Skip to main content

Posts

Showing posts with the label योजनाएँ

क्या है केंद्र सरकार की नई योजना स्वामित्व योजना | राजस्थान में भी लागू होगी 'स्वामित्व' योजना | Know about new SWAMITVA Yojna

क्या है केंद्र सरकार की नई योजना स्वामित्व, राजस्थान में भी लागू होगी 'स्वामित्व' योजना केंद्र सरकार ने बजट में एक नई योजना 'स्वामित्व' SWAMITV Yojna के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।  इस SWAMITV Yojna योजना के तहत गाँव में रहने वाले लोगों को ग्रामीण रिहायशी इलाकों में घर और प्रॉपर्टी कार्ड जारी करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक की मदद से सर्वेक्षण किया जाएगा।  वास्तव में, स्वामित्व योजना SWAMITVA Yojna गांव की संपत्तियों के सही आकलन करने का प्रयास है, जिसके तहत देश के सभी गांवों की संपत्ति की ड्रोन से मैपिंग की जाएगी और गांव के लोगों को एक मालिकाना प्रमाणपत्र दिया जाएगा। स्वामित्व योजना के पहले चरण को 79.65 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है।  इस पायलट चरण के दौरान , यह योजना 9 राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है।  31 जनवरी, 2021 तक लगभग 23,300 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।  लगभग 1,432 गांवों के 2

लवण श्रमिक कल्याण योजना राजस्थान | Salt Labor Welfare Scheme Rajasthan in Hindi

राजस्थान लवण श्रमिक कल्याण सहयोग योजना-2009  RAJASTHAN SALT LABOUR WELFARE ASSISTANCE SCHEME 2009  योजना की पृष्ठभूमि - राजस्थान भूमिगत जल से लवण निर्माण में सर्वोच्च स्थान रखता है। देश में उत्पादित नमक का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा राज्य में उत्पादित किया जाता है। यह उद्योग राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में स्थित है, जो अकाल के समय में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। यह उद्योग राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में स्थित है, जो अकाल के समय में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। राज्य के खुले लवण क्षेत्रों में निजी इकाईयों को राज्य सरकार के उद्योग विभाग के माध्यम से लवण भूमि का आवंटन किया जाता है, जबकि आरक्षित लवण क्षेत्रों में राजकीय/केन्द्रीय उपक्रम विभागों द्वारा नमक उत्पादन का कार्य करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त लवण क्षेत्रों की परिधि में खातेदारों (कृषकों) जिनकी भूमि लवणीय हो गयी है, खातेदार (कृषक) द्वारा खातेदारी भूमि को कृषि से अकृषि भूमि में राजस्व विभाग के माध्यम से रूपान्तरित करवाकर लवण निर्माण का कार्य किया जाता है। राजस्थान राज्य में खुले लवण क्षेत्र जोधपुर, नागौर, जैसलमे

सरस दूध एवं दुग्ध पदार्थों की खुदरा विक्रेताओं के लिये नीति | Policy for retailers of Saras milk and milk products

राजस्थान को-ऑॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन से सम्बद्ध दुग्ध संघों के सरस दूध एवं दुग्ध पदार्थों की खुदरा विक्रेताओं के लिये नीति SARAS Dairy Policy for retailers of SARAS milk and milk products of milk unions affiliated to Rajasthan Co-operative Dairy Federation 1. प्रारम्भिक 1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और प्रसार   I. इस नीति का नाम राजस्थान को-ऑॅपरेटिव डेयरी फैडरेशन एवं इससे सम्बद्ध दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो की खुदरा विक्रेताओं की नीति वर्ष 2017 हैं।   II. यह नीति राजस्थान के समस्त जिला दुग्ध संघों में लागू होगी। 2. उद्देश्य:- इस नीति का उद्देश्य सहकारिता मूवमेन्ट के अन्तर्गत राजस्थान में उच्च गुणवत्तायुक्त दूध एवं दुग्ध पदार्थ उचित मूल्य से उपभोक्ताओं को समय पर उपलब्ध करवाना हैं। 3. परिभाषा:- जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस नीति में:-   i. ‘‘आर.सी.डी.एफ.‘‘ से अभिप्राय ऐसी शीर्ष सोसायटी जो राज्य मे समस्त जिला दुग्ध संघों पर एक परिसंघीय निकाय है ओर सहकारी क्षेत्र मे सम्बद्ध दुग्ध संघो के दुग्ध संकलन, प्रसंस्करण एवं विपणन के कार्य क्षेत्रों मे दुग्ध संघो को मार्गदर्शन, सहायता एवं प्रोत्स

देवनारायण नगर एकीकृत आवासीय योजना द्वितीय चरण 29 से | Dev Narayan Nagar Ekikrit Pashupalak Awasiy Yojna

