बीकानेर में की जाने वाली ऊँट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वत का कार्य 'उस्ता कला' के नाम से जाना जाता है। उस्ता कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां देश विदेश में अत्यंत प्रसिद्ध है। इसमें ऊँट की खाल से बनी कुप्पियों पर दुर्लभ स्वर्ण मीनाकारी का कलात्मक कार्य किया जाता है जो अत्यंत आकर्षक एवं मनमोहक होता हैं। शीशियों, कुप्पियों, आईनों, डिब्बों, मिट्टी की सुराही आदि पर यह कला उकेरी जाती है। ऊँट की खाल पर सुनहरी मीनाकारी की इस अद्वितीय उस्ता कला का विकास पद्मश्री से 1986 में सम्मानित बीकानेर के सिद्धहस्त कलाकार स्व. हिसामुद्दीन उस्ता ने किया था। उनको 1967 में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी विभूषित किया गया था। बीकानेर के उस्ता मौहल्ले में आज भी अनेक कलाकार उस्ता कला का कार्य कर रहे हैं। उस्ता कला को कई अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय कला प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया जा चुका है। दिल्ली के प्रगति मैदान तथा अन्य बड़े शहरों में आयोजित होने वाले हस्तशिल्प मेलों में भी कई उस्ता कलाकार शामिल होते हैं तथा अपनी कला के जौहर का प्रदर्शन करते हैं। देश के विभिन्न भागों के
राजस्थान की कला, संस्कृति, इतिहास, भूगोल व समसामयिक तथ्यों के विविध रंगों से युक्त प्रामाणिक एवं मूलभूत जानकारियों की वेब पत्रिका "The web magazine of various colours of authentic and basic information of Rajasthan's Art, Culture, History, Geography and Current affairs