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राजस्थान का हस्तशिल्प मीनाकारी

राजस्थान का हस्तशिल्प मीनाकारी -   ज्वैलरी पर मीनाकारी के लिए जयपुर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिंह प्रथम (1589-1614) द्वारा लाहौर से लाई गई थी।    मीनाकारी का कार्य मूल्यवान व अर्द्धमूल्वान रत्नों तथा सोने व चांदी के आभूषणों पर किया जाता है। परंपरागत रूप से सोने पर मीनाकारी के लिए काले, नीले गहरे पीले नारंगी एवं गुलाबी रंग का प्रयोग किया जाता है। लाल रंग बनाने में जयपुर के मीनाकार कुशल हैं। मीनाकारी में फूल पत्ती, मोर आदि का प्रायः अंकन किया जाता है। जयपुर के अलावा राजसमंद जिले का नाथद्वारा भी मीनाकारी के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है। यहाँ पर भी सोने के आभूषणों और खिलौनों पर बड़ी सुंदर मीनाकारी की जाती है। यहाँ चाँदी के खिलौनों, बर्तनों एवं आभूषणों पर भी मीनाकारी की जाती है। कोटा के रेतवाली क्षेत्र में काँच पर विभिन्न रंगों से मीनाकारी की जाती है। बीकानेर में ऊँट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी की जाती है जिसे उस्ता कला के नाम से जाना जाता है। प्रतापगढ़ में भी यह कार्य दक्षता के साथ किया जाता है।   अन्य विशि

गहरे सदमे में हूँ!!

जी हाँ। जब से मुझे ये बात पता चली तब से ही गहरे सदमे में हूँ। एक प्रयास शुरू किया था पूरी मेहनत के साथ अच्छी और सारगर्भित वो सामग्री उपलब्ध कराने का जो इंटरनेट पर राजस्थान के बारे में उपलब्ध नहीं थी। एक गहरा धक्का उस समय लगा जब एक A Way For Sure Success... के नाम से झाँसा देने वाली और RPSC की प्रतियोगिताओं की तैयारी का दावा करने वाली तथाकथित PORTAL वेबसाइट ने एक ही दिन में मेरे ब्लॉग के सौ से अधिक पोस्ट ज्यों के त्यों कॉपी करके अपने नाम से प्रकाशित कर दिए। इतना गहरा सदमा लगने के बावजूद मैंने बेमन से लिखना जारी रखा लेकिन अब हिम्मत जवाब दे रही है। सोच रहा हूँ कि अब लिखना छोड़ दूँ ! दोस्तों एक पोस्ट को तैयार करने में दो से तीन घंटे लगते हैं। सामग्री जुटाने के लिए कई संदर्भ देखने पड़ते हैं। कहीं अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद भी करना पड़ता है। एक और बात कि मैं डेस्कटॉप से नहीं लिख रहा हूँ अपितु मोबाइल से ही टाइप कर रहा हूँ। बड़ी मेहनत लग रही है। लेकिन उन भाईसाहब ने तो एक ही दिन में मेरी मेहनत का सारा माल उड़ा कर अपनी वेबसाइट बना डाली। तो अब अलविदा कहने का वक्त आ गया है। अब और पोस्ट नहीं??

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज

1. मोरध्वज राजस्थान की किस प्राचीन शैली के प्रसिद्ध चित्रकार हैं? उत्तर- किशनगढ़ शैली 2. मथेरण परिवार राजस्थान की किस प्रसिद्ध चित्रशैली से संबंधित हैं? उत्तर- बीकानेर शैली 3. राजस्थान की किस शैली में राजस्थानी चित्रकला का प्रारम्भिक और मौलिक रूप दिखाई देने के कारण इसे राजस्थानी चित्रशैलियों की जनक शैली कहा जाता है? उत्तर- मेवाड़ शैली 4. किस महाराणा के शासनकाल में मेवाड़ चित्रशैली का बहुत अधिक विकास हुआ? उत्तर- अमरसिंह के 5. काव्य और कला का मणिकाँचन संयोग राजस्थान की किस चित्रशैली में सर्वाधिक है? उत्तर- किशनगढ़ शैली में 6. महाराजा अनूपसिंह के शासनकाल में किस चित्रकला शैली का वास्तविक रूप में विकास हुआ? उत्तर- बीकानेर शैली 7. अनेक कलाविद् ने राजस्थान की किस शैली को मुगल शैली की प्रतिछाया बताया है? उत्तर- अलवर शैली को 8. खूबीराम शर्मा, घासीराम शर्मा और रेवाशंकर शर्मा किस शैली के प्रसिद्ध चित्रकार हैं? उत्तर- नाथद्वारा शैली के 9. नाथद्वारा शैली में कागज पर बनाए जाने वाले चित्रों को क्या कहा जाता है? उत्तर- पाना 10. उदयपुर शैली और ब्रज शैली का समन्वय किस चित्रकला शैली की विशेषता है? उत्तर- ना

