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कांठल का गौतमेश्वर है पापमुक्ति का धाम

कांठल नाम से जाना जाने वाले प्रतापगढ़ के मंदिरों में मुख्यतः गौतमेश्वेर महादेव का मंदिर है, जो अरनोद उपखंड में प्रतापगढ़ से मात्र 20 किलोमीटर दूर स्थित है। गौतमेश्वर पापमुक्ति करने की महिमा के कारण दूर-दूर तक विख्यात है। यह मान्यता है कि प्राचीन काल में इस स्थान पर गौतम ऋषि ने तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने वरदान दिया था कि इस स्थान पर स्थित मंदाकिनी कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को उसके द्वारा अनजाने में किए गए समस्त पापों से मुक्ति मिल जाएगी। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर गौतम ऋषि को उनके गौ-हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। तभी से यह स्थान पापमुक्ति के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में पापमुक्ति का प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है। प्रायश्चित करने के लिए यहाँ रोज कई लोग आते हैं। इनमें ज्यादातर वे होते हैं जिनके द्वारा किसी कारण गाय, मोर, गिलहरी जैसे जानवरों की मौत हो जाती है। ये लोग मुंडन करवाकर मंदाकिनी कुंड में डुबकी लगाते हैं। मंगलेश्वर व गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना के बाद कुछ शुल्क के जमा कराने पर प्राप्त प्रमाण पत्र लेकर अपनी बिरादरी में पेश करते हैं। अंचल के कई समाजों में तो पाप मुक्ति प्रमाण पत्र के बाद ही व्यक्ति को गाँव-समाज के कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है। यह भी आस्था है कि मंदाकिनी कुंड मेँ स्नान करने से नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। यह पापमुक्ति कुंड गौतमेश्वर मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करते ही सबसे पहले आता है। यह कुंड राजस्थान में तो विख्यात है ही, परन्तु राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश व गुजरात आदि राज्यों से लोग शिवजी की अर्चना और पापमोचन के लिए यहाँ आते हैं।

गौतमेश्वर के अन्य स्थानों में गदालोट एक ऐसा स्थल है जिसके लिए कहा जाता है कि यहाँ लौट लगाने से व्यक्ति को अगले जन्म में गधे की योनि प्राप्त नहीं होती है। यहाँ पर जो भी आता है, वो इस स्थान पर आने से कभी नहीं चूकता। यह गदालोट भी हजारों वर्ष प्राचीन माना जाता है।
यहाँ प्रतिवर्ष एक सप्ताह के विशाल वार्षिक मेले का आयोजन भी किया जाता है। गौतमेश्वर के इस मेले में लोगों की कुछ ऐसी भीड़ लगती है कि यहाँ पैर रखना भी कठिन हो जाता है। पाप मुक्ति मेले के रूप में मान्य गौतमेश्वर का इस मेले में मुख्य मेला वैशाखी पूर्णिमा को होता है। इस वर्ष यह मेला 13 मई से प्रारंभ होकर 20 मई तक चलेगा।

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