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सांस्‍कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्‍द्र (सीसीआरटी), उदयपुर

सीसीआरटी की स्‍थापना भारत सरकार, द्वारा मई, 1979 में नई दिल्ली में की गई थी। तब से इस केन्‍द्र ने महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के विद्यार्थियों में संस्‍कृति के प्रचार एवं प्रसार की योजना अपने हाथों में ली। वर्ष 1995 में सीसीआरटी द्वारा मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की स्‍थायी संसदीय समिति की अनुशंसा के अनुसार उदयपुर तथा हैदराबाद में दो क्षेत्रीय केन्‍द्रों की स्‍थापना की गई। सीसीआरटी का उदयपुर का क्षेत्रीय कार्यालय स्वरूपसागर के पास अंबावगढ़ में स्थित है।
सीसीआरटी भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन एक स्‍वायत्तशासी संगठन के रूप में कार्यरत है।

सीसीआरटी का मुख्‍य लक्ष्‍य-

छात्रों को संस्‍कृति की महत्‍ता के प्रति जागरूक बनाना है। इस हेतु देश भर के सेवारत शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों, शैक्षिक प्रशासकों, छात्रों, युवाओं हेतु विविध प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन किए जाते हैं।

इस केन्‍द्र की सर्वोच्‍च सत्‍ता सोसाइटी के पास निहित है जो एक नियंत्रक निकाय के रूप में कार्य करती है। सोसाइटी के मामलों का प्रबंधन, प्रशासन, निर्देशन तथा नियंत्रण सोसाइटी की कार्यकारिणी समिति द्वारा सोसाइटी के नियमों-विनियमों द्वारा किया जाता है जिसकी सहायता वित्‍त समिति द्वारा भी की जाती है।

सीसीआरटी के प्रमुख कार्य-

1. शिक्षक प्रशिक्षण-

देश भर में सेवारत शिक्षकों के लिए विविध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना है। 
प्रशिक्षण की विषयवस्तु-

> भारतीय कला एवं संस्कृति में निहित दर्शन, सौन्‍दर्य शास्‍त्र और सुन्‍दरता की समझ एवं बोध।

> शिक्षा में सांस्‍कृतिक घटक को समायोजित करने के लिए कार्यप्रणालियां।

> विज्ञान और प्रौद्योगिकी, गृह-व्‍यवस्‍था, कृषि, खेलकूद आदि में संस्‍कृति की भूमिका।

> पर्यावरण प्रदूषण की समस्‍या को हल करने तथा प्राकृतिक और सांस्‍कृतिक विरासत के संरक्षण और परिरक्षण के प्रति छात्रों और अध्‍यापकों की भूमिका।

ये प्रशिक्षण नई दिल्ली, उदयपुर, हैदराबाद, गोआ के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, सिक्किम आदि में भी आयोजित किए जाते हैं। सीसीआरटी तथा शिक्षा विभाग में समन्वय के लिए राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एसआईईआरटी), उदयपुर में एक प्रकोष्ठ स्थापित है। शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए प्रतिनियुक्ति एसआईईआरटी की माँग के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की जाती है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के इच्छुक शिक्षक सीसीआरटी व एसआईईआरटी में अपने विद्यालय के प्राचार्य के माध्यम से आवेदन भी कर सकते हैं।

2. समुदाय तथा विस्‍तार सेवा कार्यक्रम-

इसके अंतर्गत विद्यालय और कॉलेज के छात्रों, अध्‍यापकों तथा गैर-सरकारी स्‍वयंसेवी संगठनों द्वारा चलाए जाने वाले अनौपचारिक स्‍कूलों में पढ़ने वाले झुग्‍गी-झोंपड़ी के छात्रों के लिए विविध प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन करता है। इसमें स्‍मारकों, संग्रहालयों, कला दीर्घाओं, शिल्‍प केन्‍द्र तथा चिड़ियाघर, उद्यान की शैक्षिक यात्राएं कराई जाती है। साथ ही प्राकृतिक एवं सांस्‍कृतिक संपदा के संरक्षण पर शिविर, शिल्‍प शिक्षण पर शिविर आयोजित कर छात्रों के बौद्धिक एवं सौन्‍दर्यपरक विकास पर बल दिया जाता है।

3. विदेशी अध्‍यापकों और छात्रों के लिए भारतीय कला एवं संस्‍कृति पर शैक्षिक कार्यक्रम-

इसके अंतर्गत विभिन्‍न कलात्‍मक गतिविधियों पर नाटक, संगीत, वर्णनात्‍मक कला माध्‍यमों आदि पर कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। इन कार्यशालाओं द्वारा शिक्षकों को प्रोत्‍साहित किया जाता है कि किस कला रूप पर कार्यक्रम तैयार करके उसे पाठयक्रम शिक्षण की पढ़ाई में उपयोग में लाया जा सकता है ।


4. प्रलेखन कार्य-

सीसीआरटी वर्षों से आलेखों, रंगीन स्‍लाइडों, छाया चित्रों, ऑडियो और वीडियो रिकॉडिंगों तथा फिल्‍मों के रूप में स्रोतों का संग्रह कर रहा है।
प्रति वर्ष सीसीआरटी की प्रलेखन टीम ग्रामीण भारत के कला और शिल्‍प-रूपों को पुन: जीवित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्‍य से देश के विभिन्‍न भागों में कार्यक्रम आयोजित करती है जिन्‍हें देश के छात्र तथा शिक्षक समुदाय में भारतीय संस्‍कृति का प्रसार करने हेतु शैक्षिक कार्यक्रमों का निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है। कुछ संसाधन सामग्री का उपयोग सीसीआरटी के शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान किया जाता है। इन्‍हें  (सांस्‍कृतिक किट) सह-सामग्री के रूप में नि:शुल्‍क उन विद्यालयों में वितरित किया जाता है, जिनके शिक्षिकों ने सीसीआरटी से प्रशिक्षण प्राप्‍त किया है ।

5. प्रकाशन कार्य-

सीसीआरटी ऐसे प्रकाशन भी तैयार करता है जो भारतीय कला तथा संस्‍कृति के विभिन्‍न पहलुओं के प्रति समझ और सराहना की भावना उत्‍पन्‍न करते हैं।

6. सांस्‍कृतिक प्रतिभा खोज छात्रृवत्ति योजना-

इसके अन्‍तर्गत 10-14 वर्ष आयु वर्ग के उत्‍कृष्‍ट प्रतिभाशाली बच्‍चों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है ताकि ये प्रतिभाशाली बच्चे तथा पारम्‍परिक प्रदर्शन या अन्‍य कलाओं से सक्रिय रूप से जुड़े परिवारों के बच्‍चे, विशेष रूप से दुर्लभ होती कला शैलियों तथा विविध सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को विकसित कर सके।

7. सीसीआरटी शिक्षक पुरस्‍कार-

इस केन्द्र ने सीसीआरटी शिक्षक पुरस्‍कार की स्थापना भी की है, जिसे प्रतिवर्ष कुछ चुने हुए अध्‍यापकों को शिक्षा तथा संस्‍कृति के क्षेत्र में श्रेष्‍ठ कार्य करने के लिए सम्‍मान स्‍वरूप दिया जाता है ।

8. सांस्‍कृतिक सॉफ्टवेयर-

केन्‍द्र द्वारा विश्‍व भर में अध्‍यापकों तथा छात्रों के उपयोग के लिए शिक्षा तथा संस्‍कृति संबंधी विषयों पर सांस्‍कृतिक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।

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