देवनारायण आवासीय योजना द्वितीय चरण में आवेदन 29 जनवरी से स्वायत्त शासन मंत्री ने किया पुस्तिका का विमोचन स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने रविवार 24 जनवरी को देवनारायण नगर एकीकृत पशुपालक आवासीय योजना के द्वितीय चरण, कोटा में आवेदन प्राप्त करने की पुस्तिका का विमोचन कर द्वितीय चरण का शुभारम्भ किया। नगरीय विकास मंत्री ने बताया कि - योजना के दूसरे चरण में 29 जनवरी से आवेदन पत्रों की बिक्री शुरू हो जायेंगी और आवेदन 26 फरवरी तक जमा कराए जा सकते हैं।  योजना में रियायती दरों पर 555 आवास मय पशु बाड़ा तथा भूसा गोदाम,डेयरी एवं अन्य व्यावसायिक दूकानों हेतु भू-खण्डों के आवंटन हेतु आवेदन प्राप्त किये जायेंगे। आवेदन पत्र एवं पुस्तिका का शुल्क 100 रुपये हैं।  आवेदन आई सी आई सी आई बैंक की कोटा स्थित किसी भी शाखा से प्राप्त किये जा सकते हैं।  योजना के प्रथम चरण में 360 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। क्या है देवनारायण नगर एकीकृत पशुपालक आवासीय योजना- देवनारायण नगर एकीकृत पशुपालक आवासीय योजना के उद्देश्य- कोटा राजस्थान को  प्रथम कैटल फ्री शहर बनाने के उद्देश्य से यह योजना लागु की

मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना राजस्थान 2020 | Mukhyamantri Anna Suraksha Yojna

मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना - इस योजना के तहत बी.पी.एल. स्टेट बी.पी.एल. एवं. अन्त्योदय परिवारों को सस्ते दामों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। अन्त्योदय अन्न योजना इस योजना के अन्तर्गत ही आती है। मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना’’बी.पी.एल व राज्य बी.पी.एल.परिवारों के लिए 2/- रू.किलो गेहूँ योजना राज्य सरकार ने गरीबों, अजा.अजजा व पिछडे वर्ग को राहत देने वाली योजनाएँ प्रारम्भ की थी। जिसके अन्तर्गत सर्वप्रथम सस्ता आटा व सस्ती दाल उपलब्ध करवायी गई, जिससे की गरीबों की आर्थिक स्थिति उनके सामाजिक जीवन स्तर को बढ़ाने में बाधक ने हो एवं सभी को खाद्यान्न सरलता से सस्ता उपलब्ध हो सके। राज्य सरकार ने बी.पी.एल.एवं राज्य बी.पी.एल.परिवारों की आर्थिक स्थिति को मध्य नजर रखते हुये 25 किलो गेहूँ 2/- रूपए किलो की दर से प्रति परिवार प्रति माह देने का निर्णय लिया। योजना की विशेषताएं - 1. 10 मई 2010 से पूरे राज्य के सभी जिलों में बी.पी.एल./राज्य बी.पी.एल.परिवारों को 2/- रू.प्रति किलो की दरपर गेंहूँ वितरण योजना का शुभारम्भ।  2. बी.पी.एल एवं राज्य बी.पी.एल.श्रेणी के प्रति परिवार को 25 किलोग्राम प्रत

गोबर धन योजना क्या है | राजस्थान में क्रियान्वित होगी गोबरधन परियोजनायें GOBAR Dhan Yojana in hindi

What is GOBAR Dhan Yojana गोबर धन योजना क्या है गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने और ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में, वित्त मंत्री ने फरवरी 2018 में अपने बजट भाषण में ''गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBAR-DHAN) योजना'' शुरू करने की घोषणा की थी। वर्तमान में पशुओं के गोबर और कृषि अपशिष्ट के एक हिस्से का उपयोग खाना पकाने के ईंधन के रूप में किया जाता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में खाना पकाने के अशुद्ध ईंधन से होने वाले इनडोर वायु प्रदूषण के कारण अकेले भारत में 5 लाख लोगों की मौत हुई है। इनडोर कुकिंग चूल्हा के पास महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैं, क्योंकि वे अपने समय की बड़ी मात्रा में इस कार्य में खर्च करते हैं। बायो-गैस, जैव-ईंधन का सबसे सामान्य रूप है तथा ऊर्जा का एक स्वच्छ रूप है और इसे गोबर, मुर्गी पालन, फसल अवशेष, रसोई अपशिष्ट, आदि से प्राप्त किया जा सकता है। गोबर-धन से सामान्य ग्रामीण लोगों को और महिलाओं में लाभ होगा। विशेष रूप से इस स्वच्छ ईंधन से और स्वास्थ्य पर सुधार और गांवों में स्वच्छता में सुधार