Skip to main content

MSME Technology Centre Bhiwadi (ALWAR) - MSME प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी, जिला-अलवर

MSME Technology Centre Bhiwad (ALWAR)

MSME प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी, जिला-अलवर

भारत सरकार ने देश में उद्योग के विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के अपने प्रयास में - विशेष रूप से MSME की मदद करने के उद्देश्य से MSME प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी, जिला-अलवर की की स्थापना की है। अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता उपकरण, प्रशिक्षित कार्मिक प्रदान करने के माध्यम से भिवाड़ी उद्योग संबंधित क्षेत्रों के एकीकृत विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह नगर टूलिंग और संबंधित क्षेत्रों में कंसल्टेंसी और उत्कृष्टता एवं भविष्य की तलाश में लगातार नए मोर्चे को पार कर रहा है। यहाँ औद्योगिक क्षेत्रों के साथ तेजी से बढ़ता यह औद्योगिक शहर भिवाड़ी MSME के विकास के लिए सही वातावरण प्रदान करता है।

यह संस्था भिवाड़ी स्थित अपने प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से तकनीकी प्रशिक्षण के अपने कार्यक्रम को लागू करता है। एकल छत के नीचे अत्याधुनिक टूल रूम की सुविधाओं में परिष्कृत मशीनों की व्यापक झलकें हैं जिनमें नवीनतम और उन्नत सीएनसी खराद, मिलिंग, ईडीएम और वायर कट मशीनें शामिल हैं, जो ग्राहकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं। आधुनिक टूल रूम सुविधाएं देश के औद्योगिक विकास के लिए अपरिहार्य हैं और ठीक से प्रशिक्षित जनशक्ति राष्ट्र की संपत्ति है। इसी उद्देश्य को लेक्र इस केंद्र की स्थापना की गयी है। राज्य सरकार राजस्थान ने 51878 वर्ग मीटर के परिसर में भूमि, भवन और अवसंरचना प्रदान की है।इसका परिसर RIICO औद्योगिक एस्टेट पथरेड़ी में स्थित है। 


दृष्टि-


  • आत्मनिर्भरता और निरंतर वृद्धि के साथ कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण / वेब आधारित प्रशिक्षण सहित ई-शिक्षण प्रथाओं को अपनाना।

  • उत्पाद विकास, उपकरण इंजीनियरिंग और संबद्ध क्षेत्रों में उत्कृष्टता के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित केंद्र के रूप में स्थापित होना।

  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त विकसित करना।

  • रोजगार क्षमता में सुधार के लिए सामाजिक रूप से प्रासंगिक कौशल विकास कार्यक्रमों का पोषण करना। 


उद्देश्य-


एमएसएमई प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं-


  1. सीएडी / सीएएम / सीएई / सीएनसी मशीनिंग और टूल एंड डाई टेक्नोलॉजी में लॉन्ग टर्म, मीडियम टर्म और शॉर्ट टर्म कोर्सेज के माध्यम से उद्योग को प्रशिक्षित मानव-शक्ति का विकास।

  2. गुणवत्ता प्रेस उपकरण के डिजाइन और विनिर्माण, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ग्राहक की आवश्यकताओं के अनुसार डाई कास्टिंग, मोल्ड्स, जिग्स, फिक्स्चर और गेज और घटक के क्षेत्र में प्रशिक्षण व विकास।

  3. उत्पाद विकास, उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार के लिए समग्र टूलींग समाधान के लिए परामर्श प्रदान करना।

उत्पादन केंद्र

एमएसएमई प्रौद्योगिकी केंद्र भिवाड़ी में एक छत के नीचे अत्याधुनिक उपकरण कक्ष मशीनें हैं, जो अत्याधुनिक उत्पादन सेवाओं की सुविधाएँ प्रदान करती हैं। यह किसी भी उपकरण निर्माता के लिए एक आदर्श प्रौद्योगिकी केंद्र है। इसमें परिष्कृत मशीनों के व्यापक स्पेक्ट्रम में सभी नवीनतम और उन्नत मशीनें शामिल हैं। उत्पादन केंद्र में अनुभवी विशेषज्ञों, डिजाइन और उत्पादन इंजीनियरों, प्लांट पर्यवेक्षकों, फोरमैन, तकनीशियनों की टीम भी है, जैसे-  टूल एंड डाई मेकर्स, फिटर और मशीन ऑपरेटर, जो ग्राहकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। 