सांस्‍कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्‍द्र (सीसीआरटी), उदयपुर

सीसीआरटी की स्‍थापना भारत सरकार, द्वारा मई, 1979 में नई दिल्ली में की गई थी। तब से इस केन्‍द्र ने महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के विद्यार्थियों में संस्‍कृति के प्रचार एवं प्रसार की योजना अपने हाथों में ली। वर्ष 1995 में सीसीआरटी द्वारा मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की स्‍थायी संसदीय समिति की अनुशंसा के अनुसार उदयपुर तथा हैदराबाद में दो क्षेत्रीय केन्‍द्रों की स्‍थापना की गई। सीसीआरटी का उदयपुर का क्षेत्रीय कार्यालय स्वरूपसागर के पास अंबावगढ़ में स्थित है। सीसीआरटी भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्तशासी संगठन के रूप में कार्यरत है। सीसीआरटी का मुख्‍य लक्ष्‍य- छात्रों को संस्‍कृति की महत्‍ता के प्रति जागरूक बनाना है। इस हेतु देश भर के सेवारत शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों, शैक्षिक प्रशासकों, छात्रों, युवाओं हेतु विविध प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन किए जाते हैं। इस केन्‍द्र की सर्वोच्‍च सत्‍ता सोसाइटी के पास निहित है जो एक नियंत्रक निकाय के रूप में कार्य करती है। सोसाइटी के मामलों का प्रबंधन, प्रशासन, निर्देशन तथा नियंत्रण सोसाइटी की कार्यकारिणी समिति द्व

राजस्थान की महिला विकास की योजनाएँ -

1. महिलाओं के प्रशिक्षण एवं रोजगार कार्यक्रम हेतु सहायता (स्टेप)– भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित इस योजना के अंतर्गत अल्प आयवर्ग की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने हेतु भारत सरकार द्वारा स्वयंसेवी संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है। योजना के उद्देश्य- महिलाओं को छोटे व्यावसायिक दलों में संगठित करना तथा प्रशिक्षण और ऋण के माध्यम से सुविधाएं उपलब्ध कराना। महिलाओं में कौशल वृद्धि के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराना। महिला दलों को सक्षम बनाना, ताकि वे स्वयं रोजगार तथा आयोत्पादक कार्यक्रम चला सके। महिलाओं के लिए प्रशिक्षण तथा रोजगार की परिस्थितियों में और अधिक सुधार करने के लिए समर्थन सेवाएं उपलब्ध कराना। कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण– यह योजना सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों, संघों, सहकारी तथा स्वैच्छिक संगठनों, गैर–सरकारी स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से चलाई जाती है। इस स्कीम के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले निकाय, संगठन अथवा अभिकरण ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत होने चाहिए भले ही उनके मुख्यालय

भारत सरकार द्वारा 1985-86 में स्थापित क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र

क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र का नाम व मुख्यालय, सदस्य राज्य 1. उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला {जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,पंजाब हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान व केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़} 2. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर {राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, केन्द्र शासित प्रदेश दमन और दीव तथा दादरा और नागर हवेली} 3. दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावुर {आंध्र प्रदेश, कर्नाटक,केरल, तमिलनाडु, केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, पुंडुचेरी} 4. दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर {आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र} 5. पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, कोलकाता {असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, उड़ीसा, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल व केन्द्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह} 6. उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद {उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली} 7. उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, दिमापुर {अ

