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Devnarayan ji, the deity of Gurjars गुर्जरों के आराध्य लोक देवता देवनारायण जी

लोक देवता देवनारायण जी या देवजी Rajasthan Study- राजस्थान के लोकदेवता : देवनारायण जी Rajasthan ke Lokdevata devnarayan ji देवजी का जन्म - राजस्थान के लोक देवता देवनारायण जी Rajasthan ke Lokdewata devnarayan ji का जन्म सन् 1243 के लगभग माघ शुक्ला छठ को बगड़ावत महाभारत के नायक पिता गुर्जर वीर भोजा (सवाई भोज) और माता साडू देवी खटाणी के घर मालासेरी की डूंगरी, आसीन्द (भीलवाड़ा) में हुआ था। इनका जन्म का नाम उदयसिंह (ऊदल जी) था। पिता भोजा इनके जन्म से पूर्व ही भिनाय के शासक से युद्ध करते हुए अपने 23 भाइयों सहित मारे गए थे। भिनाय के शासक से इनकी रक्षा करने के लिए इनकी माता इन्हें अपने पीहर मालवा लेकर चली गई, वहीं ननिहाल में इनकी परवरिश हुई। इन तथ्यों की पुष्टि 'मारवाड़ राज की पर्दुशमारी रिपोर्ट' तथा बीकानेर संग्रहालय में संरक्षित ग्रंथ 'अथ वात देवजी बगड़ावत री' से होती है। बड़े होकर देवजी गायों की रक्षा करने तथा अपने पूर्वजों की मौत का प्रतिशोध लेने भिनाय गए। वहाँ उनका भिनाय के शासक से भयंकर संघर्ष हुआ। इस युद्ध में उन्होंने उसे मौत के घाट उतार दिया एवं गायों

Jain Teerth Rishabhdev's Fair- जैन तीर्थ ऋषभदेव का मेला

प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला प्रसिद्ध जैन तीर्थ ऋषभदेव का मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी दिनांक 26 मार्च सुबह सुरक्षाकर्मियों द्वारा दी गई 21 बंदूकों से सलामी के साथ शुरू हुआ। मेले का आगाज होते ही मंगला के दर्शन खुले, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्तों ने मंदिर में पहुँच कर पूजा अर्चना की। मेले के पहले दिन दोपहर 12.30 बजे विधि विधान के साथ मंदिर शिखर पर ध्वजा चढ़ाई गई। इसके बाद निकली शोभायात्रा में प्रभु ऋषभदेव की पालकी को निज मंदिर से पगल्याजी तक ले जाया गया। वहां भगवान की पूजा अर्चना की गई। इस मेले के तहत 26 मार्च रात को जन्म कल्याणक आरती और मंगलदीप आरती की गई जिसमें हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मेले में दूरदराज के भक्तों की दिनभर आवाजाही रही। मेले के दूसरे दिन भगवान ऋषभदेव का मंगला दर्शन के पश्चात दुग्धाभिषेक तथा जलाभिषेक किया गया। सुबह की आरती के बाद दिनभर केसरिया जी भगवान की केसर पूजा चली जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने कालिया बाबा ऋषभदेव को केसर चढ़ाई। दोपहर को आंगी धराने के साथ ही शिखर पर जयकारों के साथ ध्वजा भी च

राइट टू री-कॉल के तहत मतदाता हटा सकेंगे निकायों के अध्यक्ष को

राज्य विधानसभा द्वारा नगर पालिका कानून की धारा 53 में किए गए संशोधन के अनुसार अब राजस्थान में भी ठीक ढंग से काम नहीं करने वाले महापौर, सभापति और नगर पालिका अध्यक्षों को वापस बुलाने का अधिकार ( राइट टू रिकॉल ) मतदाताओं को होगा। इसके लिए दो तिहाई पार्षदों को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देना होगा, लेकिन अध्यक्ष को जनमत संग्रह (वोटिंग) के आधार पर ही हटाया जा सकेगा। दो साल बाद हटा सकेंगे: नगर पालिका कानून की धारा 53 में किए गए संशोधन के अनुसार निकाय प्रमुख के खिलाफ पद ग्रहण करने की तारीख से दो साल तक और उपचुनाव में जीतकर आए अध्यक्ष के खिलाफ उसके आधे कार्यकाल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। यह होगी हटाने की प्रक्रिया: निकाय अध्यक्ष को हटाने के लिए तीन-चौथाई पार्षद कलेक्टर को लिखित आवेदन करेंगे। *. कलेक्टर अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन करने वाले पार्षदों का सत्यापन करेंगे। *. 7 दिन में अपनी शंका का समाधान करने के बाद वे 14 दिन के अंदर संबंधित निकाय में साधारण सभा की बैठक बुलाएंगे। *. इसकी अध्यक्षता उनके मनोनीत प्रतिनिधि करेगा। *. साधारणसभा में तीन-चौथाई बहुमत से अविश्वास

