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गोबर धन योजना क्या है | राजस्थान में क्रियान्वित होगी गोबरधन परियोजनायें GOBAR Dhan Yojana in hindi

What is GOBAR Dhan Yojana

गोबर धन योजना क्या है
गोबर धन योजना क्या है

गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने और ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में, वित्त मंत्री ने फरवरी 2018 में अपने बजट भाषण में ''गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBAR-DHAN) योजना'' शुरू करने की घोषणा की थी।

वर्तमान में पशुओं के गोबर और कृषि अपशिष्ट के एक हिस्से का उपयोग खाना पकाने के ईंधन के रूप में किया जाता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में खाना पकाने के अशुद्ध ईंधन से होने वाले इनडोर वायु प्रदूषण के कारण अकेले भारत में 5 लाख लोगों की मौत हुई है। इनडोर कुकिंग चूल्हा के पास महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैं, क्योंकि वे अपने समय की बड़ी मात्रा में इस कार्य में खर्च करते हैं।

बायो-गैस, जैव-ईंधन का सबसे सामान्य रूप है तथा ऊर्जा का एक स्वच्छ रूप है और इसे गोबर, मुर्गी पालन, फसल अवशेष, रसोई अपशिष्ट, आदि से प्राप्त किया जा सकता है। गोबर-धन से सामान्य ग्रामीण लोगों को और महिलाओं में लाभ होगा। विशेष रूप से इस स्वच्छ ईंधन से और स्वास्थ्य पर सुधार और गांवों में स्वच्छता में सुधार के माध्यम से भी। यह पहल जैव-अपशिष्ट अपशिष्ट की वसूली और संसाधनों में कचरे के रूपांतरण का समर्थन करेगी। यह किसानों और परिवारों को आर्थिक और संसाधन लाभ प्रदान करेगा और स्वच्छ गाँव बनाने का भी समर्थन करेगा जो स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य है।

2018-19 के इस किसान समर्पित बजट में 115 जिलों का चयन किया गयाइन जिलों में स्थित गांवों के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, बिजली, सिंचाई, आदि का इंतजाम का प्रावधान किया गया।

GOBAR Dhan का पूरा नाम क्या है - 

गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan)

GOBAR Dhan शुरुआत कब हुई -

केन्द्रीय बजट 2018-19 में गोबर-धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan - GOBAR-DHAN) योजना शुरू करने की घोषणा की गई थी।

गोबर-धन योजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं :  

योजना का उद्देश्य ग्रामीण आय, ग्रामीण नौकरियों को बढ़ाना और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से गांवों को साफ रखना है।

तदनुसार, यह योजना 3 ई (3 E) के साथ ग्राम पंचायतों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का लक्ष्य रखती है, जो निम्नलिखित हैं:


1. ऊर्जा (ENERGY) : 

जैव-गैस संयंत्रों के माध्यम से जैव-ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए कृषि और पशु अपशिष्ट के उपयोग के माध्यम से ऊर्जा के संबंध में आत्मनिर्भरता।

2. सशक्तीकरण (EMPOWERMENT) : 

ग्रामीण लोगों, विशेष रूप से महिला स्वयं सहायता समूहों का निर्माण, प्रबंधन और उनको बायोगैस संयंत्रों के दिन-प्रतिदिन संचालन में संलग्न करना।

3. रोजगार (EMPLOYMENT) :

ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के बीच कचरे का संग्रह, ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए परिवहन, ट्रीटमेंट प्लांट का प्रबंधन, निर्मित और बायोगैस के वितरण, आदि के माध्यम से रोजगार उत्पन्न करना।

इस योजना का उद्देश्य मवेशियों के गोबर और ठोस कचरे को खाद, जैव-स्लरी, जैव-गैस और जैव-सीएनजी के रूप में परिवर्तित करना और उनका प्रबंधन करना है। यह पहल जैव-अपशिष्ट कचरे के अपशिष्ट संसाधनों में रूपांतरण का समर्थन करेगी।