अद्भुत आकर्षण हैं उदयपुर के शिल्पग्राम में

भारत सरकार द्वारा स्थापित "पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र- WZCC" का ग्रामीण शिल्प एवं लोककला का परिसर 'शिल्पग्राम' उदयपुर नगर के पश्चिम में लगभग 3 किमी दूर हवाला गाँव में स्थित है। लगभग 130 बीघा (70 एकड़) भूमि क्षेत्र में फैला तथा रमणीय अरावली पर्वतमालाओं के मध्य में बना यह शिल्पग्राम पश्चिम क्षेत्र के ग्रामीण तथा आदिम संस्कृति एवं जीवन शैली को दर्शाने वाला एक जीवन्त संग्रहालय है। इस परिसर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सदस्य राज्यों की पारंपरिक वास्तु कला को दर्शाने वाली झोंपड़ियां निर्मित की गई जिनमें भारत के पश्चिमी क्षेत्र के पांच राज्यों के भौगोलिक वैविध्य एवं निवासियों के रहन-सहन को दर्शाया गया है। इस परिसर में राजस्थान की सात झोपड़ियां है। इनमें से दो झोंपड़ियां बुनकर का आवास है जिनका प्रतिरूप राजस्थान के उदयपुर के गांव रामा तथा जैसलमेर के रेगिस्तान में स्थित सम से लिया गया है। मेवाड़ के पर्वतीय अंचल में रहने वाले कुंभकार की झोंपड़ी उदयपुर के 70 किमी दूर स्थित ढोल गाँव से ली गई है। दो अन्य झोंपड़ियां दक्षिण राजस्थान की भील व सहरिया आदि

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर-
West Zone Cultural Centre (WZCC) Udaipur


भारत सरकार द्वारा एक योजना कें अंतर्गत 1985-86 में निम्नांकित सात क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केंद्र स्‍थापित किए गए थे- 1. उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला 2. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर 3. दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावुर 4. दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर 5. पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, कोलकाता 6. उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद 7. उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, दिमापुर इन क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केंद्रों की स्‍थापना के प्रमुख उद्देश्य निम्नांकित है- > प्रादेशिक और क्षेत्रीय सीमाओं के परे सांस्‍कृतिक भ्रातृत्व की भावना विकसित करना। > स्‍थानीय संस्‍कृतियों के प्रति गहन जागरूकता पैदा करना और यह दिखाना कि ये संस्‍कृतियां किस प्रकार क्षेत्रीय पहचान से घुलमिल जाती हैं तथा अंतत: भारत की समृद्ध विविधतापूर्ण संस्‍कृति में समाहित हो जाती हैं। इन्हीं उद्देश्यों के दृष्टिगत राजस्थान के उदयपुर शहर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की गई। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर भा

समसामयिक घटनाचक्र- कैबिनेट की बैठक के महत्वपूर्ण फैसले

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में 11 मई को मंत्रिमण्डल की बैठक आयोजित की गई। जिसमें निम्न निर्णय किए गए। सभी अधिकारियों को करना होगा अचल सम्पत्ति को सार्वजनिक- बैठक में सभी अधिकारियों द्वारा अचल सम्पत्ति का विवरण सार्वजनिक करने को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया कि ऐसे अधिकारी जिनकी कोई पदोन्नति शेष नहीं है, सेवाकाल बाकी है तथा अचल सम्पत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं करते तो उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ देय नहीं होगा। अचल सम्पत्ति के वर्तमान मूल्य का आधार होगा डी. एल. सी. दर- बैठक में अधिकारियों की अचल सम्पत्ति के वर्तमान मूल्य का आधार डी. एल. सी. दर को रखे जाने के प्रस्ताव का भी अनुमोदन किया गया। चिकित्सा शिक्षकों को दी बेहतर सुविधाएं- > राज्य के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक चिकित्सकों की मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिमण्डलीय स्तरीय उप समिति गठित की गई थी। कैबिनेट बैठक में इस समिति द्वारा दी गई सिफारिशों पर विचार विमर्श किया गया तथा इस संबंध में हुए समझौते के निर्णयों की क्रियान्विति हेतु उप समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्त

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
17.5.2011


1. मुहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराइन का प्रथम युद्ध कब लड़ा गया, जिसमें मुहम्मद गोरी की पराजय हुई? उत्तर- 1191 ईस्वी 2. सन् 1192 में मुहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुए तराइन के द्वितीय युद्ध में किसकी पराजय हुई? उत्तर- पृथ्वीराज की 3. सन् 1532 में किसने अपने पिता राव गंगा की हत्या कर मारवाड़ की सत्ता पर कब्जा किया था? उत्तर- मालदेव ने 4. बूँदी राज्य की स्थापना किसके द्वारा की गई? उत्तर- हाड़ा राजा देशराज द्वारा 5. देश का पहला निर्यात संवर्द्धन पार्क कहाँ बनाया गया? उत्तर- सीतापुरा (जयपुर) मेँ 6. रम्मत लोक नाट्य के लिए कौनसा शहर प्रसिद्ध है? उत्तर- बीकानेर 7. लोक नाट्य गवरी के नायक को क्या कहते हैं? उत्तर- राई बूढ़िया 8. राजस्थान के कौनसा जिला संगमरमर के सर्वाधिक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है? उत्तर- राजसमंद 9. सिख समाज का श्रावण अमावस्या को लगने वाला बूढ़ा जोहड़ का मेला किस जिले से संबंधित है? उत्तर- श्रीगंगानगर 10. ब्यावर के किस उद्योगपति ने स्वाधीनता सेनानियों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई थी? उत्तर- दामोदर दास राठी ने