    • जटिल प्रेस उपकरण, नए-नए साँचे, डाई कास्टिंग डाईज, जिग्स, फिक्स्चर और गेजेज का विनिर्माण

    • नवीनतम और इष्टतम विनिर्माण व मशीनिंग प्रक्रियाओं का उपयोग

    • उपकरण और डिजाइन के एवं विनिर्माण में कौशल के उच्चतम स्तर के लिए प्रशिक्षुओं को ऑन जॉब प्रशिक्षण।

    • समग्र टूलींग समाधान प्रदान करना। 

    • टूल ट्रायआउट्स - प्रेस टूल / इंजेक्शन मोल्डप्रेस / इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन पर बैच उत्पादन

    • परिशुद्धता घटकों की मशीनिंग

    • उत्पाद अनुरूपता और निरीक्षण

परामर्श सेवाएं -

यह औजार निर्माण करने वाले उद्योगों के लिए एक आदर्श केंद्र है। सभी नवीनतम, उन्नत एवं परिष्कृत मशीनों के व्यापक स्पेक्ट्रम से युक्त उत्पादन केंद्र में अनुभवी विशेषज्ञों, डिजाइन और उत्पादन इंजीनियरों, प्लांट पर्यवेक्षकों, फोरमैन, तकनीशियनों (टूल एंड डाई मेकर्स, फिटर और मशीन ऑपरेटर) की टीम भी है, जो ग्राहकों की निम्नांकित क्षेत्रों की विभिन्न आवश्यकताओं को परामर्श द्वारा पूरा कर सकते हैं-


  • उत्पाद और प्रक्रिया विकास (Product & Process Development)

  • उत्पादकता / गुणवत्ता में सुधार (Productivity / Quality improvement)

  •   प्रशिक्षण संस्थानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम / पाठ्यक्रम पाठ्यक्रम विकास (Training Programme / Course curriculum development for training institutes)

  • प्रमुख परियोजनाओं का निष्पादन (Execution of key projects)

 प्रशिक्षण प्रकोष्ठ -


प्रशिक्षु को अर्जित ज्ञान का उपयोग करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से यहाँ के शिक्षण में थ्योरी एवं प्रैक्टिकल्स के वैज्ञानिक मिश्रण को बनाए रखने पर जोर दिया जाता है। इस केंद्र में दीर्घ एवं लघु अवधि के कोर्स में नवीनतम ऑडियो विजुअल प्रशिक्षण उपकरणों के उपयोग के साथ वैज्ञानिक रूप से विकसित पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 

ये कोर्सेज निम्न हैं -

पाठक्रम का नाम  अवधि   न्यूनतम योग्यता
1. टूल एवं डाई निर्माण में एडवांस डिप्लोमा (एआईसीटीई स्वीकृत)    4 वर्ष   50 % अंकों के साथ 10 वीं
2. मेक्नोट्रॉनिक्स में डिप्लोमा (एआईसीटीई स्वीकृत)3 वर्ष   50 % अंकों के साथ 10 वीं

शुल्क- Rs 19000/- प्रति सेमेस्टर (38000/- प्रति वर्ष )

आवेदन कैसे करें:

ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म वेबसाइट www.msmetcbhiwadi.org पर लिंक के माध्यम से भरा जा सकता है।

पूरा विवरण निम्न है -

अन्य ट्रेनिंग प्रोग्राम्स का विवरण आप यहाँ देख सकते हैं -

अन्य ट्रेनिंग प्रोग्राम्स की विस्तृत जानकारी लिए ब्रोशर नीचे दी गई लिंक से डाउनलोड करें -

 

http://msmetcbhiwadi.org/download/Broucher.pdf


Comments

  1. Sahi Hai kuch to barojgari smapt hogi

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आपने . धन्यवाद....

      Delete

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...