भारत रत्‍न पुरस्‍कार की परम्‍परा 1954 में शुरु हुई थी। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। सबसे पहला भारत रत्‍न पुरस्‍कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्र शेखर वेंकटरमन , देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को दिया गया था।  यह सम्मान असाधारण राष्ट्रीय सेवा के लिए प् रदान किया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। पहले इसमें खेल को शामिल नहीं किया गया था लेकिन बाद में इसे सूची में शामिल किया गया है। 1954 से अब तक अनेक विशिष्‍ट जनों को अपने-अपने क्षेत्र में उत्‍कृष्‍टता पाने के लिए यह पुरस्‍कार दिया गया है। इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि भारत रत्‍न केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाए। यह पुरस्‍कार स्‍वाभाविक रूप से भारतीय नागरिक बन चुकी एग्‍नेस गोंखा बोजाखियू , जिन्‍हें हम मदर टेरेसा के नाम से जानते है और दो अन्‍य गैर-भारतीय - खान अब्‍दुल गफ्फार

Rajasthan Agricultural Research Institute, Jaipur

Rajasthan Agricultural Research Institute, Jaipur राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, जयपुर राजस्थान में कृषि अनुसंधान केंद्र (ARS) की  स्थापना 1943 में की गई  थी, जिसे अब राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान (RARI) कहा जाता है। यह अब श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर, जयपुर का एक घटक है। 1943 में इसकी स्थापना के बाद से यह एक लंबा सफर तय कर चुका है, जिसमें खाद्यान्न की कमी के युग को खत्म करके अधिशेष खाद्यान्न भंडार युक्त  आत्मनिर्भरता की स्थिति आ चुकी है।  यह शोध केंद्र शुरू में राज्य सरकार के नियंत्रण में था, जिसे अप्रैल 1977 में इसे एक बहु-संकाय विश्वविद्यालय, तत्कालीन उदयपुर विश्वविद्यालय को फसल अनुसंधान की जिम्मेदारियों के साथ स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में, 1987 में, राज्य में पहला कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर में अपने मुख्य परिसर के साथ स्थापित किया गया था और यह शोध संस्थान इस प्रकार उस कृषि विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आया, जिसे वर्तमान में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के रूप में जाना जाता है। इस अनुसंधान संस्थान के प्रभारी निदेशक होते