समसामयिक घटनाचक्र-
भारतीय सेना का रेगिस्तान में वार गेम ' ऑपरेशन विजयी भव '

राज्य के श्रीगंगानगर जिले में सूरतगढ़ में पाकिस्तान से सटी सीमा के नजदीक 45 डिग्री से ऊपर तपते थार रेगिस्तान में भारतीय थल सेना व वायुसेना द्वारा दिनांक 9 से 15 मई तक सात दिनों तक संयुक्त वारगेम ‘ऑपरेशन विजयी-भव’ का अभ्यास किया गया। वार गेम की विशेषताएँ > श्रीगंगानगर जिले के 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में थलसेना व वायुसेना ने किया अभ्यास। > 50 हजार से अधिक सैनिकों व अधिकारियों ने भाग लिया। > वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग श्रृंखला के विमानों के अलावा लड़ाकू हेलिकॉप्टर चेतक, चीता व ध्रुव भी शामिल हुए। > काल्पनिक जंग में सेना की स्ट्राइक कोर ने भी अपनी ताकत व दक्षता दिखाई। > इस अभ्यास से सेना में शामिल किए गए नए युद्ध टैंकों, आधुनिक हथियारों व उपकरणों का ट्रायल करने के साथ ही परमाणु, जैविक व रासायनिक युद्ध से निपटने का अभ्यास किया गया। > वायुसेना द्वारा लड़ाकू विमानों से बमबारी करने और मिसाइलों की मारक क्षमता का आकलन किया गया।

RAJASTHAN STATE COMMISSION FOR WOMEN - राजस्थान राज्य महिला आयोग

राजस्थान में राज्य महिला आयोग की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 23 अप्रैल, 1999 को एक विधेयक राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। इस विधेयक के पारित होने पर 15 मई, 1999 को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार राजस्थान राज्य महिला आयोग का गठन किया गया। इतिहास- संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की। फिर उस के बाद से 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिलाओं के दशक के रूप में 1976-85 की घोषणा की। सीईडीएडब्ल्यू (कन्वेंशन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन) पर 1979 में हस्ताक्षर किए, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सुनिश्चित करता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है। लेकिन भारत ने 9 जुलाई, 1993 इस संधि सीईडीएडब्ल्यू पर कुछ संशोधनों के साथ हस्ताक्षर किए हैं, कि इससे न केवल लैंगिक भेदभाव को रोकता है, लेकिन यह भी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए, संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत मे

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज– 15 मई 2011

1. स्वाधीनता आंदोलन के समय 1889 में हिन्दी भाषा में प्रकाशित प्रथम दैनिक समाचार पत्र "राजस्थान समाचार" संपादक कौन थे? उत्तर- मुंशी समर्थदान 2. डूंगरपुर प्रजामण्डल की स्थापना 1944 में किसके द्वारा की गई थी? उत्तर- भोगीलाल पण्ड्या द्वारा 3. किस प्रजामण्डल का गठन 1938 में पं. हरिनारायण शर्मा व कुंजबिहारी मोदी द्वारा किया गया? उत्तर- अलवर प्रजामंडल 4. किस सन् में भरतपुर प्रजामण्डल का गठन गोपीलाल यादव की अध्यक्षता में किया गया? उत्तर- 1938 में 5. किसकी अध्यक्षता में धौलपुर प्रजामण्डल 1936 में गठित किया गया? उत्तर- कृष्णदत पालीवाल की 6. मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना 24 अप्रैल, 1938 को किसकी अध्यक्षता में की गई? उत्तर- बलवंत सिंह मेहता की 7. भुसावर के किस स्वाधीनता सेनानी को बेगार का विरोध करते समय भरतपुर में 5 फरवरी, 1947 को बस से कुचल कर मार डाला गया? उत्तर- रमेश स्वामी को 8. जोधपुर के किस स्वतंत्रता सेनानी की 19 जून, 1942 को जोधपुर केन्द्रीय कारागृह में भूख-हडताल के दौरान मृत्यु हुई? उत्तर- बालमुकुन्द बिस्सा की 9. स्वाधीनता आंदोलन के समय मारवाड़ हितका