समसामयिक घटनाचक्र

ऊर्जा संरक्षण भवन दिशा निर्देशों से संबंधित अधिसूचना का अनुमोदन- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंत्रिमण्डल की दिनांक 22 मार्च को हुई बैठक में भवनों में ऊर्जा के दक्ष उपयोग एवं इसके संरक्षण के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन दिशा निर्देशों से संबंधित अधिसूचना का अनुमोदन किया गया। यह दिशा निर्देश सौ किलोवाट लोड से अधिक उपयोग करने वाले व्यावसायिक भवनों पर लागू होगा। इन दिशा निर्देशों की पालना से 30 से 40 प्रतिशत बिजली की बचत हो सकेगी। रेफल्स विश्वविद्यालय नीमराना ( अलवर ) विधेयक, 2011 पारित- राज्य विधानसभा ने 22 मार्च को रेफल्स विश्वविद्यालय नीमराना ( अलवर ) विधेयक, 2011 ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक में गोम्बर एजुकेशन फाउण्डेशन, नई दिल्ली को राज्य में निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति दी गई है। इससे राज्य में विश्वस्तरीय उत्कृष्ट शोध, अनुसंधान एवं अध्ययन सुविधाओं का सृजन होगा। निःशक्तजनों के पेंशन नियमों में संशोधन- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निःशक्तजन पेंशन नियमों की आय सीमा में संशोधन की स्वीकृति प्रदान की है। अब जिन परिवार की सम्मिलित वार्षिक आय स

डूंगरपुर के भीलूड़ा गाँव की मशहूर पत्थरमार होली -

आदिवासी बहुल वागड़ क्षेत्र के डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गाँव में खेली जाने वाली पत्थरमार होली राजस्थान भर में अपनी तरह की अनूठी एवं मशहूर होली है जिसमें लोग रंग, गुलाल तथा अबीर के स्थान पर एक दूसरे पर जमकर पत्थरों की बारिश करते हैं। इस गाँव की वर्षों पुरानी इस परम्परा के अनुसार होली के दूसरे दिन धुलेंडी पर्व पर शाम को इस रोमांचक होली का आयोजन होता है। इस होली को देखने आसपास के कई गाँवों से हजारों की संख्या में ग्रामीण इकठ्ठे होते हैं। शाम ढलते ढलते पत्थरमार होली खेलने वाले लोग गाँव के श्रीरघुनाथ मन्दिर के सामने के मैदान में जमा हो जाते हैं और इस पत्थरमार होली की शुरूआत करते हैं। सबसे पहले आमने सामने पत्थर उछालने से यह अनूठा कार्यक्रम शुरू होता है। इस विचित्र होली के दौरान वीर रस की धुन पर ढोल नगाड़ों का वादन चलता रहता है और यह कार्यक्रम परवान चढ़ता जाता है। जैसे जैसे नगाड़े की आवाज तेज होती जाती है वैसे वैसे पत्थरों की बारिश भी तेज होती जाती है। बाद में पत्थरों की मार से छितराए समूहों पर पत्थर फेंकने के लिए गोफण ( रस्सी से बनी पारंपरिक गुलैल ) भी प्रयुक्त की जाती है।   स्थानीय अ

समसामयिक घटनाचक्र

कोटा में खुलेगा ट्रिपल आई टी- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी ( आईआईआईटी अथवा ट्रिपल आईटी ) की स्थापना एजुकेशन सिटी कोटा में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप- पीपीपी के अंतर्गत की जाएगी। राष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान को कोटा में खोले जाने की घोषणा पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा की गई। यह राज्य की पहली ट्रिपल आईटी पीपीपी होगी तथा इसे न लाभ-न-हानि आधार पर संचालित किया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार से 50 प्रतिशत, राज्य सरकार से 35 प्रतिशत और किसी प्राइवेट उद्योग समूह से 15 प्रतिशत निवेश होगा। राज्य सरकार की ओर से निशुल्क जमीन के अलावा भवन, लैब व उपकरणों के लिए 85 प्रतिशत मदद मिलेगी। बाद में स्टाफ नियुक्त करने और संचालित करने की जिम्मेदारी उद्योग समूह की होगी। वैधानिक प्रक्रिया पूरी न हो पाने से नहीं खुली शेखावाटी यूनिवर्सिटी- शेखावाटी विश्वविद्यालय खोलने के मामले में सरकार ने हाल ही में विधानसभा में कहा है कि वैधानिक प्रक्रिया पूरी होने पर ही यह यूनिवर्सिटी खोली जाएगी। गौरतलब है कि इस यूनिवर्सिटी को खोलने की घोषणा पिछली भाजपा सरकार ने अपने बजट भाषण में 17 मार्च 2008 को की थी। उस व

दशामाता का त्यौहार

राजस्थान के विभिन्न अंचलों में दशामाता का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं किंतु जब दशा प्रतिकूल होती है तब अत्यंत परेशानी होती है। इसी दशा को दशा भगवती या दशा माता कहा जाता है। अपने परिवार की दशा उत्तम रखने के निमित्त हिंदू धर्म में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है। दस दिनों तक होती है दशामाता की पूजा किन्तु मुख्य पूजा होती है चैत्र कृष्ण दशम को- दशा माता का पूजन होली के दूसरे दिन अर्थात चैत्र कृष्ण 1 से ही प्रारंभ हो जाता है जब महिलाएँ स्नान कर के दशा माता के थान पर धूप दीपक और घी गुड़ का प्रसाद एवं गेहूँ आदि अनाज के आखे अर्पित करके दशा माता की कथा, जिसे स्थानीय भाषा में  ''दशा माता री वात'' कहते हैं, का श्रवण करती है। महिलाएं 10 दिनों तक रोजाना दशा माता की अलग अलग कहानियों को कहती व श्रवण करती है। दसवें दिन अर्थात चैत्र कृष्ण दशमी  को दशा माता का मुख्य त्यौहार मनाया जाता है । इस दिन महिलाओं द्वारा व्रत रखा जाता है तथा पीपल का पूजन कर दशामाता की कथा सुनी जाती है। इस दिन घरों में प