लक्ष्य-

इसका लक्ष्य उद्यमियों को जैविक खाद, बायोगैस / बायो-CNG उत्पादन के लिये गाँवों के क्लस्टर्स बनाकर इनमें पशुओं का गोबर और ठोस अपशिष्टों के एकत्रीकरण और संग्रहण को बढ़ावा देना है।

गोबर-धन योजना के अंतर्गत पशुओं के गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कम्पोस्ट, बायोगैस, बायो-CNG में परिवर्तित किया जाएगा। 

गोबर धन योजना 2019 के लाभ क्या है

  • स्वच्छता: 

यह बेहतर स्वच्छता, गांवों से कचरे को कम करके समग्र स्वच्छता प्रदान करने की योजना है। यह योजना भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने में भी मदद करेगी यह योजना स्वच्छ भारत अभियान की तरफ  बढ़ता हुआ एक कदम है।
  • जैव उर्वरक: 

खाद के समृद्ध स्रोत बायोगैस संयंत्रों से पचा हुआ घोल (स्लरी) रासायनिक उर्वरकों के पूरक के रूप में किसानों को लाभान्वित करेगा। 
  • स्वास्थ्य: 

इससे गांवों में कचरे के ठहराव को कम करके मलेरिया और स्वच्छता से संबंधित अन्य बीमारियों में कमी होगी  और इनडोर वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, क्योंकि गोबर के कंडों और जलाऊ लकड़ी के जलने से पैदा होने वाली प्रदुषण करने वाली गैसों के उत्सर्जन में कमी होगी।
  • ऊर्जा: 

जैव-ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जैव-कचरे का दोहन करके ग्रामीण स्वच्छ ऊर्जा में आत्मनिर्भर हो जाते हैं और इस प्रकार वनों पर जलन और निर्भरता कम हो जाती है। 
  • रोजगार: 

स्थानीय युवा और अर्ध-कुशल तकनीशियन स्किलिंग और संभावित ग्रीन जॉब्स जैसे कचरे का संग्रह, ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए परिवहन, पौधों का प्रबंधन, पौधों के संचालन और रखरखाव, बायोगैस की बिक्री और वितरण, और जैव-घोल उत्पन्न, आदि से लाभ उठा सकते हैं।
  • सशक्तीकरण: 

परिवार के खाना पकाने और समय की बचत के लिए बायोगैस / बायो-सीएनजी के माध्यम से स्वच्छ एवं सस्ते ईंधन का उपभोग करेंगे तथा अतिरिक्त धन की बचत होगी
घर की महिलाएं जो आम तौर पर जलाऊ लकड़ी के संग्रह में शामिल होती हैं / गोबर के कंडे बनाने आदि में  शामिल होती है जिससे होने वाले दुष्प्रभावों से छुटकारा पाया जा सकता है
  • इस योजना से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी
  • गोबर धन योजना स्वच्छ भारत अभियान में भी काफी योगदान देगी
  • केंद्रीय सरकार द्वारा 115 जिले चुने गए हैं जहां सरकार  विभिन्न प्रकार की सामाजिक सेवाएं शुरू करेगी|
  • यह योजना गांवों को साफ सुथरा रखने में मदद करेगी
  • गोबर धन योजना से गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन मैं काफी सुधार होगा। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में बहुत सुधार होगा।
  • यह योजना ग्रामीण व्यापार केंद्रों के बुनियादी ढांचे में सुधार लाएगी तथा गांवों और शहरों के बीच अच्छे संपर्क बनाने में मदद करेगी
  • अतः इससे किसान अपने खेतों में गाय के गोबर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इसे खाद जैव ईंधन के रूप में पुनः इस्तेमाल कर सकते हैं।