प्रमुख प्राचीन मुद्राएं और उनके प्रचलन का क्षेत्र-

1. झाड़शाही- जयपुर अथवा ढूंढ़ाड़ प्रदेश 2. रामशाही- बूँदी व जयपुर 3. मुहम्मदशाही- जैसलमेर 4. सलीमशाही- प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा 5. लछमनशाही- बांसवाड़ा 6. हाली- बूँदी 7. कटारशाही- झालावाड़ 8. मदनशाही- झालावाड़ 9. गजशाही- बीकानेर 10. रावशाही- अलवर 11. विजयशाही- जोधपुर 12. फदका या फदिया मुद्रा- मारवाड़ 13. वीर दामन की मुद्राएं- बांसवाड़ा 14.आलमशाही- मेवाड़ 15.मेहताशाही- मेवाड़ 16.चांदोडी- मेवाड़ 17.स्वरूपशाही- उदयपुर 18.भूपालशाही- उदयपुर 19.उदयपुरी- उदयपुर 20.चित्तौड़ी- चित्तौड़ 21.भीलवाड़ी- भीलवाड़ा 22.त्रिशूलिया- उदयपुर 23.फींतरा- उदयपुर 24. अखैशाही- जैसलमेर 25. उदयशाही- डूंगरपुर 26. भींडरी पैसा- भींडर उदयपुर

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
14.5.2011

1. जैसलमेर के किस स्वाधीनता सेनानी को जेल में जिंदा जला दिया जिससे 4 अप्रैल, 1946 को उनका देहांत हो गया था? उत्तर- सागरमल गोपा को 2. सागरमल गोपा द्वारा रचित पुस्तक का नाम क्या है? उत्तर- जैसलमेर का गुण्डाराज 3. राजस्थान का गाँधी किसे कहा जाता है? उत्तर- गोकुल भाई भट्ट को 4. स्वाधीनता आंदोलन के समय रचे गए पंछीडा गीत के रचनाकार कौन थे? उत्तर- माणिक्य लाल वर्मा 5. वागड का गाँधी किसे कहा जाता है? उत्तर- भोगीलाल पण्ड्या को 6. सन् 1935 ई. में डूंगरपुर में किसके द्वारा हरिजन सेवा संघ की स्थापना की गई, जिसे 1920 में अजमेर में स्थानांतरित कर दिया गया था? उत्तर- भोगीलाल पाण्ड्या ने 7. वर्धा में 1919 में अर्जुनलाल सेठी, केसरी सिंह बारहठ व विजय सिंह पथिक ने किस संघ की स्थापना की थी? उत्तर- राजस्थान सेवा संघ की 8. सन् 1920 में मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना चांदमल सुराणा व साथियों द्वारा कहाँ की गई थी? उत्तर- जोधपुर में 9. जयनारायण व्यास द्वारा ब्यावर से प्रकाशित किए गए राजस्थानी भाषा के प्रथम राजनैतिक समाचार पत्र द्वारा का नाम क्या था? उत्तर- आगीबाण 10. अजमेर से सन्

राजीव गाँधी किशोरी बालिका सशक्तिकरण योजना (RGSEAG)-

11 से 18 वर्ष की आयु को किशोरावस्था कहा जाता है। यह अवस्था वयस्क होने के पूर्व का एक महत्त्वपूर्ण समय है। इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक परिवर्तन तेजी से होते हैं। यह मनोवैज्ञानिक विकास की अवस्था है। अतः इस अवस्था में कुपोषण को दूर करने के साथ स्वास्थ्य की देखभाल की जानी चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली बीमारियों को रोका जा सके। किशोरी बालिकाओं के शरीर में लौह तत्व एवं रक्त की कमी होने से उनके कार्य करने व नया सीखने की क्षमता कम हो जाती है। इससे उनके सामाजिक व आर्थिक विकास की गति अवरूद्ध हो जाती है। गर्भावस्था में रक्त की कमी से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसी कारण महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजीव गाँधी किशोरी बालिका सशक्तिकरण योजना (RGSEAG)- 'सबला' प्रारम्भ की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य की 11 - 15 वर्ष आयु की स्कूल नहीं जाने वाली तथा 15- 18 वर्ष की सभी बालिकाओं को वर्ष में 300 दिवस पूरक पोषाहार (जिसमें 600 किलो कैलोरी एवं 18 - 20 ग्राम माइक्रो न्यूट्रिएन्ट की मात्रा हो) उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना के तहत राज्‍य में पायलट आधार पर 10 जिलों (भील

