गोठ और मांगलोद नामक गाँवों के मध्य नागौर जिला मुख्यालय से उत्तर पूर्व में लगभग 44 किमी दूरी पर जायल तहसील में एक प्राचीन शक्ति पीठ स्थित है जो दधिमति माता के मंदिर के नाम से विख्यात है। 'दाहिमा' (दाधीच) ब्राह्मण दधिमति माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं तथा इस मंदिर को अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित मंदिर मानते हैं। यहाँ से प्राप्त एक अभिलेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 665 (608 ई.) के लगभग माना जाता है, जिसके अनुसार इस मंदिर के निर्माण के लिए दाधीच ब्राह्मणों द्वारा दान किया गया था, जिसका मुखिया 'अविघ्न नाग' था। कुछ विद्वान अभिलेख लिपि के अक्षर तथा राजस्थान में गुप्त राजाओं का शासन क्षेत्र के आधार पर इस मंदिर का निर्माण गुप्त शासनकाल के अंतिम दिनों में चौथी शताब्दी में हुआ मानते हैं। कुछ विद्वान उपरोक्त काल से असहमत होते हुए, इसे 9 वीं शताब्दी का मानते हैं। दधिमति दधिची ऋषि की बहन थी। दधिमति माता को महालक्ष्मी का अवतार माना जाता है। दधिमति का जन्म माघ शुक्ल सप्तमी (रथ सप्तमी) को आकाश के माध्यम से हुआ माना जाता है। दधिमति माता का मंदिर देवी महामात्य का वर्
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