गोबर – धन योजना में पात्रता मापदंड (Eligibility) क्या है

  • भारत का निवासी :- इस योजना का लाभार्थी भारत का मूल रूप से निवासी होना आवश्यक है।
  • ग्रामीण क्षेत्र का किसान :- इस योजना के लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्र के किसान होने चाहिए. केवल उन्हें ही इसका लाभ मिलेगा।

गोबर – धन योजना के लिए  आवश्यक दस्तावेज (Documents) क्या है

  • आधार कार्ड :- आवेदक के पास उनका आधार कार्ड होना जरूरी हैं जिसकी आवश्यकता आवेदन के दौरान पड़ती हैं
  • मूल निवासी प्रमाण पत्र :- आवेदक को अपने पते का प्रमाण देने के लिए मूल निवासी प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होगी।
  • पासपोर्ट साइज़ की फोटो :- आवेदन फॉर्म में लगाने के लिए आवेदकों जी अपनी कम से कम 2 पासपोर्ट आकार की फोटोग्राफ भी भी आवश्यकता होगी। 
  • मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी :- आवेदक के पास उनका मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी होना भी आवश्यक है। 

गोबर – धन योजना में आवेदन कैसे करें (Registration Process)

  • सर्वप्रथम आवेदकों को अधिकरिक पोर्टल में जाकर आवेदन करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान की अधिकरिक वेबसाइट के इस लिंक  http://sbm.gov.in/gobardhan/home.aspx पर क्लिक करना होगा।
  • इसके बाद आप इसके होम पेज में पहुँच कर रजिस्ट्रेशन बटन पर क्लिक करके खुद का रजिस्ट्रेशन इसमें चाही गई जानकारियों की पूर्ति करें और इसे सबमिट करें ।
  • फॉर्म सबमिट करने के बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जायेगा। आप अपने रजिस्ट्रेशन नंबर की स्लिप सेव करके रख लें। 
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 राजस्थान में गोबरधन परियोजनायें होगी क्रियान्वित -


ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत राज्य के प्रत्येक जिलें में आगामी 5 वर्षों में गोबरधन परियोजनायें क्रियान्वित की जायेगी। 

गोबरधन योजना का क्रियान्वयन- 

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, गोपालन एवं बॉयोफ्यूल प्राधिकरण के आपसी सहयोग से कन्वर्जेन्स के माध्यम से।

गोबरधन योजना की मुख्य बातें-

  • योजनान्तर्गत प्रत्येक जिले में 50 लाख की लागत से बायोगैस संयत्रों का निर्माण कराया जाएगा।
  • इन संयत्रों के निर्माण हेतु अनुभवी फर्मों का पैनल बनाया जा रहा है जिससे ये संयत्र अच्छी गुणवत्ता के बने व इनकी लम्बे समय तक उपादेयता बनी रहे। 
  • गोबरधन परियोजनाओं के तहत व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर गांवो/ब्लॉक्स/जिले में बायोगैस संयत्रो का निर्माण किया जा सकता है।
  • गोबरधन परियोजनायें मवेशियों के गोबर और ठोस कृषि कचरे को बायोगैस एवं बायो स्लरी में परिवर्तित करने के लिये ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन देकर बायोडिग्रेडेबल वेस्ट रिकवरी में सहायता देती है ।
  • ग्राम पंचायतें कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाने जैसी अन्य पहल के साथ अधिकतम डिग्रेडेबल वेस्ट रिकवरी के लिए इन परियोजनाओं को क्रियान्वित कर सकती है ।
  • गोबरधन परियोजनायें ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्घन का एक अभिन्न अंग हैं । 
  • ये योजनायें ग्रामीणों के जन जीवन में सुधार हेतु मवेशियों के कचरे रसोई के अपशिष्ट, फसल के अवशेष और बाजार के कचरे सहित जैव अपशिष्टों को बायोगैस और बायो-स्लरी में बदलकर गांवों में स्वच्छता सुनिश्चित करती है जो कि किसानों और ग्रामीण परिवारों को आर्थिक लाभ तथा संसाधन उपलब्ध करवाने में उपयोगी है।

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