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-13.5.2011

1. चित्तौड़गढ़ जिले में भ्रमरमाता का मन्दिर कहाँ स्थित है? उत्तर: छोटी सादड़ी में 2. राजस्थान के किस किले को गढ़ बिरली भी कहा जाता है? उत्तर: अजमेर के तारागढ़ को 3. चित्तौड़ के पास स्थित प्राचीन मेवाड़ की मज्झमिका (मध्यमिका) या नगरी से प्राप्त ताम्रमुद्रा इस क्षेत्र को कौनसा जनपद घोषित करती है? उत्तर: शिविजनपद 4. आलमशाही, मेहताशाही, चांदोडी, स्वरुपशाही, भूपालशाही, उदयपुरी, चित्तौड़ी, भीलवाड़ी त्रिशूलिया, फींतरा आदि किसके नाम हैं? उत्तर- प्राचीन मुद्राओं के 5. नागौर में किस प्रसिद्ध सूफी संत की दरगाह है, जो अजमेर के बाद राजस्थान में इस्लाम के प्रमुख केन्द्र के रूप में विख्यात है? उत्तर- हमीदुद्दीन नागौरी की 6. किस लोक संत के सभी सिद्धान्त '29 शिक्षा’ के नाम से जाने जाते हैं? उत्तर- जम्भोजी 7. रियासत कालीन राजस्थान में राजस्‍व-प्रशासन की सबसे नीचे की कड़ी कौन था? उत्तर- चौकीदार या गांव का मुखिया 8. रियासत कालीन राजस्थान में राजस्व वाद का अन्तिम अपील का न्‍यायाधीश कौन होता था? उत्तर- राजा 9. देश में रॉक फॉस्फेट का सबसे बडा भण्डार कौनसी खान है? उत्तर- झामर

राजस्थान सामान्य ज्ञान क्विज-
11. 5. 2011

1. खनन क्षेत्रों से प्राप्त आय की दृष्टि से राष्ट्रीय आय में राजस्थान राज्य का कौनसा स्थान है? उत्तर- पाँचवां 2. अलौह धातु सीसा, जस्ता एवं तांबे के उत्पादन मूल्य की दृष्टि से देश में राजस्थान का कौनसा स्थान है? उत्तर- प्रथम स्थान 3. लौह खनिज टंगस्टन आदि के उत्पादन मूल्य में राजस्थान प्रदेश का देश में कौनसा स्थान है? उत्तर- चौथा स्थान 4. ईमारती एवं सजावटी पत्थरों के उत्पादन में देश के कुल उत्पादन का कितने प्रतिशत उत्पादन कर राजस्थान का प्रथम स्थान है? उत्तर- 95 प्रतिशत 5. एमरॉल्ड, टंगस्टन व केडमियम खनिज राजस्थान के अलावा अन्य किस राज्य में उपलब्ध है? उत्तर- किसी में नहीं 6. राजस्थान में समस्त भारत के उत्पादन का वोलेस्टोनाईट एवं जास्पर का कितने प्रतिशत उत्पादित किया जाता है? उत्तर- 100 प्रतिशत 7. राजस्थान में जस्ता कन्सन्ट्रेट का समस्त भारत के कितने प्रतिशत उत्पादन किया जाता है? उत्तर- 99 प्रतिशत 8. देश के कुल कितने प्रतिशत फ्लोराईट का उत्पादन राजस्थान में किया जाता है? उत्तर- 96 प्रतिशत 9. राजस्थान में देश के कितने प्रतिशत जिप्सम का उत्पादन किया जाता है?

राजस्थान में पारसी हिन्दी रंगमंच

बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ से देश में एक नई रंगमंचीय कला "पारसी थियेटर" का विकास हुआ। किंतु अधिकांश विद्वान यह भी मानते हैं कि इस शैली का विकास "शेक्सपीरियन थियेटर" से प्रभावित होकर इंग्लैड में हुआ था। यह रंगमंचीय विधा लगभग आधी सदी तक उत्तर भारत में जन चेतना के संचार का सशक्त माध्यम रही। पारसी रंगमंच कला के विशिष्ट तत्व निम्नांकित हैं - (1) अभिनेताओं द्वारा मुख-मुद्राओं तथा हावभाव का व्यापक प्रदर्शन। (2) नाटक का निश्चित कथात्मक स्वरूप। (3) बोलचाल की भाषा का समावेश तथा संवाद की एक खास शैली। पारसी थियेटर शैली ने तीसरे दशक में राजस्थान के रंगकर्मियों पर पूरा प्रभाव डाला। कहा जाता है कि सर्वप्रथम बरेली के जमादार साहब की थिएटर कंपनी राजस्थान आई थी। इसके पश्चात स्व. लक्ष्मणदास डाँगी ने जोधपुर में मारवाड़ नाटक संस्था की स्थापना की तथा जानकी स्वयंवर, हरीशचंद्र, भक्त पूरणमल जैसे कई नाटक किए। इस कंपनी ने जयपुर, लखनऊ और कानपुर में भी कई नाटक किए। महबूब हसन नामक व्यक्ति ने आगा हश्र कश्मीरी के लिखे पारसी शैली के अनेक नाटक जयपुर व अलवर मेँ मंचित किए। व्यापक प्रभाव को जम

राजस्थान के प्रमुख नगर एवं उनके संस्थापक

1. अजमेर- श्री अजयपाल 2. अलवर- राव प्रतापसिंह जी 3. भरतपुर- राजा सूरजमल जी 4. बीकानेर- राव बीका जी 5. चित्तौड़- चित्रांगद मौर्य 6. करौली- अर्जुनपाल 7. गंगानगर- श्री गंगासिंह 8. जहाजपुर- राजा जनमेजय 9. जोधपुर- राव जोधा 10. जयपुर- सवाई जयसिंह 11. जैसलमेर- भाटी जैसल 12. खिज्राबाद {चित्तौड़}- खिज्र खां 13. किशनगढ़- किशनसिंह राठौड़ 14. प्रतापगढ़- महारावल प्रतापसिंह जी 15. रतनगढ़- महाराजा रतनसिंह 16. सूरतगढ़- महाराजा सूरतसिंह जी 17. सरदारशहर- महाराजा सरदारसिंह 18. सुजानगढ़ महाराजा सुजानसिंह 19. उम्मेदनगर- श्री उम्मेदसिंह 20. उदयपुर- महाराणा उदयसिंह 21. डूंगरपुर- महारावल डूंगरसिंह 22. सवाई माधोपुर- सवाई माधोसिंह प्रथम

राजस्थान की योजनाएँ - चिरायु योजना

  राजस्थान की योजनाएँ - चिरायु योजना समाज से उपेक्षित बीपीएल वर्ग के वृद्धों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए सरकार की चिरायु योजना शुरू की गई है, इसमें जन सहभागिता योजना के अंतर्गत ओल्ड एज होम (वृद्धाश्रम) बनाए जा रहे हैं। इन वृद्धाश्रम में ऐसे लोगों को पारिवारिक माहौल मिल सकेगा जो परिवार या समाज से अलग-थलग पड़ गए हैं। नोडल एजेंसी : योजना की क्रियान्विति के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। वृद्धाश्रम संचालित करने वाले संस्थान को भवन निर्माण के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान है। सरकारी सहायता : >आवेदन करने वाली संस्था को सरकार की ओर से वृद्धाश्रम खोलने के लिए 15 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। इसमें 70 प्रतिशत राशि संस्था को परियोजना स्वीकृति के समय तथा 30 प्रतिशत भवन निर्माण पूर्ण होने पर दी जाएगी। > संस्थानों को स्थानीय निकाय एक हजार गज भूमि नि:शुल्क देगा। अधिक भूमि चाहने पर डी.एल.सी. दर की 50 फीसदी रियायती राशि पर अतिरिक्त भूमि का आबंटन किया जाएगा। प्रवेश की पात्रता : गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के 60

कांठल का गौतमेश्वर है पापमुक्ति का धाम

कांठल नाम से जाना जाने वाले प्रतापगढ़ के मंदिरों में मुख्यतः गौतमेश्वेर महादेव का मंदिर है, जो अरनोद उपखंड में प्रतापगढ़ से मात्र 20 किलोमीटर दूर स्थित है। गौतमेश्वर पापमुक्ति करने की महिमा के कारण दूर-दूर तक विख्यात है। यह मान्यता है कि प्राचीन काल में इस स्थान पर गौतम ऋषि ने तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने वरदान दिया था कि इस स्थान पर स्थित मंदाकिनी कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को उसके द्वारा अनजाने में किए गए समस्त पापों से मुक्ति मिल जाएगी। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर गौतम ऋषि को उनके गौ-हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। तभी से यह स्थान पापमुक्ति के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में पापमुक्ति का प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है। प्रायश्चित करने के लिए यहाँ रोज कई लोग आते हैं। इनमें ज्यादातर वे होते हैं जिनके द्वारा किसी कारण गाय, मोर, गिलहरी जैसे जानवरों की मौत हो जाती है। ये लोग मुंडन करवाकर मंदाकिनी कुंड में डुबकी लगाते हैं। मंगलेश्वर व गौतमेश्वर की पूजा-अर्चना के बाद कुछ शुल्क के जमा कराने पर प्राप्त प्रमाण पत्र लेकर अपनी बिरादरी में पेश करते हैं। अंचल के कई समाजों

महिलाओं के विकास और उन्नयन में साथिन की भूमिका

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक महिला साथिन के रूप में नियुक्त होती है जिसका चयन उस पंचायत क्षेत्र की 'महिला ग्राम सभा' द्वारा किया जाता है। साथिन के मुख्य कार्य– 1. ग्राम पंचायत स्तर पर साथिन वह कड़ी है, जो प्रशासन में गाँव की आधी आबादी अर्थात महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है। 2. साथिन की भूमिका गाँव की महिलाओं को एक दोस्त, परामर्शदात्री और पथ–प्रदर्शक के रूप में सम्बल देना तथा उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना। 3. ग्रामीण महिलाओं को सरकार की विकास योजनाओं में महिलाओं को लाभ पहुंचाने के प्रावधानों की जानकारी देने के लिए संबंधित विकास विभाग के अधिकारियों/ कार्यकर्ताओं को जाजम पर बुलाकर गाँव की सभी महिलाओं से चर्चा करवाना। 4. महिलाओं में विकास योजनाओं का लाभ उठाने की ललक और मांग पैदा करना। 5. गाँव में बालिकाओं की स्थिति सुधरे, उसे भी पूरा प्यार, अधिकार और सम्मान मिले, समाज में ऐसा माहौल तैयार करने का सतत् प्रयास करना। 6. महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, अत्याचार, अपराध, शोषण, उत्पीड़न के मामलों में गाँव की महिलाओं को संगठित करना एवं आवश्य

समसामयिक घटनाचक्र

जैन साध्वी अर्चना पर डाक टिकट जारी जैन साध्वी महासती गुरुमाता उमराव कुंवर ‘अर्चना’ की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी स्मृति में अजमेर में दिनांक 30 अप्रैल को आयोजित एक समारोह में केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने एक डाक टिकट जारी किया। पायलट ने इस अवसर पर कहा कि प्रथम बार किसी जैन साध्वी के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया है। किसी महिला के नाम पर डाक टिकट जारी होने से देश की करोड़ों महिलाओं का सम्मान बढ़ा है। इस डाक टिकट से महासती अर्चना की यादें चिरस्थाई हो गई है। देश में स्कूलों की सबसे बड़ी कंप्यूटरीकरण योजना अजमेर जिले की पीसांगन पंचायत समिति में पुष्कर के पास गनाहेड़ा गाँव की राजकीय माध्यमिक विद्यालय में देश में स्कूलों की सबसे बड़ी कंप्यूटरीकरण योजना "एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क" का शुभारंभ केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने दिनांक 30 अप्रैल को किया। इस विद्यालय में ई लर्निग केंद्र व वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा के तहत स्थापित कंप्यूटर प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया। इस योजना के तहत 25 करोड़ की लागत से ग्रामीण क्षेत्रों के 247

महिला विकास में प्रचेताओं की भूमिका

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर एक प्रचेता नियुक्त की जाती है, जिसके मुख्य कार्य निम्न प्रकार से है– प्रचेता के उत्तरदायित्व एवं कार्य– प्रचेता शब्द का अर्थ ज्ञानवान एवं कार्य के प्रति समर्पित महिला है। महिला अधिकारिता की यह प्रमुख प्रेरक है, जो पंचायत समिति/ब्लॉक स्तर पर नियुक्त होती है। प्रचेता ग्राम पंचायत पर महिला समिति के माध्यम से साथिन का चयन करवाती है। साथिन के हर कार्य में मार्गदर्शन, मदद, सहयोग एवं कार्य संयोजन करती है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पंचायती राज विभाग, आई. सी. डी. एस. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, स्वयंसेवी संस्थान से समन्वय स्थापित करते हुए महिलाओं को सशक्तीकरण के विभिन्न आयामों से जोड़ने का कार्य करती है। प्रचेता अपने क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करती है:– 1. महिला विकास केन्द्र की स्थापना के लिए ग्राम पंचायतों के साथ विचार–विमर्श करके उपयुक्त स्थान का चयन करना तथा महिला विकास केन्द्र के क्रियान्वयन की गुणवत्ता बनाए रखने में साथिन की मदद करना। 2. ग्रामीण महिलाओं की आवश्यकता को देखते हुए उन्हें विभागीय योजनाओं का लाभ दिल